सुधा चंद्रन: टीवी वैंप रमोला सिकंद से कहीं ज्यादा

16 की उम्र में एक पांव खोने वाली, शानदार डांसर सुधा अब एक फिल्म में दिखेंगी.

लालिमा लालिमा
जून 26, 2019
सुधा चंद्रन: डांस करती हुईं, मयूरी फिल्म का एक सीन, अवॉर्ड लेती हुईं. फोटो- ट्विटर/फेसबुक

साल 2004 में एक फिल्म आई थी. नाम था रेनकोट. ऐश्वर्या राय और अजय देवगन लीड रोल में थे. फिल्म के डायरेक्टर थे रितुपर्णो घोष. लव स्टोरी थी. लेकिन ऐसी लव स्टोरी थी, जिसमें लड़का और लड़की एक दूसरे से मिल नहीं पाए थे, लेकिन आखिरी तक एक-दूसरे को चाहते रहे थे. ये फिल्म एक दिन की ही कहानी थी. फिल्म बनी थी एक शॉर्ट स्टोरी 'द गिफ्ट ऑफ द मजाई' के ऊपर. इस स्टोरी के राइटर थे ओ. हेनरी. पूरा नाम विलियम सिडनी पोर्टर. अमेरिकन राइटर थे. छोटी-छोटी कहानियां लिखते थे. इनकी कहानी 'द गिफ्ट ऑफ द मजाई' पहली बारी साल 1905 में छपी थी.

इंडिया में इस कहानी पर फिल्म बनी 2004 में. अब एक बार फिर ये कहानी लोगों के सामने आ गई है. लेकिन इस बार नए किरदारों के साथ. ओ. हेनरी की शॉर्ट स्टोरी पर इंडिया में एक बार फिर फिल्म बनी है. इसमें लीड रोल में हैं डांसर सुधा चंद्रन. फिल्म का नाम है 'ए गिफ्ट ऑफ लव: सिफार'. मुंबई मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म इस वक्त कई सारे फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा रही है.

raincoat-750x500_062619060326.jpg'रेनकोट' फिल्म का एक सीन. ये फिल्म साल 2004 में आई थी. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट

'सिफार' में सुधा के किरदार का नाम आयशा है. सुधा के लिए आयशा का रोल प्ले करना काफी रिफ्रेशिंग था. वो कहती हैं, 'इतने साल तक कई सारे निगेटिव रोल करने के बाद आयशा का रोल प्ले करना काफी रिफ्रेशिंग है. ये बहुत अच्छा कैरेक्टर है और मैंने इसे काफी नैचुरली प्ले किया है.'

सुधा चंद्रन, जो इस वक्त रोमांटिक फिल्म में लीड रोल में हैं, एक बेहतरीन भरतनाट्यम डांसर भी हैं. छोटी थीं तभी से एक्ट्रेस बनना चाहती थीं. डांस करना भी पसंद था. डांसर और एक्ट्रेस बनने का सपना लेकर आगे बढ़ रही थीं, कि तभी कुछ ऐसा हुआ कि उनका सपना चकनाचूर होकर बिखरने लगा.

sudha-1-750x500_062619060229.jpgसुधा चंद्रन ने कई सारे टीवी सीरियल्स में निगेटिव रोल प्ले किए हैं. फोटो- फेसबुक

16 साल की थीं, तब सुधा का एक्सीडेंट हो गया. इस एक्सीडेंट में उन्होंने अपना एक पैर खो दिया. इस एक्सीडेंट की पूरी कहानी सुधा ने एक इंटरव्यू में बताई है. उन्होंने जो बताया, वो हम आगे लिख रहे हैं.

1981 का साल था. मई का महीना था. सुधा अपनी फैमिली के साथ चेन्नई से तिरुचिरापल्ली जा रही थीं. तिरुचिरापल्ली तमिलनाडु की एक सिटी है. सुधा की फैमिली प्रॉपर इसी सिटी से थी. लेकिन बाद में सब जाकर मुंबई में बस गए थे, लेकिन टाइम-टाइम पर तिरुचिरापल्ली जाते रहते थे. तो हुआ ये कि मई 1981 में भी सुधा का परिवार तिरुचिरापल्ली जा रहा था, कि तभी उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया.

