वो 'रानी' जो सिंहासन पर नहीं, व्हीलचेयर पर बैठकर राज करती है

मदद करने वालों ने ही यौन शोषण किया, मगर ये लड़की सबसे लोहा लेती रही.

Tina Das Tina Das
अप्रैल 25, 2018
विराली मोदी. Photo Courtesy: Facebook/ ViraliModi

'उड़ान' सीरीज में हम बता रहे हैं ऐसी महिलाओं की कहानी, जिन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता की एक नई परिभाषा तय की है. जिन्होंने हालात से हार मानने की बजाए अपने हौसले से न सिर्फ खुद को बल्कि अपने जैसे तमाम लोगों को आगे बढ़ने की उम्मीद दी है. इस सीरीज की और कहानियां पढ़ने के लिए स्टोरी के नीचे बने टैग पर क्लिक करें.

"मुझे अमेरिका में डॉक्टरों ने तीन बार मरा हुआ डिक्लेयर किया. मुझे ये नहीं पता था कि कोमा से बाहर आने के बाद मेरा लक्ष्य क्या है. गर्दन के नीचे से मैं पैरालिसिस का शिकार हो गई थी. 10 साल बाद मुझे पता है कि मेरा मकसद जितने लोगों को हो सके, उतने लोगों को प्रेरित करना है."

ये कहना है विराली मोदी का.

कौन हैं विराली मोदी?

विराली मोदी एक मॉडल, एक्ट्रेस, एक्टिविस्ट हैं और मोटिवेशनल स्पीकर हैं. विराली वही हैं, जिन्होंने इंडिया के रेलवे और होटलों को दिव्यांग लोगों के अनुकूल बनाने की जंग छेड़ रखी है. विराली को भारत प्रेरणा अवॉर्ड 2018 से सम्मानित किया गया है.

विराली को भारत प्रेरणा अवॉर्ड 2018 से सम्मानित किया गया. Photo Courtesy: Twitter/Virali Modi विराली को भारत प्रेरणा अवॉर्ड 2018 से सम्मानित किया गया. Photo Courtesy: Twitter/Virali Modi

कैसे पैरालिसिस का शिकार हुईं विराली?

साल 2006 में चौदह साल की उम्र में विराली को मलेरिया हुआ, जब वो अमेरिका से मुंबई आई थीं. समय ये इस बीमारी का पता न चल पाने की वजह से विराली कोमा में चली गईं. 29 सितंबर, 2006 को उनका जन्मदिन मनाया जा रहा था. उसी वक्त एक चमत्कार हुआ और विराली ने अपनी आंखें खोलीं. जब वो कोमा से बाहर आईं, तो पता चला कि अब वो चल-फिर नहीं सकतीं. विराली को अपनी जिंदगी के कुछ पल याद नहीं हैं. कोमा में रहने की वजह से वो उन पलों को जी तो चुकी हैं, लेकिन आम इंसान की तरह नहीं.

मगर वो अंततः थी तो औरत ही

विराली को ट्रैवल करना बेहद पसंद है, लेकिन इसी दौरान उनका कई बार उत्पीड़न हुआ. विराली को उत्पीड़न का शिकार तब होना पड़ा, जब कुली उनको ट्रेन पर चढ़ाते थे. मदद के नाम पर उनके शरीर को गलत तरीके से छुआ जाता. यहीं से विराली को समझ में आ गया कि अब उन्हें क्या करना है. उस वक्त वो कुछ नहीं कह सकीं क्योंकि उन्हीं कुलियों की मदद से वो सफर कर पा रही थीं. उन्होंने change.org पर एक अपील डाली कि भारतीय रेलवे दिव्यांगों के अनुकूल नहीं है. विराली जब कोई शिकायत करतीं, तब उनको विकलांगों के लिए आरक्षित डिब्बों में सफर करने की सलाह दी जाती. पर वहां उन्होंने देखा कि रैंप टूटे हुए थे, वॉशरूम नहीं थे और आसानी से मूव करना भी मुश्किल था. विराली को दोस्तों ने बताया कि रात को दारू पीकर लोग उस कंपार्टमेंट पर चढ़ भी जाते हैं.

विराली ने क्या किया?

ट्रैवल करने का शौक विराली क्या सिर्फ इसलिए छोड़ देतीं क्योंकि वो चल नहीं सकती हैं? क्या घूमना-फिरना सिर्फ शारीरिक तौर पर सक्षम लोगों के लिए ही है? यही सोच थी, जिसने विराली को हिम्मत दी. उन्होंने फैसला किया कि वो एक याचिका लिखेंगी. उस याचिका पर 2 लाख से ज्यादा लोगों ने सिग्नेचर किए.

घूमने-फिरने की शौकीन हैं विराली मोदी. Photo Courtesy:Facebook/Virali Modi घूमने-फिरने की शौकीन हैं विराली मोदी. Photo Courtesy:Facebook/Virali Modi

विराली की याचिका में इन चीजों की मांग थी:

1. साफ और हाई टॉयलेट्स, साथ में बेसिन नीचे हो ताकि हाथ धोने में आसानी रहे.

