भारती घोष, वो अधिकारी जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं, लेकिन गिरफ्तारी नहीं होगी
कभी ममता बनर्जी की 'बेटी' कहलाती थीं, अब बीजेपी के साथ हैं.
भारती घोष. ये नाम पिछले कुछ दिनों में कई बार सुनाई आ चुका है. ढेर सारी खबरें भी बन गई हैं, इस नाम के ऊपर. अभी एक बार फिर चर्चा में है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया है, 20 फरवरी 2019 के दिन. आदेश ये है कि कोर्ट ने भारती के खिलाफ दर्ज सभी मामलों में उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण दे दिया है. यानी उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी. जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये बात कही है. इसके अलावा इस मामले पर अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 3 हफ्ते बाद करेगा.
अब कोर्ट ने किन मामलों पर आदेश दिया और भारती घोष आखिर हैं कौन. एक-एक करके सब जानते हैं.
भारती घोष पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. किसी जमाने में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की करीबी मानी जाती थीं. लेकिन अब ऐसा सीन नहीं है. क्योंकि इन्होंने अब 'कमल' थाम लिया है. यानी बीजेपी जॉइन कर ली है. 4 फरवरी 2019 के दिन भारती पश्चिम बंगाल बीजेपी में शामिल हुईं. केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता (जो अक्सर ट्वीट करते रहते हैं) कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में बीजेपी जॉइन की.
4 फरवरी 2019 के दिन भारती घोष ने बीजेपी जॉइन की. फोटो- ट्विटर
दरअसल, भारती घोष के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं. पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने भारती के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में 10 एफआईआर दर्ज करवाई है. इन्हीं मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण के लिए भारती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी. याचिका में बताया था कि 7 मामलों में कोलकाता हाई कोर्ट ने उन्हें पहले ही गिरफ्तारी से संरक्षण दे दिया था, लेकिन बाद में ममता सरकार ने उनके खिलाफ तीन नए मामले दर्ज करवा दिए. इसी याचिका पर कोर्ट ने 19 फरवरी को आदेश दिया. अब इस पर तीन हफ्ते बाद अगली सुनवाई होगी.
पिछले साल यानी 2018 में सीआईडी ने भारती घोष के घर पर छापेमारी की थी. जहां से ढाई करोड़ रुपए बरामद हुए थे. भारती जबरन वसूली और आपराधिक षड्यंत्र मामले को लेकर सीआईडी की जांच के दायरे में हैं. और उनके पति राजू हिरासत में हैं. कोर्ट के आदेश के बाद ही सीआईडी ने जबरन वसूली के एक मामले पर भारती के खिलाफ जांच शुरू की थी. और छापेमारी की थी. उनके घर से 300 करोड़ रुपए की जमीन के खरीद-फरोख्त के दस्तावेज भी मिले थे. जमीन खरीदने के मामले पर सीआईडी भारती से पूछताछ करना चाहती थी. लेकिन उनका उस वक्त कुछ पता नहीं चल रहा था. इसलिए उस वक्त वो सीआईडी के मोस्ट वॉन्टेड लोगों की लिस्ट में भी आ गई थीं.
अब सबसे बड़ा सवाल ये आता है कि किसी टाइम पर ममता को 'मां' कहने वाली भारती उनसे दूर कैसे हुईं. ये जानने के लिए शुरू से शुरुआत करते हैं.
भारती घोष शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल थीं. पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर की एसपी बनने से पहले उन्होंने तगड़ी पढ़ाई की, और तगड़ा काम भी किया. भारती ने कोलकाता की जाधवपुर यूनिवर्सिटी से एमबीए किया. बर्दवान यूनिवर्सिटी से एलएलबी की. लेकिन ये तो भारती के सफर की शुरुआत भर थी. वो पहुंच गईं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी. वहां से मैनेजमेंट की पढ़ाई की. उसके बाद यूके सरकार की एक फेलोशिप में भारती का सेलेक्शन हुआ. उसके बाद उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से पढ़ाई की.
भारती घोष. फोटो- ट्विटर
फिर आई काम की बारी. भारती 2006 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. संयुक्त राष्ट्र की पीसकिपिंग मिशन में भारत की ओर से कुछ अधिकारी भेजे गए थे, जिनमें भारती भी शामिल थीं. उन्होंने कोसोवो और बोस्निया जैसे जंग प्रभावित इलाकों में काम किया. यहां उन्हें उनके तगड़े काम के लिए 6 मेडल्स भी मिले.
फिर भारती इंडिया वापस आईं. पश्चिम बंगाल सीआईडी के साथ काम करना शुरू किया. साल 2011 में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई. राज्य का पश्चिमी मिदनापुर इलाका नक्सल प्रभावित था. भारती को ममता ने वहां का एसपी बना दिया. भारती ने वहां भी खुद को साबित किया. बढ़िया काम किया, ममता को अच्छा रिजल्ट भी दिया. एक बड़ा माओवादी नेता कोटेश्वर राव को मार गिराया. कई सारे नक्सली सरेंडर करने पर मजबूर हो गए. मतलब, भारती का काम अच्छा रहा.
