अकेली गैर शादीशुदा औरत को बच्चा गोद लेने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है

प्रक्रिया झेलाऊ है, लेकिन आखिर में सुकून मिलता है.

लालिमा लालिमा
जुलाई 14, 2019
सुष्मिता सेन ने दो बच्चियों को गोद लिया है. फोटो- इंस्टाग्राम

एक्ट्रेस सुष्मिता सेन जब 25 साल की थीं, तब उन्होंने एक बच्ची को गोद लिया था. 10 साल बाद उन्होंने दूसरी बच्ची को गोद लिया. उन्होंने शादी नहीं की, अकेले ही दो बच्चियों को पाल रही हैं. वो सिंगल अनमैरिड मदर हैं. यानी बिना शादी किए, सिंगल पैरेंट बनी हैं. सुष्मिता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें अपनी पहली बच्ची को गोद लेने में बहुत दिक्कतें आई थीं. करीब 26 दस्तावेज कोर्ट में जमा कराने पड़े थे. एक बहुत लंबी प्रोसेस से गुजरना पड़ा था.

खैर, सुष्मिता ने 19 साल पहले बच्चा गोद लिया था, तब और अब में बहुत फर्क आ गया है. पहले अकेली औरत का बच्चा गोद लेना, बहुत बड़ी बात थी. लेकिन इसका क्रेडिट सुष्मिता को ही देना चाहिए, कि उन्होंने एक अच्छी शुरुआत की. अब भारत में बहुत से लोग एडॉप्शन का ऑप्शन चुन रहे हैं.

मेरी एक दोस्त है शिखा (नाम बदल दिया गया है). उसने शादी नहीं की है, और न करना चाहती है. लेकिन वो मां बनना चाहती है. वो बच्चा गोद लेना चाहती है. लेकिन इसके लिए उसे 1 साल और इंतजार करना होगा, क्योंकि वो अभी 24 साल की है, और बच्चा गोद लेने के लिए आपको कम से कम 25 साल का तो होना ही होता है.

ऐसी बहुत सी अनमैरिड औरतें हैं, जो इस ऑप्शन को चुन रही हैं. लेकिन उन्हें ठीक से पूरी प्रोसेस पता नहीं है. आगे हम उन सिंगल अनमैरिड औरतों को बच्चा गोद लेने की जरूरी शर्तें, और पूरी प्रोसेस बताने जा रहे हैं. ज़रा ध्यान से पढ़िएगा.

कई फिल्मों में दिखाया गया है कि पति-पत्नी अनाथ आश्रम जाते हैं. बच्चों को देखते हैं. एक बच्चा चुनते हैं. और उसे गोद ले लेते हैं. लेकिन अब आपको इसके लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत एडॉप्शन के लिए सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी, यानी CARA (कारा) में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है.

अब ये 'कारा' क्या है? ये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक विभाग है. आसान भाषा में आप इसे WCD की एक टीम मान सकते हैं. कारा की वेबसाइट पर लिखा है कि ये WCD का सांविधिक निकाय है. ये निकाय या बॉडी, भारत में एडॉप्शन की पूरी प्रोसेस पर नजर रखता है.

cara_071019085917.pngकारा की वेबसाइट की तस्वीर है ये. देश में गैरकानूनी एडॉप्शन को खत्म करने के लिए सारी जिम्मेदारी कारा को सौंप दी गई है.

वैस तो कारा के तहत पति-पत्नी, सिंगल औरत और सिंगल आदमी बच्चा गोद ले सकते हैं, लेकिन इस आर्टिकल में हम सिंगल औरत पर फोकस करेंगे. उसे एडॉप्शन के लिए क्या-क्या करना होगा, कौन सी जरूरी शर्तें पूरी करनी होंगी, ये सब हम आपको बताएंगे. (ये सारी जानकारी हमें कारा की एक काउंसलर ने दी है. वो नहीं चाहतीं कि हम उनका नाम जाहिर किया जाए, इसलिए हम यहां उनका नाम नहीं लिख रहे हैं.)

- लड़की की मिनिमम एज यानी उम्र कम से कम 25 साल होनी चाहिए.

- उसका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर स्टेबल होना जरूरी है.

- वो किसी भी जेंडर के बच्चे को एडॉप्ट कर सकती है, वहीं सिंगल आदमी केवल बॉय चाइल्ड को ही एडॉप्ट कर सकता है.

- बच्चे और मदर के बीच कम से कम 25 साल का एज गेप रहना जरूरी है. 0 से 4 साल तक के बच्चे को गोद लेने के लिए महिला की उम्र 25 से 45 के बीच होनी चाहिए.

