कार, 16 लाख का सोना, 3 लाख कैश लेने के बाद और दहेज के लिए बहू की हत्या कर दी

बीकानेर में इस महीने दहेज के लिए क़त्ल की गई चौथी लड़की है उच्छब कंवर. पुलिस चुनाव में व्यस्त है.

लड़की की शादी कर दो, सुखी रहेगी. 

समझती नहीं हो, पराया धन है जितनी जल्दी अपने घर टिके उतना अच्छा. 

लड़की की शादी है, दान दहेज़ तो देना पड़ेगा न.

जिस किसी भी घर में लड़की शादी की उम्र वाली हो जाती हैं, वो घर बाकियों के सामने थोड़ा धंस जाता है. लोग आते हैं, रिश्ते की बात चलते हैं. लेन-देन पक्का करते हैं. उसके बाद ‘शादी’ हो जाती है. लड़की के जिंदगी भर ‘अपने’ परिवार में सुखी रहने के प्लान के साथ.

फिर एक दिन वो लड़की मार दी जाती है.

उसके जिंदगी भर सुखी रहने के प्लान को लिए दिए चूल्हे में झुंक जाती है, सीढ़ियों से फिसल जाती है, या नदी में डूब जाती है.

6 मार्च 2018 को जब विजय सिंह ने अपनी बेटी उच्छब की शादी बीकानेर पुलिस में हेड कांस्टेबल दिलीप सिंह के बेटे भरत सिंह से की, तब उन्होंने भी सोचा होगा कि वो उच्छब को एक भले घर में भेज रहे हैं. उनका सोचना शायद गलत भी नहीं था. उच्छब की सास सरोज कंवर मोरखाना पंचायत की सरपंच जो थी. 

uchchhab_750_112918051106.jpgउच्छब की शादी इसी साल मार्च में हुई थी, उसके ससुराल वाले तंग कर रहे थे. ये उसकी शादी के दिन की तस्वीर है.

लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि उनको दहेज़ नहीं देना होता. बकौल रतन सिंह, जो उच्छब के भाई हैं, उनके परिवार ने उच्छब के ससुराल वालों को एक कार, 16 लाख का सोना और 3 लाख कैश दहेज़ में दिया. शादी के बाद उच्छब अपने एग्जाम के लिए वापस आई. फिर मामा की शादी थी, उसके लिए ननिहाल गई. आखिर में अक्टूबर में ससुराल गई. तबियत खराब हुई, तो कुछ दिन के लिए पापा घर ले आये. उसके बाद करवाचौथ से कुछ दिन पहले ही वो वापस ससुराल लौटी.

27 अक्टूबर को उच्छब ने पापा को फोन किया. कहा सासू मां दहेज़ के लिए परेशान कर रही है. पापा ने समझा-बुझा के फोन रख दिया. उसी रात को विजय सिंह के पास फोन आया कि आपकी बेटी बीमार है, आप जल्दी अस्पताल पहुंचो. हॉस्पिटल में उच्छब की डेड बॉडी आई बस. हाथ में चोट के निशान. चेहरे पर चोट के निशान. हड्डियां खिसकी हुईं.

saroj-kanwar_750_112918055430.jpgउच्छब की सास सरोज कंवर जो फरार है

ससुराल वालों ने कहा वो घर के पास के कुंड में डूब कर मर गई. सर्कल ऑफिसर ने जांच में पाया कि कुंड में पानी तीन फीट था. उसमें कोई वयस्क डूब कर मर नहीं सकता. पोस्टमोर्टम में मौत दम घुटने से हुई बताई गई.

28 अक्टूबर को FIR लिखवाई गई, पति और ससुर को गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन उच्छब की सास अभी तक गायब है. वो मोरखाना पंचायत के सरपंच के पद पर अभी भी बनी हुई है और फरार है. उच्छब के घरवालों ने सरोज कंवर की गिरफ़्तारी के लिए बार-बार पुलिस में शिकायत की, लेकिन उन्हें कोई कंक्रीट जवाब नहीं दिया. उसे पद से हटाने के लिए भी अर्जी डाली, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

dig-application_750_112918051326.jpgडीआइजी बीकानेर को लिखी गई अर्जी, जिस पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

ऑडनारी ने पुलिस तक पहुंचने की कोशिश की. नोखा थाने में जहां FIR दर्ज है, वहां के स्टेशन हाउस अफसर (SHO ) मनोज शर्मा ने कई बार फोन करने के बाद एक बार फ़ोन उठाया, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं दी. बीकानेर के सुपरिन्टेन्डेन्ट ऑफ पुलिस सवाई सिंह गोदारा ने भी इस मामले पर कोई बात नहीं की. हमें रेफर किया गया महमूद खान, डेप्युटी एसपी के पास. उन्हें फोन करने के बाद हमें पता चला कि इलेक्शन के लिए मीटिंग्स चल रही हैं, चुनाव में पुलिस ‘व्यस्त’ है. जब पूछा गया कि एक फरार सरपंच को क्यों नहीं पकड़ा गया है एक महीने से, उनका जवाब था कि हमने तलाश जारी रखी है. प्रयास चल रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि उनका अपना पुलिस का आदमी शामिल था केस में, ‘तब भी’ उस को पकड़ लिया.

पिछले एक महीने में ही प्रीति कंवर, किस्मत कंवर, नीतू गुर्जर नाम की तीन लड़कियों की दहेज़ के मामलों में हत्या की बात सामने आई है. इन मामलों में भी अभी तक कोई अरेस्ट रिपोर्ट नहीं आई है. आंकड़ों के हिसाब से मानें तो हर घंटे भारत में एक लड़की दहेज़ के लिए मार दी जाती है.

ये साल 2018 की खबर है.

 

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