विजयलक्ष्मी पंडित: जो अपनी ही भतीजी इंदिरा गांधी के खिलाफ खड़ी हो गई थीं

वो नेता जिनके लिए संसद में लोग सूई-धागा लेकर जाते थे

नेहरू का नाम आजकल सत्ता के गलियारों से लेकर घरों के ड्राइंग रूम्स तक लिया जा रहा है. इसके पीछे आज कल के समय में खेली जा रही राजनीति है या फिर उनमें जगा लोगों का औचक इंटरेस्ट, इस बारे में बहस हम नहीं करेंगे. एक बात जो तय है वो ये है कि आजाद भारत के शुरूआती दिनों में नेहरू का रोल बेहद महत्वपूर्ण रहा. उनके बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी सत्ता में आईं और उनकी अपनी पॉलिटिक्स रही जिसके दौरान देश ने बांग्लादेश युद्ध में अपनी जीत भी देखी, और साथ ही साथ इमरजेंसी जैसा काला धब्बा भी. इन सबके बीच एक औरत और थी, जिसने भारत को विदेशों में एक नई पहचान दिलाई. ये थीं पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन, और इंदिरा गांधी की बुआ- विजयलक्ष्मी पंडित. आज उनका जन्मदिन होता है, इस मौके पर जानिए उनकी कुछ खास बातें.

विजयलक्ष्मी नेहरू की चहेती थीं. फोटो: विकिमीडिया विजयलक्ष्मी नेहरू की चहेती थीं. फोटो: विकिमीडिया

  1. विजयलक्ष्मी आज़ादी की लड़ाई में दो बार जेल गई थीं. उनके पति रणजीत सीताराम पंडित की मौत के बाद वो अपनी तीन बेटियों को पालने के लिए अकेली रह गई थीं. उस समय औरतों को उनके पति की सम्पत्ति में हिस्सा नहीं मिलता था, तो वो अपने करियर के लिए अमेरिका गईं.
  2. आज़ादी से भी पहले जब 1937 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट पास हुआ था तब उनको यूनाइटेड प्रोविंसेज (आज का उत्तर प्रदेश) का हेल्थ मिनिस्टर बनाया गया था. इस तरह आज़ादी से पहले की भी कैबिनेट में वो पहली महिला मंत्री हुईं. जब 1939 में ब्रिटेन ने भारतीय सिपाहियों को द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने के लिए अपनी तरफ से भेज दिया तो सभी मंत्रियों के साथ उन्होंने भी विरोध में इस्तीफ़ा दे दिया.
    विजयलक्ष्मी अपने पति की मौत के बाद भी पीछे नहीं हटीं और अपने राजनैतिक करियर में दुगनी जी जान से जुटीं. फोटो: विकिमीडिया विजयलक्ष्मी अपने पति की मौत के बाद भी पीछे नहीं हटीं और अपने राजनैतिक करियर में दुगनी जी जान से जुटीं. फोटो: विकिमीडिया
  3. आज़ादी के बाद वो भारत की तरफ से राजदूत बनकर कई देशों में गईं. इनमें सोवियत यूनियन, अमेरिका, आयरलैंड, और स्पेन शामिल थे. यूनाइटेड किंगडम में वो भारत की हाई कमिश्नर भी रहीं.
  4. विजयलक्ष्मी पंडित यूनाइटेड नेशंस यानी संयुक्त राष्ट्र की जेनरल असेम्बली की पहली महिला अध्यक्ष थीं.
  5. उन्होंने ही नेहरू की मौत के बाद उनकी अस्थियों की राख पूरे देश के मैदानों के ऊपर गिराई थी. उनका ये मानना था कि नेहरू के जाने के बीस साल बाद ही उनको समझने वाली पीढ़ी खत्म हो चुकी है.
    1990 में अपनी मृत्यु तक वो सक्रिय बनी रहीं. फोटो: Getty Images 1990 में अपनी मृत्यु तक वो सक्रिय बनी रहीं. फोटो: Getty Images
  6. जब 1975 में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा करवाई थी, तब विजयलक्ष्मी पंडित ने उनके खिलाफ स्टैंड लिया था. उन्होंने जनता दल के लिए कैम्पेन में हिस्सा लिया और 1977 में हुए चुनाव में जनता दल की जीत हुई थी.
    विजयलक्ष्मी ने विदेशी दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व बखूबी किया. फोटो: Getty Images विजयलक्ष्मी ने विदेशी दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व बखूबी किया. फोटो: Getty Images
  7. एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि औरत होने के कारण क्या कभी उनको किसी अलग तरह के व्यवहार का सामना करना पड़ा तो उन्होंने एक बात बताई. उन्होंने बताया कि जब वो संसद में थीं, तब उनके पार्लियामेंट सेक्रेटरी जो थे, वो अपनी पॉकेट में सूई-धागा लेकर जाते थे कि अगर कहीं उनको ज़रूरत पड़ी तो. वो उनको ये समझाने की कोशिश करती थीं कि उनको इस तरह की मदद नहीं चाहिए.
    अपने इस इंटरव्यू में उन्होंने कई ख़ास बातें बताईं, ये भी कि भारत के संयुक्त राष्ट्र में अपने प्रतिनिधित्व को लेकर वो नेहरू के सामने रो दी थीं. फोटो: Youtube अपने इस इंटरव्यू में उन्होंने कई ख़ास बातें बताईं, ये भी कि भारत के संयुक्त राष्ट्र में अपने प्रतिनिधित्व को लेकर वो नेहरू के सामने रो दी थीं. फोटो: Youtube
  8. वो राष्ट्रपति पद के लिए भी कोशिश करना चाहती थीं, लेकिन उनकी जगह नीलम संजीव रेड्डी को चुना गया और वो जीत कर राष्ट्रपति हुए थे.

विजयलक्ष्मी पंडित के इंटरव्यू आज भी उपलब्ध हैं. उनको देखकर आसानी से ये माना जा सकता है कि आज के समय में उनके जैसा स्थिरत्व और गहराई रखने वाले नेता बेहद कम मिलते हैं.

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