चलती ट्रेन में महिला को हुआ लेबर पेन, डॉक्टर नहीं मिला तो TTE ने बच्चे की डिलीवरी में की मदद
साढ़े सात महीने की प्रेगनेंट महिला थी, रेल मंत्रालय ने ट्वीट करके TTE की तारीफ़ की
अमूमन बच्चों की डिलीवरी अस्पताल या घर में होती है. पर कभी कभी ऐसे वाकये भी सुनने में आते हैं जहां प्लेन में बच्चे की डिलीवरी हुई, या चलती ट्रेन में महीला ने बच्चे को जन्म दिया. दिल्ली रेलवे में टीटीई के पद पर काम करने वाले हरेंदर सिंह ने इसी तरह की एक डिलीवरी करवाने में मदद की. दरअसल, चलती ट्रेन में एक महिला को पेट में काफी तेज दर्द होने लगा. वो प्रेगनेंट थी. हरेंदर सिंह को जब ये मालूम हुआ. तो उन्होंने कुछ महिलाओं से रिक्वेस्ट करके उसकी डिलीवरी में मदद की.
जानिए क्या है पूरा मामला-
हरेंदर सिंह राणा. हमने उनसे बात की. उन्होंने खुद ही पूरी बात हमें बताई. उन्होंने बताया :
'मेरी 12 जून को ड्यूटी थी. नई दिल्ली से डिब्रूगढ़ जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में. गाड़ी चार बजे के करीब शाम को दिल्ली से चली. रात का समय था. ढाई या तीन बज रहे होंगे. तब गाड़ी मुगलसराय पहुंची. वहां से भी कुछ समय में चल दी. मैं भी टिकट चेक करने लगा.
उसके बाद मैं B-2 कोच में गया. सीट नंबर 43-44 के पास पहुंचा ही, तो देखा कि एक महिला दर्द से कराह रही है. मैंने पूछा फिर, कि क्या हो गया? तब उनके पति ने बोला कि दर्द हो रहा है. पत्नी साढ़े सात महीने प्रेगनेंट है.
उनके साथ दो या तीन साल की एक बच्ची भी थी. रात का समय था, तो मैंने दिल्ली के शताब्दी कंट्रोल को मैसेज किया. उन्होंने जहां ट्रेन चल रही थी, वहां के कंट्रोल से बात की. मतलब हमारी ट्रेन का जो अगला स्टेशन था वहां के कंट्रोल में.
कंट्रोल ने बोला कि अगर इमरजेंसी है तो हम बक्सर में गाड़ी रुकवा देते हैं. बक्सर दानापुर और मुगलसराय के बीच पड़ता है. एक-डेढ़ घंटा लग जाता. और गाड़ी सिर्फ दानापुर रुकती है.
पर इमरजेंसी में वो बक्सर में रुकवा रहे थे. लेकिन कोई फायदा नहीं था. क्योंकि महिला के पति ने कहा कि वो वहां से कैसे अस्पताल जाएंगे. फिर मैंने परिस्थिति देखते हुए ट्रेन में अनाउंसमेंट(घोषणा) करवाई. कि अगर कोई डॉक्टर हो इस ट्रेन में, तो वो बता दे? पर कोई जवाब नहीं.
महिला को दर्द काफी तेज हो रहा था. मैंने देरी नहीं की. उस कोच की दो-तीन महिलाओं से रिक्वेस्ट की, कि वो उस महिला को देख लें एकबार. एक बुजुर्ग महिला थी उसमें. वो तैयार हो गई.
सभी पुरुषों को वहां से हटा दिया और चादर से पर्दा बनाकर एक कमरे जैसा बना दिया. जितनी चादर और तौलिया चाहिए थी उन्हें वो भी दिलवा दिया. उन महिलाओं की मदद से डिलीवरी हुई.
पर नाल काटने के लिए ब्लेड और धागा चाहिए था. तो उसके लिए भी मैंने अनाउंसमेंट करवाई. वो दोनों चीज एक फौजी के पास मिल गया. उससे लेकर उन महिलाओं को दिया. बच्चे की सफाई करके फिर महिलाओं ने बताया कि डिलीवरी हो गई है. बच्चा भी स्वस्थ है. लड़की हुई है.
ट्रेन में मौजूद सभी लोगों ने ताली बजाई, और तारीफ की. ये सब होने में महज आधा घंटा का समय लगा होगा. फिर मैंने कंट्रोल को फोन कर बताया कि दोनों स्वस्थ हैं. तो अगर डॉक्टर एक बार देख ले तो अच्छा होगा. दानापुर स्टेशन में गाड़ी रुकी.
वहां पर एक लेडीज स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने महिला और उसके बच्चे का चेकअप किया. अच्छी तरह देखने के बाद उन्होंने बोला कि दोनों ठीक हैं, ये लोग अब आगे जा सकते हैं. फिर मैं चाय-पानी जो चाहिए था, उन्हें देकर, तब मैं वहां से हटा. महिला को बरौनी जाना था.'
हरेंदर सिंह की तारीफ तो सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है. ट्विटर पर रेल मंत्रालय की ओर से ट्वीट कर हरेंदर सिंह की तारीफ की गई है.
INDIAN RAILWAYS, SERVING PASSENGERS WITH SMILE : TTE of delhi division Shri H.S.Rana helped a woman deliver baby at night, with help of co-passengers, when no doctor could be found on train. His Samaritan and humanitarian act makes us feel proud. pic.twitter.com/9IgbKdpHJ4
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) June 14, 2019
हरेंदर सिंह के इस कोशिश के लिए उन्हें सभी बधाई दे रहे हैं. हरेंदर सिंह के 22 साल के करिअर में ये पहली दफा हुआ है.
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