पहले दहेज, फिर गर्भपात के लिए टॉर्चर किया, आखिर में बच्चे को जन्म देकर बहू ने फांसी लगा ली
घरवालों ने शादी में 17 लाख कैश दिए थे, फिर भी और दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे.

ज्योति बाला पटना की रहने वाली थी. अच्छी पढ़ी लिखी औरत थी. द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर थी. ज्योति की उम्र 30 साल थी. हम यहां पर ज्योति के लिए 'थी' शब्द का इस्तेमाल इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अब ज्योति इस दुनिया में नहीं है. वो मर चुकी है. उसने सुसाइड कर लिया है. खुद को खत्म कर लिया है. लेकिन सवाल ये है कि ज्योति ने ये कदम उठाया क्यों? इसका जवाब है 'दहेज, घरेलू हिंसा, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना'. ज्योति के साथ भी वही हुआ, जो हमारे देश की कई लड़कियों के साथ होता आया है, और हो रहा है. उसकी शादी हुई. ससुराल वालों ने बड़ा सा मुंह फाड़ते हुए पैसे मांग लिए. कहा ये तो चलता है, देना तो पड़ता है. जब मन मुताबिक पैसा नहीं मिला, तो लड़की को परेशान करना शुरू कर दिया. इतना परेशान किया, कि उस लड़की को अपनी जिंदगी से ही नफरत हो गई. और फिर उसने खुद को खत्म कर लिया.
क्या है ज्योति बाला की कहानी? ये जानने के लिए हमने ज्योति की मां और उसकी बहन नियती से बात की. हमें जो कुछ भी पता चला, हम आगे लिख रहे हैं.
साल 2017 की बात है. ज्योति उस वक्त 28 साल की थी. उसके मां-बाप उसके लिए दूल्हा खोज रहे थे. कई साल की खोज के बाद उन्हें एक लड़का मिला. नाम था विमल वर्मा. विमल का परिवार भी पटना में ही रहता था. लेकिन विमल रहता था उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में. वहां वो बैंक ऑफ बड़ौदा में सीनियर मैनेजर था.
विमल और ज्योति के घरवालों ने आपस में मुलाकात की. सब कुछ जम गया. दोनों तरफ से हां हो गई. नवंबर 2017 में ज्योति और विमल की शादी हो गई. शादी में ज्योति के घरवालों ने टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, पलंग, कूलर, एसी, लड़के-लड़की के गहने, घर के सारे बर्तन, यानी सारा घरेलू सामान दिया. करीब 17 लाख रुपए कैश भी दिए. सोचा कि लड़की खुश रहेगी. उसे किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लड़की खुश नहीं रही.
ज्योति का पति विमल उससे ठीक से बात ही नहीं करता था.
शादी के बाद ज्योति जब अपने ससुराल पहुंची, तब कुछ दिनों तक सब ठीक रहा. लेकिन करीब 1 महीने बाद ही उसे लोग दहेज के लिए परेशान करने लगे. कहने लगे कि वो ज्यादा दहेज लेकर नहीं आई है. और पैसे मांगने लगे. अब मायका और ससुराल एक ही शहर में था, इसलिए ज्योति जब भी अपने घर जाने की कहती, उसके ससुराल में से कोई उसे उसके मायके लेकर जाता. कुछ मिनटों की मुलाकात के बाद अपने साथ वापस ले आता. ज्योति को अकेले में अपनी मां से मिलने का वक्त ही नहीं मिलता. इसलिए वो ये बात किसी को बता भी नहीं पाती.
इधर विमल भी ज्यादा वक्त सुल्तानपुर में ही रहता. ज्योति के साथ ज्यादा टाइम भी नहीं बिताता. ज्योति कहती कि शनिवार और रविवार को उसका ऑफ होता है, अगर विमल कहे तो वो इन दो दिनों के लिए सुल्तानपुर आ सकती है. ऐसे में दोनों साथ में टाइम भी बिता लेंगे. लेकिन विमल मना कर देता. कहता कि वो पहले अपने घर से पैसे लेकर आए, तब ही वो साथ में रहेगा. इसके अलावा ज्योति के ससुराल वालों की नजर उसकी सैलेरी पर भी थी. वो चाहते थे कि ज्योति अपनी सारी सैलेरी उन्हें दे दे. लेकिन ज्योति ऐसा करने के लिए राजी नहीं थी. इस वजह से भी उसे और ज्यादा परेशान किया जाने लगा.
उसके ससुराल में उससे कोई ठीक से बात नहीं करता. दहेज के लिए ताने मारते रहते. मायके में भी ज्यादा समय नहीं बिताने देते. अकेले मायके भी नहीं जाने देते, इस डर से कि कहीं ज्योति ये सबकुछ अपनी मां को न बता दे. विमल भी साथ नहीं रहता. दो या तीन महीने में एक बार आता. उससे ठीक से बात भी नहीं करता. ये सारी परेशानियां ज्योति अकेले झेल रही थी.
इसी तरह 8 महीने बीत गए. पिछले साल जुलाई के महीन में ज्योति को पता चला कि वो प्रेगनेंट है. उसने विमल को कॉल करके ये बात बताई. विमल ने कहा कि वो बच्चा एबॉर्ट करवा ले. ज्योति नहीं मानी. फिर विमल उसी रात आनन-फानन में सुल्तानपुर से पटना आ गया. ज्योति के ऊपर दबाव बनाने लगा कि वो बच्चा एबॉर्ट करवा दे. ज्योति बच्चे को जन्म देना चाहती थी. वो नहीं मानी. इस वजह से विमल और ज्योति के बीच झगड़ा भी होने लगा.
ज्योति अपनी सास के साथ.
