अनजान शहर में ओला ड्राइवर अंधेरी और सुनसान जगह ले गया, लड़की ने सुनाई आपबीती

न भाषा आती थी, न सड़कों के नाम पता थे. अपनी हिम्मत और समझ के अलावा कुछ नहीं था.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
दिसंबर 13, 2018
महिला ने ट्विटर पर पूरे मामले के बारे में बताया. फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर

35 साल की आकांक्षा हज़ारी मुंबई की रहने वाली हैं. एक प्राइवेट कंपनी की फाउंडर और सीईओ हैं. 10 दिसंबर को वो किसी काम से बेंगलुरु आई थीं. अब उस शहर में उनके पास गाड़ी तो थी नहीं, इसलिए बाकी लोगों की तरह उन्होंने भी कैब बुक कर ली. पर उस वक़्त आकांक्षा को ये नहीं पता था कि उनके साथ अगले कुछ घंटों में क्या होने वाला है.

करीब 11.30 बजे आकांक्षा कैब में बैठीं. जो रास्ता ड्राइवर को लेना था, वो टोल से होकर गुज़रता था. पर ड्राइवर ने गाड़ी वहां नहीं मोड़ी. उल्टा एक सुनसान रास्ता पकड़ लिया. जब आकांक्षा ने ड्राइवर से पूछा तो उसने कहा कि वो जानबूझकर टोल वाली सड़क से नहीं जा रहा. उसके पास टोल देने के पैसे नहीं हैं. पर जिस सड़क से होकर वो जा रहा था वो एकदम सुनसान और अंधेरी थी.

आकांक्षा ने ड्राइवर से कहा कि वो गाड़ी मोड़े और उस रूट से चले जो उसे ऐप बता रही है. इसके बाद चीज़ें बद से बदतर हो गईं. ड्राइवर तैश में आ गया. उसने आकांक्षा को गाड़ी से उतरने को कहा. आकांक्षा ने ऐतराज़ जताया. उस सड़क पर केवल अंधेरा था और कुछ आदमी. आकांक्षा ने तुरंत कैब में इमरजेंसी बटन दबा दिया. आजकल कई कैबों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक लाल रंग का इमरजेंसी बटन होता है. जिसे वो मुसीबत के समय दबा सकती हैं. इसके बाद उन्हें तुरंत कैब के सर्विस सेंटर से फ़ोन आता है और वो अपनी परेशानी बता सकती हैं.

जब आकांक्षा को फ़ोन आया तो उन्होंने पूरी बात कस्टमर सर्विस वाले को बताई. उसने ड्राइवर से बात की और उसे हाईवे से जाने को कहा. साथ ही उसने कहा कि वो आकांक्षा की गाड़ी को अपने ऑफिस से ट्रैक करता रहेगा. अगर ड्राइवर कोई गलत रास्ता फिर से लेगा तो वो तुरंत आकांक्षा को फ़ोन करेगा.

कुछ मिनट के बाद ड्राइवर ने फ़ोन पर फ़ोन करना शुरू कर दिए. वो कन्नड़ में बात कर रहा था. आकांक्षा को डर था कि कहीं वो किसी को फ़ोन करके लोकेशन पर न बुला ले. आकांक्षा को वैसे भी कन्नड़ समझ में नहीं आ रही थी. तो ड्राइवर फ़ोन पर क्या बोल रहा था उन्हें पता नहीं चल पा रहा था. इसके बाद ड्राइवर ने फिर से गाड़ी रोक दी और फ़ोन करता रहा. आकांक्षा बुरी तरह डर गईं. उनके आसपास कुछ भी नहीं था. वो ओला से सिक्यूरिटी ऑफिसर के फ़ोन का इंतज़ार करती रहीं. ओला वालों ने कहा था कि अगर गाड़ी कहीं भी रुकेगी तो वो तुरंत आकांक्षा को फ़ोन करेंगें. पर कोई फ़ोन नहीं आया.

आकांक्षा ने दहशत में आकर 10 बार इमरजेंसी बटन दबाया फिर भी उन्हें फ़ोन नहीं आया. इसके बाद उन्होंने 100 नंबर पर पुलिस को फ़ोन किया और कार का नंबर दिया. वो चाहकर भी उन्हें ये नहीं बता पा रही थीं कि वो कहां हैं. आकांक्षा को न बेंगलुरु के रास्ते पता थे न जगहें. उनका आखिरी सहारा पुलिस थी, पर इससे पहले और बात हो पाती फ़ोन कट गया.

आकांक्षा ने थक-हारकर फिर से ओला ऑफिस में फ़ोन किया. इस बार उनकी बात हो गई. पर जब ओला से फ़ोन ड्राइवर के पास आया तो उसका फ़ोन बिज़ी जा रहा था. आख़िरकार ओला के सिक्यूरिटी ऑफिसर की बात ड्राइवर से हो पाई. उसके बाद ऑफिसर ने कहा कि आकांक्षा ड्राइवर का फ़ोन स्पीकर पर ही रखें, जब तक वो अपने डेस्टिनेशन तक न पहुंच जाएं.

आकांक्षा की किस्मत अच्छी निकली की वो सही सलामत वहां पहुंच पाईं जहां उन्हें जाना था. घर आने के बाद उन्होंने पूरा मामला ट्विटर पर लिखा. तब जाकर ओला ने उस ड्राइवर को काम से निकला. बेंगलुरु पुलिस ने भी आकांक्षा के ट्वीट के जवाब दिए. पर बाद में केस बेंगलुरु इंटरनेशनल एअरपोर्ट पुलिस स्टेशन को दे दिया.

कोई भी लड़की आकांक्षा की दहशत अच्छे से महसूस कर सकती है. कितनी बार हम घर जाने के लिए ऑफिस से कैब लेते हैं. पर अगर ऐसा कुछ हो जाए तो हम क्या करेंगे. और हर बार किस्मत के भरोसे तो अपनी सेफ्टी नहीं छोड़ सकते न? क्या पता कब किसका दिमाग फिर जाए. कैब के अंदर इमरजेंसी बटन का क्या फ़ायदा अगर समय पर मदद न मिले?

देशभर में कई औरतें इन कैब्स के भरोसे घर से बाहर निकलती हैं. पर दिल में ये डर हमेशा रहता है कि घर वापस जा पाएंगी या नहीं.

 

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