अप्सरा रेड्डी: ताने झेले, डिप्रेशन से लड़ीं, अब बनीं महिला कांग्रेस की पहली ट्रांसजेंडर महासचिव
संघर्षों से भरे जीवन की कहानी.
'जब मैंने अपने जेंडर को बदलने पर काम करना शुरू किया था, तब लोग मुझसे बहुत अजीब-अजीब बातें कहते थे. मुझे परेशान करने वाली बातें. मुझे दुख पहुंचाने वाली बातें. कई बार तो ऐसा होता था, कि मैं घर आकर रोती थी. बहुत रोती थी. मुझे समझ नहीं आता था, कि मैं क्या करूं. कहां जाऊं. मैं डिप्रेशन से जूझ रही थी. क्योंकि ये दुनिया ऐसी है, जो आपको बताती है कि आप जो कुछ भी कर रहे हो, वो गलत है. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. मैं आदमी के शरीर के अंदर कैद एक औरत थी. मैं जेंडर चेंज कराने पर काम कर रही थी, लेकिन लोग ऐसा कहते थे कि जो कुछ भी मैं कर रही हूं, वो गलत है.
मैं डिप्रेशन में जाने लगी थी. लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मैंने लड़ाई लड़ी. मैं जानती थी, कि मुझे क्या करना है. मुझे मेरी जिंदगी का मकसद मालूम था. इसलिए मैं आगे बढ़ती रही, खुद को संभालती रही. मैंने अपने दिल की सुनी. कई बार मेरे मन में सुसाइड करने का खयाल आया, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया. मैं जानती थी कि मेरी परेशानियों का हल सुसाइड नहीं है.'
ये कहना है अप्सरा रेड्डी का. अप्सरा एक ट्रांसजेंडर महिला हैं. और ऊपर लिखी हुई बात उन्होंने, डॉक्टर रेणुका डेविड के शो 'वेलनेस टॉक' पर कही थी. उन्होंने साल 2015 में इस शो पर डिप्रेशन को लेकर काफी खुलकर बात की थी. किसी वक्त पर डिप्रेशन से जूझने वाली अप्सरा, आज महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव बन चुकी हैं. और सोशल मीडिया पर इस वक्त उनकी काफी चर्चा हो रही है.
दरअसल, कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से 8 जनवरी को एक ट्वीट किया गया. जानकारी दी गई कि कांग्रेस ने अप्सरा को, ऑल इंडिया महिला कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाया है. अप्सरा पहली ऐसी ट्रांसजेंडर हैं, जो महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव बनी हैं.
इस बात की जानकारी पार्टी ने ट्वीट करके दी. राहुल गांधी और अप्सरा की, साथ में एक तस्वीर भी पोस्ट की. तस्वीर में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष, और लोकसभा सांसद सुष्मिता देव भी मौजूद हैं. कांग्रेस ने तस्वीर के कैप्शन में लिखा-
'कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने, अप्सरा रेड्डी को, महिला कांग्रेस की पहली ट्रांसजेंडर राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया.'
Apsara Reddy has been appointed the first transgender National General Secretary of @MahilaCongress by Congress President @RahulGandhi pic.twitter.com/qDTZSgaoMH
- Congress (@INCIndia) January 8, 2019
अप्सरा के लिए यहां तक पहुंचना, बेहद मुश्किल था. क्योंकि समाज जिसे 'नॉर्मल' कहता है, अप्सरा वैसी नहीं हैं. वो एक ट्रांसजेंडर महिला हैं. और ट्रांसजेंडर होना औरत होने से भी ज्यादा मुश्किल है. अप्सरा जब छोटी थीं, तभी उन्हें ये समझ आ गया था, कि भले ही उनका शरीर एक आदमी का शरीर है, लेकिन वो अंदर से एक औरत हैं.
आप भी जानिए, कि कौन हैं अप्सरा रेड्डी
- ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता हैं. पत्रकार भी रह चुकी हैं. इन्होंने ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के लिए काफी काम किया है. बेबाकी से अपनी बात कहती हैं.
- आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले से हैं. लेकिन स्कूली पढ़ाई चेन्नई से की है. पत्रकारिता में रुचि थी, इसलिए आगे पत्रकारिता की पढ़ाई करने के लिए ऑस्ट्रेलिया चली गईं. वहां मोनाश यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में ग्रेजुएशन किया.
अप्सरा रेड्डी. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट
- जब कॉलेज में थीं, तभी से सोशल वर्क में उनकी दिलचस्पी बढ़ने लगी. फिर क्या, वहीं से सोशल वर्क करना शुरू कर दिया. जर्नलिज्म की पढ़ाई के साथ-साथ, ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के लिए काम करने लगीं.
- फिर आगे के लिए लंदन चली गईं. वहां सिटी यूनिवर्सिटी से ब्रॉडकास्टिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. फोकस डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स पर था.
- लंदन में रहते हुए ही, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस और द हिंदू जैसे कुछ नामी मीडिया संस्थानों में काम किया. न्यू इंडियन एक्सप्रेस और डेक्कन क्रोनिकल में भी अप्सरा काम कर चुकी हैं.
अप्सरा रेड्डी. फोटो- एएनआई ट्विटर
- राजनीति में खासी पकड़ है, इसलिए अक्सर ही राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखती हैं. सेलिब्रिटी लाइफस्टाइल और एजुकेशन से जुड़े मामलों पर भी लिख चुकी हैं.
- अप्सरा ने बीजेपी भी ज्वॉइन की थी, लेकिन कुछ ही समय बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. पार्टी छोड़ने के बाद अप्सरा ने कहा था कि बीजेपी में खुले विचार रखने वालों के लिए कोई जगह नहीं है.
- उसके बाद अप्सरा एआईएडीएमके में शामिल हुईं. उस वक्त तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता थीं. एआईएडीएमके ने उन्हें साल 2016 में पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया. लेकिन जयललिता के निधन के बाद, अप्सरा शशिकला के गुट में चली गई थीं.
अप्सरा रेड्डी. फोटो- ट्विटर
- कांग्रेस में शामिल होने को लेकर अप्सरा ये कहती हैं, कि भारत की सबसे पुरानी पार्टी ने उनका बहुत अच्छे से स्वागत किया है, जिसकी वजह से वो काफी खुश हैं.
- अप्सरा का कहना है कि राजनीति और समाज में काम करने के लिए, और भागीदारी के लिए आपका काम जरूरी होता है, आपका जेंडर नहीं.
- जाहिर सी बात है, एक ट्रांसजेंडर होने की वजह से अप्सरा की जिंदगी में कई मुश्किलें आईं. लोगों ने उनका मजाक बनाया. लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को, दूसरों से कम नहीं समझा. वो मजबूत रहीं, दिमाग को शांत रखा और आगे बढ़ती रहीं.
- अप्सरा आज कामयाब हैं. और वो अपनी कामयाबी का क्रेडिट अपनी मां को देती हैं. वो कहती हैं कि जब उन्होंने सेक्स चेंज कराने की इच्छा, अपनी मां के सामने रखी थी, तब उनकी मां को शुरू में थोड़ा अजीब जरूर लगा था, लेकिन बाद में उनकी मां ने हर वक्त उनका साथ दिया.
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