- 4 से 8 साल के बच्चे को गोद लेने के लिए महिला की उम्र 50 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

- 8 से 18 साल के बच्चे को गोद लेने के लिए महिला की उम्र 55 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. 

- सिंगल पैरेंट के लिए बच्चा गोद लेने की सर्वाधिक उम्र 55 साल है. उसके बाद नो एडॉप्शन.

- सिंगल मदर के तौर पर बच्चा गोद लेने के बाद अगर महिला शादी करती है, तो उसके पति के ऊपर डिपेंड करेगा कि वो बच्चे का पिता बनना चाहता है या नहीं. अगर वो बच्चे को पिता का नाम देना चाहता है, तो इसके लिए उसे आवेदन करना होगा, कारा में ही. कारा की तरफ से वेरिफिकेशन किया जाएगा, उसके बाद बच्चे के पिता के तौर पर उस आदमी के नाम पर मुहर लगेगी.

- धर्म का कोई बंधन नहीं है. महिला किसी भी धर्म की हो, कोई फर्क नहीं पड़ेगा. ऐसा जरूरी नहीं है कि हिंदू धर्म को मानने वाली महिला, हिंदू धर्म के बच्चे को ही गोद ले. यानी दोनों पक्षों के धर्मों का कोई लेनादेना नहीं है. कारा की जिस काउंसलर से हमने बात की, उनसे जब हमने धर्म वाला सवाल पूछा था, तब उन्होंने कहा था कि कारा धर्मनिरपेक्ष होकर काम करता है.

untitled-2-750x500_071019085605.jpgसुष्मिता सेन अपनी छोटी बेटी के साथ. उन्होंने दूसार एडॉप्शन 2010 में किया था. तस्वीर- इंस्टाग्राम

खैर, अब ये सारी जरूरी शर्तें जानने के बाद सिंगल मदर बनने की चाह रखने वाली महिला को कारा में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए कुछ दस्तावेज भी जमा कराने होंगे.

- अपने परिवार की तस्वीर. अगर महिला अपने माता-पिता के साथ रहती है, तो उनके साथ की तस्वीर. खुद की एक तस्वीर.

- पैन कार्ड

- बर्थ सर्टिफिकेट, या फिर जन्म के लिए किसी भी तरह का प्रूफ

- अपने घर के पते का प्रूफ. इसमें आधार कार्ड/वोटर कार्ड/पासपोर्ट/इलेक्ट्रिसिटी बिल/टेलीफोन बिल जमा करवा सकते हैं.

- इनकम का प्रूफ. इसमें सैलेरी स्लिप/इनकम सर्टिफिकेट या जो इनकम टैक्स रिटर्न महिला भरती है, उसका प्रूफ देना होगा.

- मेडिकल सर्टिफिकेट. जिसमें आपके डॉक्टर ने ये बताया हो कि आपको कोई लंबी या बड़ी बीमारी नहीं है. और आप एडॉप्ट करने के लिए फिट हैं.

- आपकी एडॉप्शन की इच्छा को सपोर्ट करते हुए आपके किसी दो रिश्तेदारों या दोस्तों के लेटर्स.

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के वक्त ये सारे दस्तावेज जमा कराने होंगे. ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म में उन राज्यों के नाम भी डालने होंगे, जहां से आप बच्चा एडॉप्ट करना चाहती हैं. कारा में रजिस्ट्रेशन कराने का मतलब, आप उन सभी राज्यों की स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी में अपने आप रजिस्टर्ड हो जाएंगी, जिन्हें आपने अपने फॉर्म में टिक किया है. (आपको बता दें कि हर राज्य में स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी है. जो कारा में रजिस्टर्ड हैं.)

रजिस्ट्रेशन पूरा करने के बाद आपको एक रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा. इसी नंबर के जरिए आप ये देख सकेंगी, कि आपके एप्लीकेशन में कहां तक प्रोग्रेस हुई है.

आपको अपने घर के सबसे नजदीक की एक स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी, को प्राथमिक तौर पर चुनना होगा. आपके रजिस्ट्रेशन के बाद एक होम स्टडी रिपोर्ट बनाई जाएगी. इसे बनाने के लिए आपके जरिए चुनी हुई आपकी प्राथमिक स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी के सोशल वर्कर आपके घर आएंगे. पूरा जायजा लिया जाएगा. आपसे बात की जाएगी.

कारा में आपके रजिस्ट्रेशन के 30 दिन के अंदर ही होम स्टडी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. और उसे कारा के डाटाबेस में अपलोड कर दिया जाएगा.

