भला हो इन पाकिस्तानी 'खूबसूरत' औरतों का, लोगों ने बंटवारे का दर्द समझा!
युद्ध, नफ़रत, मरते मासूमों, शहीद फौजियों को देखकर नहीं जगी ये तड़प, जो इन औरतों को देखकर जग उठी.
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है. हर बांटी जा सकने वाली चीज़ की तरह इसे भी बांटा जा रहा है इधर-उधर. बांटा जा रहा मतलब शेयर किया जा रहा. फेसबुक पर. व्हाट्सएप पर. ट्विटर पर. फोन चेक करिए. शायद एक दो ग्रुप्स में आपके पास भी आया हो. देखिये ये तस्वीर.
ये तस्वीर किसकी है? लाहौर की एसएसपी डॉक्टर अनूश मसूद चौधरी की. कौन हैं? मेडिसिन में गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर हैं जिन्होंने पुलिस फ़ोर्स जॉइन की. पहली महिला एएसपी बनीं. खैबर पखतुन्ख्वा से हैं. एबोटाबाद में भी पोस्टेड रह चुकी हैं. इससे पहले भी उनकी पोस्ट शेयर हुई थी. जो भी व्हाट्सएप या फेसबुक पोस्ट्स शेयर हो रहे हैं, उनमें अधिकतर यही कह रहे हैं- ‘बंटवारे का दर्द अब और बढ़ गया’ या फिर इसी तरह की बातें लिखी जा रही हैं. इनमें ये दिखाया जा रहा है जैसे बंटवारा नहीं हुआ होता तो ये सारी खूबसूरत औरतें अपने देश भारत के हिस्से में आ जातीं. यहां के मर्दों की हो जातीं. पाकिस्तान चली गईं, तो अपनी नहीं रहीं. दुश्मन देश की हो गईं.
ये कोई इकलौती तस्वीर नहीं है जिसको लेकर ऐसी बात की जा रही है. अक्सर पाकिस्तान की खूबसूरत महिला खिलाड़ियों या क्रिकेट स्टेडियम में अपनी टीम को सपोर्ट करने आई महिला फैन्स को लेकर भी ऐसा ही सामुदायिक ऑर्गेज्म दिखाई पड़ता है. जैसे ये इमेज :
इन सभी मामलों में जो एक बात कॉमन दिखाई देती है वो किसी भी देश और उसकी औरतों को एक प्रॉपर्टी मानने का हक है. पाकिस्तान तो 1947 में अलग हो गया. जो लोग वहां जाने थे चले गए. जो वहां से आने थे वो आ गए. अब इतने सालों बाद भी उस देश को खुद में मिला लाने का एक माचो गोल अधिकतर सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले मर्द अपने अन्दर पाले रहते हैं. ये अक्सर उनकी पोस्टों में दिखाई देता है. जब बात पाकिस्तान की आती है, उसे धूल में मिला देने, मिट्टी में लथेड़ देने, एसिड में घुला देने जैसी बातें चलनी शुरू हो जाती हैं. यहां का माचिस्मो धीरे-धीरे वहां की औरतों की तरफ मुड़ जाता है.
हाल में ही एक खबर आई थी कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी को अमेरिका के एयरपोर्ट पर शारीरिक जांच से गुज़रना पड़ा. सोशल मीडिया पर जो पोस्टें शेयर हुईं उनमें दिखाया गया कि उनके कपड़े उतरवा दिए गए थे. बाद में पता चला कि वो फेक इमेज थी. किसी और विदेशी की थी जिसे पाकिस्तान का पीएम कहकर शेयर किया जा रहा था क्योंकि चेहरा ब्लर्ड (धुंधला) था. जैसे ही ये खबर आई कि उनके कपड़े उतरवा कर चेकिंग की गई है, सबसे पहला रिएक्शन क्या देखने को मिला?
‘हिना रब्बानी खार पाकिस्तान कब जा रही हैं?’
हिना रब्बानी खार पाकिस्तान की पॉलिटिशियन हैं. खूबसूरत हैं. बस. इससे ज्यादा किसी को क्या चाहिए उनको एक पूरे देश की फंतासी का हिस्सा बना लेने के लिए? इस तरह की बातें सोशल मीडिया पर नई नहीं हैं. काफी पहले से चली आ रही हैं. लेकिन मज़ाक और फुहशपने में इतनी नॉर्मल हो गई हैं कि इनकी तरफ ध्यान ही नहीं जाता. इसी बहाने से हर चीज़ मज़ाक में निकलते-निकलते एक दिन सीरियस हो जाती है. उस दिन फिर सब पलट कर पूछते हैं: वेयर डिड वी गो रॉन्ग? कहां गलती हुई हमसे? गलती यही हो गई जब भद्दे मज़ाक किए.
जिस बंटवारे ने लाखों घर उजाड़ दिए. दो देशों को हमेशा के लिए एक-दूसरे का दुश्मन बना दिया. इतने सारे युद्ध करवा दिए. उसका दर्द लोगों को सिर्फ तब महसूस हो रहा है जब बॉर्डर के उस पार की औरतों की खूबसूरत तस्वीरें दिखती हैं..
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