दुनिया की पहली 'सेल्फी' तब खींची गई थी जब महात्मा गांधी का जन्म भी नहीं हुआ था

यही नहीं, जानिए ये शब्द आखिर आया कहां से ?

सांकेतिक तस्वीर

90 के दशक में बड़ी हुई पीढ़ी पर जितने मीम बने हैं, उतने शायद ही किसी दूसरी जेनेरेशन पर बने हों. मीम क्या? मीम वही जो इंटरनेट पर तस्वीरों के ऊपर फनी-फनी वन लाइनर लगा कर डाले जाते हैं. कुछ लोग उनको मेमे भी बोलते हैं. दोष अंग्रेजी का है. कतई फन्नी लैंग्वेज जो ठहरी.

खैर, जैसे कई चीज़ों में 90 के दशक वाली पीढ़ी आगे रही है, एक और चीज़ में उसको पिछली जेनेरेशन के ऊपर बढ़त मिली. जिसका उसने खूब फायदा भी उठाया. वो था कम्युनिकेशन की दुनिया में एकदम जलजले वाला रेवोल्यूशन.

पिछली पीढ़ी लम्बे-लम्बे तारों वाली लैंड लाइन और ईंट जैसे मोबाइल फोन में अटकी रही. ये वाली आगे निकल कर डिब्बी जैसे फोन की दुनिया में पहुंच गई.

इंटरनेट आया. इंटरनेट के साथ दुनिया में कनेक्टिविटी आई. कनेक्टिविटी से भी पहले कैमरा आया. कैमरे की तस्वीरें आईं. पहले तस्वीरें खींचने में 15 से 20 मिनट लग जाते थे. अब उससे आधे समय में वो तस्वीर वायरल हो जाती है. लाखों करोड़ों लोगों तक पहुंच जाती है. तस्वीर, फ़ोन और कनेक्टिविटी की बात यहां क्यों चल रही है?

क्योंकि इन्हीं तीन चीज़ों ने मिलकर साल 2000 के बाद के सबसे बड़े फेनोमेनन में से एक को जन्म दिया. उसे सेल्फी कहते हैं. 21 जून को वर्ल्ड सेल्फी डे मनाते हैं. इस मौके पर पढ़िए सेल्फी का इतिहास.

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सेल्फी का मतलब खुद से खुद की ली गई तस्वीर. सेल्फ पोर्ट्रेट. आत्मचित्र. कोई पेंटर अपनी तस्वीर पेंट करे, तो भी उसे सेल्फी कहेंगे. आज की भाषा में. लेकिन हाल-फिलहाल इसका मतलब फ़ोन या कैमरा से खुद की खींची गई तस्वीर तक ही लिमिटेड रखा गया है.

लेकिन ये शब्द आया कहां से? किसने ली थी दुनिया के इतिहास में पहली सेल्फी? किसने दिया इसे ये नाम?

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साल 2013 में ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी ने सेल्फी को वर्ड ऑफ़ द इयर घोषित किया. स्मार्टफोन आने के बाद से सेल्फी खींचना लोगों के एक शौक की तरह सामने आया है. ऐसे कई एप भी हैं मार्किट में जो आपकी सेल्फी निखार सकते हैं. चेहरे से दाग धब्बे हटाकर स्किन साफ़ दिखा सकते हैं. कई फ़ोन तो सेल्फी फोन्स की तरह बेचे जा रहे हैं. ये तो हुई आज की बात.

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पहली सेल्फी लेने का क्रेडिट जाता है रोबर्ट कॉर्नेलियस को. फोटोग्राफर थे. अपनी खुद की फोटो खींची थी. कैमरे का लेंसकैप (लेंस को ढकने वाला कैप) हटाया. जाकर सामने बैठ गए. फिर दौड़ कर आये, और लेंसकैप वापस लगा दिया. साल? 1839.

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गांधी जी तब तक पैदा भी नहीं हुए थे.

ग़दर नहीं हुआ था.

‘तब कहां थे’ पूछने वाले लोग और अंग्रेज थे इधर देश में बस.

इसके बाद जो रिकार्डेड इतिहास है, उसके हिसाब से रशिया की डचेस एनास्टेसिया रोमानोव ने अगली सेल्फी खींची थी. ये और भी ज्यादा मॉडर्न थी. उन्होंने आईने के सामने खड़े होकर फोटो खींची थी. 1914 में. पहला विश्व युद्ध उस समय शुरू हो रहा था. 

इससे थोड़ा और आगे आते हैं. 1920 में जोसफ बायरोन ने अपने दोस्तों के साथ अपनी सेल्फी खींची. इसमें उन्होंने कैमरा उलट कर फोटो ली थी. पहला विश्व युद्ध ख़त्म हो चुका था, दूसरा अभी लगभग दो दशक दूर था.

अक्सर लोग बाथरूम में फोटो खींचते नज़र आते हैं. इसके पीछे वजह क्या है, कभी सोचा नहीं, शायद वहां की लाइटिंग अच्छी होती है. या बड़े साइज़ के शीशे होते हैं जिसमें फोटो पूरी आती. खैर, लब्बोलुआब ये कि आम आदमी से लेकर सेलेब्रिटी तक बाथरूम सेल्फी लेते नज़र आते हैं.

क्या आप जानते हैं पहली बाथरूम सेल्फी किसने और कब ली थी?

फ्रैंक सिनात्रा ने. 1938 में. फ्रैंक सिनात्रा काफी जाने माने सिंगर और कम्पोजर रहे. उन्होंने ये सेल्फी अपने होटल के बाथरूम में खड़े होकर ली थी. इस समय दूसरा विश्व युद्ध बेहद नज़दीक था.

सेल्फी शब्द हालांकि थोड़ी देर से आया. कहां से आया ?

ऑस्ट्रेलिया से.

जैसे हर जगह की हिंदी और अंग्रेजी दूसरी जगह की हिंदी और अंग्रेजी से अलग होती है, वैसे ही ऑस्ट्रेलिया की अंग्रेजी थोड़ी डिफरेंट है. वहां पर किसी भी शब्द को छोटा करके बोलना हो तो अंत में –ie लगा देते हैं लोग. जैसे Sunglasses को Sunnies बोल देते.

वैसे ही 2002 में नेथन होप नाम के एक लड़के ने ऑस्ट्रेलिया के एक ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी फोटो डाली, और उसके साथ Selfie शब्द का इस्तेमाल किया.

वहां से ये शब्द चल कर कहां से कहां पहुंच गया. 2013 में वर्ड ऑफ द इयर तो बना ही, साथ ही साथ पूरी दुनिया में इतना फ़ैल गया कि अब कई लोगों का दिन ही सेल्फी लिए बिना पूरा नहीं होता. सेल्फ पोर्ट्रेट बोलने में बड़ी अजीब सी फीलिंग आती है. सेल्फी शब्द बोलने में क्यूट लगता है.

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लेकिन ये क्यूट शब्द खतरे से खाली भी नहीं.

रिपोर्टों की मानें तो 2014 से 2016 तक तकरीबन 54 मौतें भारत में सेल्फी लेते हुए हुईं. भारत सरकार ने कई जगहों पर नो सेल्फी ज़ोन के बोर्ड भी लगाए हैं. इसलिए खींचिए सेल्फी, लेकिन पोल में भिड़ने से बचिए. इधर उधर फिसलने से बचिए. जान है तो सेल्फी है.

 

 

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