काम अच्छा होता गया, और भारती, ममता के करीबियों में शामिल होती चली गईं. एक टाइम पर ममता कहने लगीं, भारती 'अच्छी बच्ची' है. भारती भी कहती कि ममता उनकी 'मां' है. 2011 से मां-बेटी ने एकसाथ सफर शुरु किया, सात साल तक ये सफर बढ़िया चला भी. लेकिन फिर दूरियां आने लगीं. और दिसंबर 2017 में ये जोड़ी टूट गई.
फोटो- ट्विटर
जब आने लगी ममता-भारती के बीच दूरियां
साल 2016 आते-आते भारती की पहचान एसपी से ज्यादा, ममता की करीबी के तौर पर होने लगी. साल 2014 में लोकसभा चुनाव हुए, 2016 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए. दोनों ही समय भारती चुनाव आयोग की नजरों में आईं. आयोग को भारती के खिलाफ शिकायतें मिलीं, कि वो पोल अधिकारियों के काम में दखल डाल रही हैं, उन्हें डरा रही हैं. अपने पद का इस्तेमाल करके ममता की पार्टी को फायदा पहुंचा रही हैं. चुनाव प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं. इसके बाद आयोग ने उन्हें चुनावी ड्यूटी से ही हटा दिया था. इससे भारती को कोई खास फर्क नहीं पड़ा.
2016 में ही भारती की मुलाकात ममता के करीबी माने जाने वाले मुकुल रॉय से हुई. भारती की उनसे भी अच्छी बात होने लगी. लेकिन चिटफंड घोटाले में नाम सामने आने के बाद मुकुल रॉय ने ममता की पार्टी छोड़ दी. कुछ ही समय बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली.
भारती जो कि ममता के साथ-साथ मुकुल की भी करीबी मानी जाती थीं, उन्हें लेकर ये अफवाह उड़ी कि वो बीजेपी के काम में मुकुल का हाथ बंटा रही हैं. क्योंकि मुकुल को बीजेपी ने बंगाल में पार्टी मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. ये अफवाह उड़ने के बाद से ही ममता और भारती के बीच दूरियां आने लगीं. कुछ छोटी-मोटी खटपट की खबरें भी आने लगीं.
ममता बनर्जी 2011 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं.
फिर पश्चिमी मदिनापुर की एक सीट- सबांग में उपचुनाव की बारी आई. दिसंबर 2017 में यहां उपचुनाव हुए. टीएमसी ने सीट पर कब्जा कर लिया, लेकिन बीजेपी भी वोट खींचने में कामयाब हो गई. बीजेपी इलाके में तीसरे नंबर की बड़ी पार्टी बनकर उभरी. टीएमसी के एक लोकल लीडर के जरिए ममता को खबर मिली, कि भारती घोष ने इलाके में बीजेपी के वोट बढ़ाने में मदद की. ममता ने भारती का तबादला करने का निर्देश दे दिया. उन्हें बैरकपुर में स्टेट आर्म्ड फोर्स की एक बटालियन का कमांडिंग ऑफिसर बनाया गया. घोष ने इस पोस्ट पर जॉइन करने से मना कर दिया. और इस्तीफा थमा दिया. दिसंबर 2017 में भारती ने रिजाइन किया.
उसके बाद 2018 में भारती के घर में छापेमारी हुई. भ्रष्टाचार और जबरन वसूली मामले में राज्य के कई पुलिस थानों में उनके खिलाफ मामले दर्ज हुए. इन मामलों पर भारती ने ये कहा कि उन्हें जबरन फंसाने की कोशिश की जा रही है. और ये सारी कोशिश तृणमूल सरकार कर रही है.
ममता के साथ भारती घोष. फोटो- ट्विटर
बीजेपी जॉइन करने का फैसला
2018 में ऐसी खबरें आई कि भारती बीजेपी नेताओं से मिल रही हैं. तब ये भी कहा गया कि वो बीजेपी जॉइन कर सकती हैं. खैर, 2018 में तो उन्होंने ऐसा नहीं किया. लेकिन 2019 में कर दिया. 4 फरवरी को बीजेपी में शामिल हो गईं.
जब भारती से पूछा गया कि बीजेपी क्यों. जवाब दिया, 'जब ममता विपक्ष में थीं, तब वो अलग थीं. उनकी छवि अलग थी, साफ-सुथरी छवि थी. अब वो बदल गईं हैं. पश्चिम बंगाल में अब 'डेमोक्रेसी' नहीं है, बल्कि 'ठगोक्रेसी' है. लोग सच्चाई से झूठ की तरफ चले गए. इसलिए भारती घोष भी बदल गई.'
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