सुधा ने टाइम्स नाऊ में दिए इंटरव्यू में कहा, 'मैं बहुत यंग थी. मुझे याद है कि हम सब बातें कर रहे थे, और जो अगला पल मुझे याद है वो ये कि हम सब सड़क पर इधर-उधर पड़े हुए थे. ड्राइवर का सिर मेरी गोद पर था, वो आखिरी सांसें ले रहा था और मुझसे पानी मांग रहा था. वो बच नहीं सका.'

sudha-3-750x500_062619060444.jpgसुधा बेहतरीन डांसर हैं. फोटो- फेसबुक

एक्सीडेंट में सुधा के एक पैर में फ्रैक्चर हो गया था. उन्हें और उनके परिवार को इलाज के लिए पास के सरकारी अस्पताल ले जाया गया. रात का वक्त था, अस्पताल में डॉक्टर्स नहीं थे, इंटर्न्स थे. सुधा के टखने में एक छोटा सा कट था, लेकिन किसी ने वो कट देखा नहीं, और पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया. दो हफ्ते तक सुधा के पैर में प्लास्टर रहा. बाद में उनके पिता उन्हें दूसरे अस्पताल लेकर गए. जहां उनका प्लास्टर काटा गया. लेकिन तब तक प्लास्टर ऑफ पेरिस लगने की वजह से उस छोटे से कट में रिएक्शन हो चुका था. जिसकी वजह से डॉक्टर्स ने सुधा का पूरा पैर काटने का फैसला किया.

सुधा कहती हैं,

'मेरे पापा मेरे पास आए. उन्होंने कहा कि कल डॉक्टर्स तुम्हारा पैर काटने वाले हैं. मेरी लाइफ अचानक से क्रैश हो गई. मुझे पता भी नहीं चला. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कहां से शुरुआत करूं. मेरी लाइफ कहां जा रही है. दो साल तक मैंने बहुत स्ट्रगल किया. अब कोई इस स्ट्रगल को सुनता है तो बहुत अच्छा लगता है उसे. प्रेरणा मिलती होगी. लेकिन सच तो ये है कि अगर कोई मुझसे कहे कि मैं वो दो साल फिर से जियूं, तो मैं ये कभी नहीं करूंगी. मैंने क्या-क्या फेस किया है, वो मैं जानती हूं. ऐसा है कि जब आप एक बार सफल हो जाते हैं, तो ये सारी चीजें बीत जाती हैं, लेकिन अगर उन पलों को फिर से जीने के लिए कहा जाए, तो बिल्कुल नहीं हो सकता ऐसा.'

sudha-10-750x500_062619060523.jpg'झूम-झूम-झूम... नाच मयूरी' गाने का एक सीन. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट

सुधा का सपना डांसर बनना था और एक पैर वो खो चुकी थीं. उसके बाद भी उन्होंने डांसर बनने का सपना नहीं छोड़ा. डॉक्टर्स ने उन्हें प्रोस्थेटिक लेग लगाए, जिन्हें जयपुर फुट भी कहा जाता है. सुधा ने प्रोस्थेटिक लेग के साथ ही डांस करने का फैसला किया. एक्सीडेंट के बाद साल 1984 में सुधा एक बार फिर मंच पर पहुंचीं और जमकर डांस किया. वो कहती हैं कि उनके परिवार ने, दोस्तों ने, डॉक्टर्स ने इतना साथ दिया कि वो एक पल के लिए ये भूल गई थीं कि उनका एक पैर अब नहीं रहा.

फिर क्या था, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. डांस करते चली गईं. भारत के अलावा अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, कतर, कुवैत जैसे देशों में उन्होंने डांस किया.

sudha-2-750x500_062619060611.jpgसुधा चंद्रन ने कई सारी फिल्मों में भी काम किया है. फोटो- फेसबुक

डांसिंग के साथ-साथ एक्टिंग का भी तगड़ा शौक था, इसलिए फिल्मों में किस्मत आजमाई. पहली फिल्म की मयूरी. तेलुगु फिल्म थी. डांसिंग पर ही ये फिल्म बनी थी. 1985 में आई थी. इसी फिल्म का रिमेक हिंदी में भी बना. 1986 में 'नाचे मयूरी' टाइटल के साथ. इसमें भी सुधा ही लीड रोल में थीं. फिल्म का गाना 'झूम-झूम-झूम-झूम... नाच मयूरी' काफी फेमस हुआ था. इसमें सुधा ने जबरदस्त डांस करके अपनी डांसिंग का लोहा मनवा दिया था.

फिर तो डांसिंग के साथ-साथ एक्टिंग का सफर भी बढ़िया से चल पड़ा. कई सारे टीवी सीरियल्स में सुधा ने काम किया. बहुत से सीरियल्स में निगेटिव रोल भी प्ले किया. स्टार प्लस के सीरियल 'कहीं किसी रोज' में रमोला सिकंद का रोल प्ले किया था. ये रोल आज तक लोगों को याद है. नागिन सीरियल के पहले, दूसरे और तीसरे सीजन में सुधा ने निगेटिव रोल ही प्ले किया था. इसके अलावा स्टार प्लस के ही सीरियल 'ये हैं मोहब्बतें' में भी सुधा निगेटिव में ही थीं. लोग सुधा को निगेटिव रोल में काफी ज्यादा पसंद करते हैं.

इन सीरियल्स के अलावा सुधा ने तुम्हारी दिशा, के स्ट्रीट पाली हिल्स, कस्तूरी जैसे सीरियल्स में भी काम किया है. सुधा आज टीवी और इंडियन सिनेमा, दोनों की ही एक दमदार एक्ट्रेस बन चुकी हैं.

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