विमल ने उसे एक दवा भी दी, खाने के लिए. कहा कि इससे एबॉर्शन हो जाएगा. ज्योति ने वो दवा नहीं खाई. वो दूसरे दिन ऑफिस पहुंच गई. वहां विमल ने उसे कॉल किया. और कहा कि उसने एक डॉक्टर से अपॉइंटमेंट ले ली है, बच्चा एबॉर्ट कराने के लिए. ज्योति डर गई. उसने अपने मां-बाप को कॉल किया, और सब बता दिया. वो फोन पर रो रही थी, इसलिए उसके मां-बाप उसे लेने के लिए ऑफिस आ गए. और अपने साथ घर ले जा लिया.
बाद में उन्होंने ज्योति के ससुराल में कॉल किया. विमल अपनी जिद पर अड़ा रहा. वो ज्योति से यही कहता, कि वो एबॉर्शन करवा ले, और अपनी सारी सैलेरी अपने सास-ससुर को देने लगे. फिर सब ठीक हो जाएगा. ज्योति नहीं मानी. विमल उसे लेने भी नहीं आया. फोन पर ज्योति जब भी विमल से बात करती, वो एक ही बात कहता, 'बच्चा एबॉर्ट करवा लो'. इसी तरह कुछ महीने और बीत गए. धीरे-धीरे विमल और ज्योति के बीच कॉन्टैक्ट खत्म सा हो गया. इस बीच ज्योति के माता-पिता, उसके ससुराल भी गए. उसके सास-ससुर से बात करने के लिए. ताकि सब ठीक हो जाए. लेकिन कुछ बात नहीं बनी. हालांकि ज्योति के ससुराल वालों से बात होती रहती थी. इधर ज्योति ने एक बेटे को जन्म भी दे दिया. इसके बाद एक बार फिर ज्योति के मां-बाप ने उसके ससुराल में कॉन्टैक्ट किया. बच्चे के बारे में बताने के लिए. ज्योति की सास ने कहा, कि वो मिलने आएगी. लेकिन कोई मिलने नहीं आया. इतना ही नहीं, ज्योति के ससुराल के हर व्यक्ति ने ज्योति और उसके मां-बाप के नंबर्स को ब्लॉक कर दिया. कॉन्टैक्ट एकदम खत्म कर दिया.
ज्योति मैटरनिटी लीव पर थी. अपने मायके में ही थी. वो हमेशा परेशान रहती थी. इस बीच उसकी एक बड़ी बहन नियती, जो मुंबई के पास वसई में रहती थी, वो घर आई. उसने ज्योति को गुमसुम देखा, तो अपने साथ अपने घर ले गई. उन लोग 31 मई को वसई पहुंचे थे. ज्योति कुछ दिन तक ठीक रही. धीरे-धीरे सबसे बात भी करने लगी. लेकिन फिर 9 जून का दिन आया. उस दिन शाम को नियती, उसका पति, उसका एक बेटा, सब घर से बाहर थे. ज्योति का तीन माह का बच्चा भी नियती के साथ ही था. ज्योति घर पर अकेली थी. उसी वक्त उसने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली.
ज्योति और उसका पति विमल.
नियती जब घर पहुंची, तब उसने बेडरूम में ज्योति को फांसी पर लटका पाया. उसने तुरंत पुलिस को कॉल किया. पुलिस पहुंची, छानबीन की, तो उन्हें एक सुसाइड नोट मिला. जिसमें ज्योति ने साफ-साफ लिखा था कि वो अपने ससुराल वालों और पति की वजह से सुसाइड कर रही है. वो अपने और अपने बच्चे के लिए न्याय चाहती है.
इधर ज्योति के पति और ससुराल वालों को जब कॉल किया, तब उन लोगों ने ठीक से कोई बात नहीं की. पुलिस जब उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची, तब देखा कि पटना में उनके घर पर ताला लटका हुआ है. और जिस-जिस ऑफिस में ये लोग काम करते हैं, वहां इन्होंने छुट्टी का आवेदन दे रखा है. सबके फोन भी स्विच ऑफ बताए जा रहे हैं. इस मामले में पुलिस ने ज्योति के पति विमल वर्मा, सास मीरा शरन, ससुर विजय प्रकाश वर्मा, ननद दीपा वर्मा, नंदोई अविनाश, और एक और ननद मोनी वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
ज्योति की ननद मोनी. ज्योति की दूसरी ननद दीपा और उसका पति अविनाश.
हमने इस मामले में अपडेट लेने के लिए इन्वेस्टीगेशन अधिकारी अनंत पराड से बात की. उन्होंने बताया कि अभी सभी के सभी आरोपी फरार हैं. सबके घरों में ताला डला हुआ है. और किसी ने भी अपना ऑफिस जॉइन नहीं किया है. हमने भी ज्योति के ससुराल वालों को कॉल किया, लेकिन उनका नंबर स्विच ऑफ आ रहा है.
वहीं इस वक्त ज्योति के घरवाले बहुत परेशान है. वो लोग पुलिस की लेटलतीफी से दुखी हैं. वो जल्द से जल्द कार्रवाई चाहते हैं. वो चाहते हैं कि ज्योति के सुसाइड के आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए. इसके लिए उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश कुमार, महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फड़नवीस, प्रधानमंत्री कार्यालय, बिहार महिला आयोग, नेशनल विमन कमीशन, बिहार सरकार और डीजीपी बिहार, हर किसी को लेटर लिख दिया है. लेटर ईमेल भी किया है और हार्ड कॉपी भी पहुंचाई है. वहीं नियती भी लगातार ट्विटर पर अपनी बहन को न्याय दिलाने की गुहार लगा रही हैं.
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