2. हर क्लास में दिव्यांगों के लिए कोच हो और बर्थ के बीच इतनी जगह हो कि व्हीलचेयर फिट हो सके.

3. बर्थ को घेरते हुए पर्दे हो ताकि प्राइवेसी मिले और कपड़े बदले जा सके.

4. अगर रेलरोड क्रॉस करना पड़े, तो उसके लिए ढंग की व्यवस्था हो.

विराली ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक सामान्य इंसान शारीरिक तौर पर अक्षम लोगों की दिक्कतों को बारीकी से नहीं समझ सकता. इसलिए दिव्यांगों की सुविधा के लिए किए जा रहे सरकारी इंतजामों में उन्होंने सहयोग देने की बात रखी. विराली की अर्जी पर तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जवाब दिया. यही नहीं चेन्नई, एर्णाकुलम, कोच्चि और थ्रिस्सूर स्टेशन ने विराली के इस अपील पर ध्यान देते हुए दिव्यांगों की सुविधा के मद्देनजर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया. ओडिशा और हैदराबाद में भी दिव्यांगों के लिए एक स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है.

विराली के प्रयासों को सराहने की बजाए कुछ लोग तो उन पर भद्दे कमेंट्स करने लगें. एक शख्स ने लिखा, 'उत्पीड़न काफी नहीं था कि अब इस बारे में पब्लिकली बात कर रही हो?' विराली से जब बात हुई, उन्होंने ये माना कि पढ़ाई-लिखाई और जगह का काफी फर्क पड़ता है. विराली के मुताबिक इंडिया में बहुत सी दिव्यांग औरतें हैं, जो गांव में रहती हैं, लेकिन वो अपनी बात नहीं रख पाती. विराली चाहती हैं कि उनके प्रयासों से ऐसी महिलाओं को हौसला मिले.

मोटिवेशनल स्पीकर हैं विराली मोदी. Photo Courtesy:Facebook/Virali Modi मोटिवेशनल स्पीकर हैं विराली मोदी. Photo Courtesy:Facebook/Virali Modi

विराली बताती हैं कि लोगों के रवैये में दिक्कत है. इतनी हमदर्दी होती है कि लोग सांत्वना दे जाते हैं, लेकिन अक्सर लोग ये नहीं समझ पाते कि शरीर का कोई अंग न होने या उसके काम न करने का क्या मतलब होता है और ये हर शख्स के लिए अलग होता है.

विराली से जब पूछा गया कि बॉलीवुड की फिल्मों से उन्हें कितनी प्रेरणा मिलती है, तो उन्होंने कहा कि फिल्मों से सभी प्रभावित होते हैं. लेकिन 'गुजारिश' फिल्म उन्हें अच्छी नहीं लगी क्योंकि उनके मुताबिक इस फिल्म में ऋतिक रोशन के किरदार की मौत से नाउम्मीदी झलकती है.

विराली मोदी. Photo Courtesy:Twitter/Virali Modi विराली मोदी. Photo Courtesy:Twitter/Virali Modi

मिस व्हीलचेयर इंडिया 2014 में रनरअप

मिस व्हीलचेयर इंडिया 2014 में विराली दूसरे पायदान पर रही थीं. उन्हें बॉलीवुड एक्टर सलमान खान के Being Human के एक कैंपेन में भी बुलाया गया था. विराली बताती हैं कि फिजिकली चैलेंज्ड होने की वजह से बहुत ऑफर नहीं मिलते. विराली का सवाल है कि शारीरिक तौर पर अक्षम इंसान का किरदार निभाने के लिए भी एक सक्षम इंसान को ही क्यों चुना जाता है.

मिस व्हीलचेयर इंडिया 2014 में विराली दूसरे पायदान पर रही थीं. Photo Courtesy:Facebook/Virali Modi मिस व्हीलचेयर इंडिया 2014 में विराली दूसरे पायदान पर रही थीं. Photo Courtesy:Facebook/Virali Modi

जब विराली की तारीफ के साथ आ जाता है काश...

विराली से अक्सर पूछा जाता है कि वो शादी कब करेंगी. यहां तक कि विराली मोदी सर्च करने पर एक कीवर्ड आता है 'विराली मोदी हस्बैंड'. जब विराली से शादी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने उनसे कहा, 'इतनी सुंदर हो, काश व्हीलचेयर पर न होती.' विराली हंसते हुए बताती हैं कि ऐसे लोगों को अपने टिंडर अकाउंट का 99% मैच दिखाने का मन करता है. विराली खुद के बारे में कहती हैं कि वो एक रानी हैं और उनका व्हीलचेयर ही सिंहासन है. विराली अपने सिंहासन पर बैठी महारानी हैं, जो अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जी रही हैं और शायद औरों को भी भरपूर जीना सीखा रही हैं.

 

 

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