ये रिपोर्ट तीन साल तक के लिए मान्य रहेगी. और यही रिपोर्ट आपके एडॉप्शन का आधार रहेगी. आपकी रिपोर्ट और दस्तावेजों के आधार पर ही ये डिसाइड होगा कि आप बच्चा गोद लेने लायक हैं या नहीं.

अगर आपकी रिपोर्ट में या फिर दस्तावेजों में आपको रिजेक्ट कर दिया जाता है, तो आप कारा की अथॉरिटी के पास दोबारा अपील भी कर सकती हैं.

सिंगल औरतों के लिए होम स्टडी में एक जरूरी बात देखी जाती है. वो ये कि वो किसके साथ रह रही हैं. अकेली या फिर अपने मां-बाप के साथ. ये इसलिए देखा जाता है, क्योंकि अगर महिला वर्किंग है तो ये देखना जरूरी है उसके ऑफिस जाने के बाद बच्चे की देखरेख कौन करेगा. अगर महिला आया रखती है, तो इसे मान्यता नहीं मिलेगी. घर का ही कोई मेंबर बच्चे का ख्याल रखने के लिए मौजूद होना चाहिए. या फिर महिला के ऑफिस में क्रैश सुविधा होनी चाहिए.

अब ये सारी चीजें होम स्टडी रिपोर्ट बनाते वक्त देखी जाती है. पूरी रिपोर्ट बनने के बाद, उसे कारा के डाटाबेस पर अपलोड होने के बाद, आपको इंतजार करना होगा. कारा या स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी की तरफ से आपको तब कॉन्टैक्ट किया जाएगा, जब आपका नंबर आएगा और जब आपकी इच्छा के मुताबिक, बच्चा उपलब्ध होगा. यहां इच्छा के मुताबिक से मतलब है फॉर्म में आपके जरिए भरे हुए राज्य और बच्चे की एज ग्रुप.

untitled-1-750x500_071019085721.jpgइस तस्वीर में सुष्मिता अपनी दोनों बेटियों के साथ हैं. फोटो- इंस्टाग्राम

आप अपने रजिस्ट्रेशन नंबर के जरिए कारा की वेबसाइट में जाकर अपना वेटिंग नंबर देख सकते हैं. आपकी तरह और भी कई लोग एडॉप्शन के लिए रजिस्ट्रेशन करते हैं. ऐसे में एक लंबी लिस्ट होती है बच्चा एडॉप्ट करने की इच्छा रखने वाले पैरेंट्स की. नंबर आने पर, और आपने कौनसे राज्य चुने हैं, इसी के आधार पर आपको कॉन्टैक्ट किया जाता है. इस वक्त 23 हजार पैरेंट्स ने एडॉप्शन के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रखा है. यानी इतने लोग अभी वेटिंग में है.

अब अगर जैसे आपने 2 से 3 साल के बच्चे को चुना है, तो आपको वेटिंग के हिसाब से बच्चा मिलता है. इसमें एक से डेढ़ साल का वक्त लग सकता है. आपका नंबर आने पर, और बच्चे की उपलब्धता के आधार पर, आपको तीन बच्चों की तस्वीरें और प्रोफाइल भेजी जाती हैं. उनमें से एक बच्चा चुनना होता है. उसके बाद एडॉप्शन एजेंसी, आपके और बच्चे के बीच मीटिंग रखते हैं. ये बच्चा एडॉप्शन के लिए ज्यादा से ज्यादा 48 घंटे तक रिजर्व रखा जा सकता है. उसी बीच मीटिंग होनी होती है. बच्चे से मिलने के बाद अगर आपको सब सही लगता है, तो आपको बच्चे की चाइल्ड स्टडी रिपोर्ट पर साइन करना होता है. अगर मीटिंग सफल नहीं होती है, तो यही प्रोसेस दोबारा होती है. आपको फिर अपना नंबर आने का इंतजार करना होगा. आपको फिर से बच्चों की तस्वीरें भेजी जाएंगी. और फिर यही प्रोसेस होगी.

बच्चे को गोद लेने के बाद 2 साल तक स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी का कोई कर्मचारी हर 6 महीने में आपके घर आएगा. ये जायजा लिया जाएगा, कि आप बच्चे को ठीक से पाल रहे हैं या नहीं. 2 साल तक अगर सब सही रहता है, तो फिर बच्चे की जिम्मेदारी पूरी तरह से आपको मिल जाती है.

ये है पूरी प्रोसेस बच्चा एडॉप्ट करने की. लेकिन इसमें दो से 3 साल तक का टाइम लग जाता है. 

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