अलवर गैंगरेप विक्टिम अब क्या कर रही हैं?
दो महीने पहले हुई थीं गैगरेप की शिकार.
अलवर, राजस्थान का एक शहर है. यहां पर 26 अप्रैल को पांच लोगों ने एक महिला का उसके पति के सामने गैंगरेप किया था. अब उसी पीड़ित महिला को राजस्थान पुलिस में कॉन्सेटबल की नौकरी मिली है. ये जॉब उन्हें मुख्यमंत्री कैलाश गहलोत की तरफ से दी गई है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता ने 26 जून को राजस्थान पुलिस जॉइन की है. बतौर कॉन्स्टेबल. उनकी भर्ती पर राजस्थान सरकार ने 28 मई को ही मुहर लगा दी थी. पूरी भर्ती प्रकिया में लगभग एक महीना लगा, और उसके बाद उन्हें नियुक्ति पत्र मिला.
राज्य सरकार ने पीड़िता को सहायता राशि देने का ऐलान भी किया था. इसके साथ ही महिला और बाल विकास विभाग ने 50 हजार रुपए देने की घोषणा की थी. वहीं, इस पूरे मामले पर ऑडनारी ने महिला के भाई से बात करने की कोशिश की, पर उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.
पूरा मामला क्या है?
प्रेमा (काल्पनिक नाम), 26 अप्रैल के दिन, अपने पति मोहन (काल्पनिक नाम) के साथ लालवाड़ी गांव से तालवृक्ष जा रही थी. दोनों बाइक से थे. थानागाजी-अलवर बाईपास रोड से उनकी बाइक गुजर रही थी. दुहार चौगान वाले रास्ते से कुछ ही दूरी पर, दोपहर करीब 3 बजे, प्रेमा और मोहन की बाइक के सामने दो और बाइक्स आकर रुक गईं.
इन दोनों बाइकों पर 5 लड़के सवार थे. पांचों की उम्र 20 से 25 साल के बीच की थी. पांचों लड़कों ने प्रेमा और मोहन को घेर लिया. और दोनों को सड़के से दूर रेत के टीले की तरफ ले गए. वहां ले जाकर उन्होंने मोहन को पीटा. और प्रेमा का एक-एक कर सबने रेप किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपियों ने प्रेमा को गले से पकड़कर खींचा. उसे और उसके पति को पीटा. मोहन के सामने ही प्रेमा के कपड़े उतारे और उसका रेप किया.
इतना ही नहीं, इस गैंगरेप का वीडियो भी बनाया. और कुछ दिन बाद एक छठवें लड़के, जिसका नाम मुकेश है, उसने इस वीडियो को कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया.
घटना के तीन दिन बाद प्रेमा और मोहन ने पूरी वारदात अपने घरवालों को बता दी.
पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. फोटो- रिपोर्टर राजेंद्र शर्मा
30 अप्रैल के दिन दोनों ने अलवर के एसपी राजीव पचार से मुलाकात की. सारी बात बताई. एसपी पचार ने उनसे कहा कि कार्रवाई की जाएगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस का कहना है कि एसपी के आदेश के बाद 30 अप्रैल को एफआईआर लिख ली गई थी, लेकिन मोहन का कहना है कि पुलिस ने 30 अप्रैल नहीं, बल्कि 2 मई को एफआईआर लिखी थी.
पुलिस ने एफआईआर लिख तो ली थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की थी. मोहन ने बताया कि उससे पुलिस ने ये कहा था कि अभी चुनाव चल रहे हैं, इस वजह से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद नहीं हैं, सबकी ड्यूटी चुनाव में लगी हुई है. ऐसे में चुनाव के बाद मामले पर कार्रवाई की जाएगी.
पुलिस चार दिन तक मामला टालते रही. फिर 6 मई को ये मामला मीडिया तक पहुंचा. आरोपियों के एक छठवें साथी, मुकेश ने वीडियो वायरल कर दी थी. वीडियो 6 मई तक ये कई सारे वॉट्सऐप ग्रुप में पहुंच गई. मामला बढ़ गया. पुलिस के ढीले रवैये का विरोध हुआ. तब कहीं जाकर पुलिस ने सख्ती दिखाई, और कार्रवाई शुरू की.
वापस आते हैं पुलिस पर. मीडिया में बवाल होने के बाद पुलिस से जब लेट लतीफी पर जवाब मांगा गया. तब पुलिस ने कहा कि वो सबूत जुटा रहे थे, इसलिए टाइम लग गया. सोचिए कि, गैंगरेप का पूरा वीडियो वायरल हो रहा है, और पुलिस को सबूत चाहिए. तीनों के नाम छोटेलाल, महेश गुर्जर और हंसराज है. पुलिस ने सभी 6 आरोपियों के खिलाफ विशिष्ट न्यायाधीश एससी-एसटी कोर्ट, अलवर में चार्जशीट दाखिल कर दी है.
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