दूल्हे ने दहेज लेने से मना किया तो ससुराल वालों ने गजब की चीज पकड़ा दी

जिसने देखा उसकी आंखें खुली की खुली रह गईं.

आए दिन अखबार के पन्ने दहेज प्रताड़ना से जुड़ी खबरों से पटे होते हैं. दहेज के लिए मारपीट, दहेज हत्या, दहेज के लिए मेंटल टॉर्चर. यही सब रोज पढ़ने को मिलता है. लेकिन इन सबके बीच दहेज से जुड़ी एक खूबसूरत खबर सामने आई है. दहेज और खूबसूरत. आप सोच रहे होंगे ये क्या मज़ाक है. लेकिन खबर पढ़कर आपको भी अच्छा ही लगेगा.

तो हुआ ये कि एक दूल्हे और उसके परिवार ने दहेज लेने से मना कर दिया. लड़की के घरवालों ने सोचा बेटी को ऐसे खाली हाथ कैसे भेजें. फिर क्या था, दुल्हन ने गिफ्ट में अपने पिता से किताबें मांग लीं. शादी के तोहफे में पिता ने अपनी बेटी और दामाद को 1000 किताबें दीं, जिनकी कीमत करीब 1 लाख रुपये है.

अब पढ़िए पूरी कहानी-

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में सोनारपुर गांव है. सूर्यकांत बारिक इस गांव के प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश पढ़ाते हैं. पढ़ने के शौकीन हैं. शादी से पहले उन्होंने अपने ससुराल वालों से साफ-साफ कह दिया कि वो किसी भी तरह का दहेज नहीं लेंगे.

द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 14 मई को सूर्यकांत पूर्वी मिदनापुर के खेजुरी गांव बारात लेकर पहुंचे. उनकी प्रियंका से शादी थी, जो मगबेरिया कॉलेज में म्यूजिक की फाइनल ईयर की स्टूडेंट हैं. जब सूर्यकांत वहां पहुंचे, तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं.

वहां मंडप के पास रखीं किताबें सभी के लिए एक सरप्राइज थीं. ये पूरा आईडिया प्रियंका के घर वालों का था. उन्होंने ये तय किया कि वो गिफ्ट में किताब देंगे.

दूल्हा और दूल्हन का ये कहना है-

बारिक ने कहा कि जब वो वहां पहुंचे तो किताबों का ढेर देखकर वो भौच्चक रह गए. उनके लिए ये किसी सरप्राइज से कम नहीं था. सूर्यकांत की फैमिली ने बताया कि एक लाख रुपए की करीब एक हजार किताबें वहां पहले से ही रखी हुईं थीं, जो गिफ्ट की गई थीं.

वहीं, प्रियंका ने बताया कि

'मेरी फैमली को पता है कि मैं दहेज के सख्त खिलाफ हूं. और मैं काफी खुशकिस्मत हूं कि मुझे ऐसा पति मिला जो ये बातें समझता है. मेरे पापा को ये भी पता है कि मुझे किताबें पढ़ना पसंद है. इसलिए उन्होंने हमें ये गिफ्ट दिया है.'

boook_750x500_052219010558.jpgगिफ्ट की गई किताबें. तस्वीर : द टेलीग्राफ.

प्रियंका के पापा का नाम असित बेज है. वो एक म्यूजिक टीचर हैं. किताबों को खरीदने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की. वो कलकत्ता गए, वहां के कॉलेज स्ट्रीट शॉप से किताबें खरीदी.

गिफ्ट में इस तरह की किताबें हैं-

उसके बाद वो रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ के पब्लिकेशन हाउस उद्बोधन कार्यालय गए. वहां से उन्होंने रामकृष्ण, शारदा देवी, स्वामी विवेकानंद और उनकी बहन निवेदिता पर किताबें खरीदीं.

गिफ्ट में रबींद्रनाथ टैगोर, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय और शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की किताबें भी शामिल हैं. इसके साथ ही हैरी पॉटर की भी कुछ किताबें प्रियंका के पिता ने खरीदीं. ये सभी किताबें ट्रक से पूर्वी मिदनापुर लाई गईं.

बारिक का कहना है कि इतनी किताबें उन्हें मिली हैं, वो खुद की एक लाइब्रेरी शुरू करेंगे. ये लाइब्रेरी घर में होगी, जिसमें आस-पास के लोग आकर भी किताबें पढ़ सकेंगे.

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