क्या पिता के एक सपने ने अयोध्या की राजकुमारी को कोरिया की महारानी बनाया था?

अयोध्या की वो राजकुमारी, जो 2000 साल पहले कोरिया की महारानी बनीं

लालिमा लालिमा
नवंबर 06, 2018

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति हैं- मून-जे-इन. इनकी पत्नी हैं किम जोंग-सुक. ये इस वक्त भारत में हैं. पहली बार ऐसा हुआ है कि किम जोंग-सुक, राष्ट्रपति के बिना, यानी अकेले ही, किसी विदेशी दौरे पर हैं. वो 4 नवंबर को दिल्ली पहुंचीं. कल यानी 5 नवंबर को लखनऊ पहुंचीं. जहां यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया.

drqae23v4aeanrk_750x500_110618033022.jpgकोरिया की फर्स्ट लेडी किम जोंग-सुक और योगी आदित्यनाथ. फोटो- ट्विटर

किम जोंग-सुक आज यानी 6 नवंबर को अयोध्या जाएंगी. वहां दिवाली के एक दिन पहले दीपोत्सव का बहुत ही शानदार प्रोग्राम होता है. उसमें शामिल होंगी. चीफ गेस्ट हैं वो इस कार्यक्रम की. इसके अलावा अयोध्या में 6 नवंबर को कोरिया थीम पार्क का शिलान्यास किया जाना है, इसमें भी किम जोंग-सुक शामिल होंगी.

driqviruuaa6sfn_750x500_110618033038.jpgदिवाली में सजा अयोध्या.

कोरिया की फर्स्ट लेडी, महारानी सुरीरत्ना की स्मारक भी जाएंगी. अब महारानी सुरीरत्ना कौन हैं? बताते हैं. सुरीरत्ना अयोध्या की वो राजकुमारी हैं, जो कोरिया की महारानी बनी थीं. आज से 2000 साल पहले. कोरिया भाषा में इनका नाम 'नी हु ह्वांग ओक-अयुता' है. इन्हें 'महारानी हौ' भी कहते हैं. महारानी हौ के कारण ही, कोरिया से हर साल बहुत से लोग अयोध्या आते हैं. उनके स्मारक पहुंचकर, उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं. किम जोंग-सुक भी उनकी स्मारक जाएंगी.

dq0ncowwwayf5gx_750x500_110618033126.jpgमहारानी हौ. फोटो- ट्विटर

अयोध्या में सरयू नदी के किनारे संत तुलसीघाट है. वहीं महारानी हौ का स्मारक बना है. साल 2000 में बना था. उनकी याद में एक छोटा सा पार्क भी बना है. इसी स्मारक के सामने, अब कोरिया थीम पार्क बनेगा. जिसका आज शिलान्यास होगा. यानी पार्क के बनने का काम शुरू होगा.

drprcqgu0aikkgt_750x500_110618033154.jpgपीएम मोदी के साथ कोरिया की फर्स्ट लेडी किम जोंग-सुक. फोटो- ट्विटर

'महारानी हौ' कैसे पहुंचीं कोरिया?

ये सबसे बड़ा सवाल है कि महारानी हौ, कोरिया कैसे पहुंचीं. आज से 2000 साल पहले, महारानी हौ यानी सुरीरत्ना के पिता को एक सपना आया था. सपने में उन्हें भगवान ने आदेश दिया था कि उन्हें उनकी बेटी की शादी राजा सू-रो से करानी चाहिए, जिसके लिए सुरीरत्ना को कोरिया जाना होगा.

ये बात चीनी भाषा के दस्तावेज सामगुक युसा में लिखी गई है. कोरिया के इतिहास के भी कुछ पुस्तकों में अयोध्या की राजकुमारी के बारे में लिखा हुआ है, लेकिन भारत के इतिहास में इस तरह का कुछ नहीं लिखा है. लेकिन, जब कोरिया वालों ने इस बात का दावा किया कि उनकी महारानी अयोध्या से थीं, तब भारत ने भी इस मामले में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी.

45455359_1171342366354493_2905944476990046208_n_750x500_110618033224.jpgअयोध्या में महारानी हौ की स्मारक. फोटो ट्विटर

आगे बढ़ते हैं. अब जब सुरीरत्ना के पिता को सपना आया, तब उन्होंने सुरीरत्ना को कोरिया भेज दिया. समुद्र के रास्ते. उनके साथ अयोध्या से बहुत सारे लोग गए. लंबा सफर तय करके सुरीरत्ना दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर पहुंच गईं. उसके बाद कभी भी अयोध्या वापस नहीं लौटीं. उन्होंने वहां राजा किम सू-रो से शादी कर ली.

hgfhgfhgfhhgf_750x500_110618033300.jpgमहारानी हौ और राजा सू-रो. फोटो- ट्विटर

ये तो एक कहानी है. कुछ लोगों का ये कहना है कि राजकुमारी अपने परिवार के 22 लोगों के साथ समुद्र के रास्ते कोरिया गई थीं. वहां पहुंचते-पहुंचते, समुद्र एक सैलाब जैसा आया, जिससे उनका जहाज टूट गया. उनके साथ के कई लोगों की मौत हो गई, तो कई लोग बेहोश हो गए. राजकुमारी भी बेहोश हो गईं. तब राजा सू-रो को सपना आया कि एक राजकुमारी बेहोश पड़ी हैं, उनसे शादी कर लो. जिसके बाद राजा ने सुरीरत्ना से शादी की. इसके अलावा भी कई कहानियां हैं सुरीरत्ना के बारे में. ज्यादातर लोग पिता के सपने वाली कहानी पर भरोसा करते हैं.

महारानी हौ के वंशज- 'कारक'

आज कोरिया के करीब 60 लाख लोग खुद को राजा किम सू-रो और महारानी हौ के वंशज बताते हैं. इस कहानी पर यकीन करते हैं. महारानी हौ को पूजते हैं. और उनपर यकीन करने वाले कोरियाई लोगों की संख्या, यानी कारक वंश के लोगों की संख्या, कोरिया की पूरी आबादी का 10 फीसदी है.

drpnbgpvaainiit_750x500_110618033327.jpgपीएम मोदी के साथ कोरिया की फर्स्ट लेडी किम जोंग-सुक. फोटो- ट्विटर

कहा जाता है कि महारानी हौ ने, कोरिया आते वक्त नाव का बैलेंस बनाए रखने के लिए कई सारे पत्थर भी रखे थे. यानी वो अपने साथ ढेर सारे पत्थर लेकर आई थीं. उन पत्थरों को कारक वंश के लोगों ने आज भी संभालकर रखा है. और महारानी हौ की जो कब्र है, उसपर भी यही पत्थर लगे हैं. दक्षिण कोरिया के पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग, जोंग पिल-किम और पूर्व राष्ट्रपति किम डेई जंग, कारक वंश के ही थे.

कोरिया से तो महारानी हौ को मानने वाले कई लोग हर साल अयोध्या आते ही हैं, लेकिन अयोध्या से भी कई लोग अब कोरिया जाने लगे हैं. अयोध्या के राजपरिवार से आने वाले बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र भी कोरिया जा चुके हैं. खैर, महारानी हौ की कहानी सच है या नहीं, ये तो कोई नहीं जानता. सच जो भी हो, लेकिन भारत और कोरिया के वर्तमान में जो रिश्ते हैं, उनमें महारानी हौ की कहानी बहुत ही अहम रोल निभा रही है. एक तरह से मजबूती ही दे रही हैं.

 

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