पाकिस्तान की इस यूनिवर्सिटी ने वैलेंटाइंस डे के नाम पर बेहद अजीब कदम उठाया है

ऐसे क़दमों से 'इस्लामी संस्कृति बढ़ेगी' ?

ईशा चौधरी ईशा चौधरी
जनवरी 14, 2019
युनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रिकल्चर, फ़ैसलाबाद

पाकिस्तान की एक जानी-मानी यूनिवर्सिटी है फ़ैसलाबाद, लाहौर की ‘यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रिकल्चर’. इसी बीच ये सुर्खियों में आई है. और इसकी वजह कतई अजीब है. कुलपति ज़फ़र इक़बाल रंधावा ने कैंपस में ‘वैलेंटाइंस डे’ मनाने पर सख़्त प्रतिबंध लगा दिया है. ये भी कहा है कि अब वैलेंटाइंस डे की जगह 14 फ़रवरी को ‘सिस्टर्स डे' यानी बहनों के दिन के तौर पर मनाया जाएगा.

कुलपति ज़फ़र इक़बाल रंधावा/ फोटो क्रेडिट: फ़ेसबुक कुलपति ज़फ़र इक़बाल रंधावा/ फोटो क्रेडिट: फ़ेसबुक

नियमों के मुताबिक़ इस दिन यूनिवर्सिटी के स्टूडेन्ट्स एक दूसरे को भाई-बहन के तौर पर स्वीकार करेंगे. फ़ीमेल स्टूडेंट्स को गिफ़्ट दिए जाएंगे, लेकिन वैसे ही गिफ़्ट जिनकी इजाज़त कुलपति ने दी हो. कोई लड़का किसी लड़की को फूल, चॉकलेट वगैरह नहीं दे सकता. इसकी मनाही है. मगर चाहे तो उसे हिजाब, बुर्क़ा, या कपड़े गिफ़्ट कर सकता है.

गिफ्ट के तौर पर हिजाब या बुर्का ही दिए जा सकते हैं/ फोटो क्रेडिट: Pixabayगिफ्ट के तौर पर हिजाब या बुर्का ही दिए जा सकते हैं/ फोटो क्रेडिट: Pixabay

कुलपति ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल Dawn News से बातचीत की. उन्होंने बताया कि ये कदम उन्होंने इस्लामी और पाकिस्तानी संस्कृति के बचाव के लिए उठाया है. इस्लामी रिवाज़ों को बढ़ावा देने के लिए ये फ़ैसला किया गया है. 'हमारे यहां औरतों को बहुत ऊंचा दर्जा दिया जाता है,' वो बताते हैं. 'आजकल हर जगह जेंडर एंपावरमेंट की बात हो रही है. पश्चिमी सोच को बढ़ावा दिया जा रहा है. मगर जेंडर एंपावरमेंट के सबसे अच्छे उदाहरण हमारे धर्म, हमारी संस्कृति में हैं.'

वो ये भी कहते हैं कि 14 फ़रवरी को एक कल्चरल ख़तरे के तौर पर देखा जाता है. मगर इसे इस्लाम को प्रोमोट करने के लिए एक मौके के तौर पर भी देखा जा सकता है. उनका कहना है, 'सिस्टर्स डे के ज़रिए हम दुनिया को दिखा सकता है कि पाकिस्तान में बहनों को कितना प्यार दिया जाता है. भाई-बहन का रिश्ता सबसे पाक रिश्ता होता है. ये पति-पत्नी के रिश्ते से भी कहीं ऊपर है.'

इससे पहले भी पाकिस्तान में वैलेंटाइंस डे के ख़िलाफ़ विरोध हुआ है. 2017 में इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने इसे मनाने पर रोक लगा दी थी. मीडिया को किसी भी तरह से इसे प्रोमोट करने से मना भी किया था. 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति ममनून हसन ने जनता को वैलेंटाइंस डे का बहिष्कार करने का सुझाव दिया था. उनका कहना था कि ये ग़ैर-इस्लामी है और एक पश्चिमी कॉनसेप्ट है.

धार्मिक कट्टरपंथियों को वैलेंटाइंस डे से हमेशा परहेज़ रहा है. 'पश्चिमी सभ्यता' की दुहाई देकर इसका विरोध हमारे देश में भी होता आया है. धर्म के ठेकेदारों द्वारा कपल्स के पीटे जाने या उनकी जबरन शादी कर दिए जाने की ख़बरें भी अनजान नहीं है. 2015 में ही हिंदू महासभा ने 14 फ़रवरी को 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' घोषित किया था. जो कई स्कूलों और कॉलेजों में अनिवार्य तौर पर मनाया भी गया था.

 

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