क्या JNU में ABVP वालों ने पूर्व छात्र नेता शतरूपा चक्रवर्ती को पीटकर चोटिल किया?
तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, यानी जेएनयू के छात्रसंघ का चुनाव भले ही कुछ एकड़ के कैंपस के अंदर होता है, लेकिन इस पर चर्चा हजारों एकड़ों में होती है और कई महीनों तक होती है. 16 सितंबर को जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव का नतीजा आया, सेंट्रल पैनल की चारों सीटें लेफ्ट ने जीती. नतीजे आ गए, इस पर ढेर सारी बहस हुई और अभी भी हो रही है, लेकिन नतीजों के अलावा भी कुछ ऐसा है जिसके बारे में लोग जानना चाह रहे हैं. वह है लेफ्ट और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी के बीच हुई झड़प, लड़ाई और मारपीट.
कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, ये तस्वीरें हैं जेएनयूएसयू यानी जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व जनरल सेक्रेटरी शतरूपा चक्रवर्ती की. इन तस्वीरों में शतरूपा के शरीर के कुछ हिस्सों में लगी चोटें दिखाई दे रही हैं. फेसबुक पर तबरेज़ हसन ने इन तस्वीरों को शेयर किया और बताया कि एबीवीपी वालों ने शतरूपा को पीटा.
तबरेज़ कहते हैं, 'शतरूपा मेरे साथ 2016-17 में जेएनयूएसयू में जनरल सेक्रेटरी थीं. मुझे मेरी सहयोगी कॉमरेड की ये तस्वीरें अपलोड करते वक्त दुख हो रहा है और गुस्सा भी आ रहा है, उन्हें एबीवीपी के गुंडों ने बुरी तरह पीटा. ये कुछ ऐसी खरोंचें हैं, जिससे इस वक्त बहुत से कॉमरेड जूझ रहे हैं.'
उन्होंने आगे लिखा, 'हममें से कोई भी झूठा बैंडेज लगाकर नहीं घूम रहा है, लेकिन एबीवीपी को अपने किए पर शर्म आनी चाहिए, उन्हें ये बात याद रखना चाहिए कि हममें से कोई भी इस बर्ताव को कभी नहीं भूलेगा. शतरूपा चक्रवर्ती को लाल सलाम.' इसके साथ ही तबरेज़ ने शतरूपा की फोटोज़ शेयर की, इनमें शतरूपा के पैर और गर्दन में चोट के निशान दिख रहे हैं.
हमने इस बारे में शतरूपा से बात की, उन्होंने बताया कि उन्हें ये चोट एबीवीपी के लोगों ने ही दी है. वह कहती हैं, 'सेंट्रल पैनल की काउंटिंग शुरू हुई. सभी ऑर्गेनाइजेशन के पोलिंग एजेंट्स पहुंच गए, लेकिन एबीवीपी का एजेंट नहीं पहुंचा. इलेक्शन कमीशन ने कई बार ऐलान किया, लेकिन एबीवीपी का पोलिंग एजेंट नहीं पहुंचा. काउंटिंग शुरू हो गई. कुछ देर में एबीवीपी वाले आए और अंदर गए, ईसी से कहा कि उनके एजेंट को अंदर आने दिया जाए. ईसी ने मना किया, क्योंकि नियम यह है कि काउंटिंग के दौरान कोई अंदर नहीं आ सकता. बॉक्स का सील तोड़ देने के बाद कोई बाहर का अंदर नहीं आता. एबीवीपी वालों ने हंगामा शुरू कर दिया. ईसी के मेंबर के ऊपर हमला किया. मैं इस बात की पुलिस में शिकायत करने गई, जब मैं लौट रही थी, तब मेरे ऊपर हमला हुआ. मुझे पीटा गया.'
वहीं जब हमने एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से बात की तब उन्होंने अपने ऊपर लगे इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. एबीवीपी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि झगड़े और मारपीट की शुरुआत लेफ्ट विंग ने की थी. एबीवीपी के एक कार्यकर्ता ने बताया, 'शतरूपा के ऊपर हमने हमला नहीं किया है. हमारे ऊपर वो केवल आरोप लगा रही हैं, लेकिन हमारे किसी भी कार्यकर्ता ने उन्हें नहीं पीटा है. जहां तक हमें जानकारी है उनके ऊपर यूनिवर्सिटी के गेट के बाहर हमला हुआ है, लेकिन वह हमारे कार्यकर्ताओं ने नहीं किया है. बल्कि खुद लेफ्ट के लोगों ने झगड़ा शुरू किया था. लेफ्ट के लोगों ने नारे लगाने शुरू किए थे. हम पर पहले भी हमले हुए हैं. राइट विंग के लोगों को मारने की धमकी दी जाती रही है. जो व्यक्ति चलने में असमर्थ है, उसे घसीट-घसीटकर पीटा गया. लेफ्ट वाले खुद कैंपस का माहौल बिगाड़ रहे हैं. हमारा पोलिंग एजेंट मौजूद नहीं था और काउंटिंग शुरू हो गई थी, इसलिए हमने फिर से काउंटिंग करने की बात कही थी. हमारी इस मांग का लेफ्ट ने विरोध किया.'
भले ही जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के नतीजे आ गए हैं, लेकिन चुनाव के दौरान गरमाई राजनीति की गर्म-गर्म हवा अभी भी कैंपस में महसूस की जा सकती है. पुलिस के सामने एबीवीपी वाले लेफ्ट के ऊपर मारपिटाई का आरोप लगा रहे हैं तो लेफ्ट वाले एबीवीपी के ऊपर.
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