महीने भर पहले सरकार ने जो सस्ते पैड लॉन्च किए थे, कहां हैं वो?

महिलाओं के हक़ में बात करना भर काफ़ी नहीं है.

केवल ढाई रुपये में मिलने वाली थी ये पैड.

मार्च के महीने में केंद्र सरकार ने महिलाओं को एक तोहफ़ा देने की घोषणा की थी. तोहफ़े का नाम था, ‘सुविधा’. लेकिन आज जब तोहफ़ा मिलने की बारी आई, तो सरकार अपनी आंखें बंद कर सो गई. यह घोषणा ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के दिन की गई थी. सरकार ने कहा था कि 28 मई, 2018 से देश के सभी जन औषधि केंद्रों में ‘सुविधा’ नाम की सैनिटरी पैड्स मिलने शुरू हो जाएंगे.

लेकिन आज जब हमने जन-औषधि केंद्रों से इस मसले को लेकर संपर्क किया, तो बात ये सामने आई कि देश के किसी भी केंद्र में ये पैड्स उपलब्ध नहीं हैं. और ना ही आगे उपलब्ध होने की कोई संभावना दिख रही है. यहां तक कि जन औषधि केंद्र वालों को भी इसके विषय में कोई जानकारी नहीं है. ना ही सरकार की तरफ़ से कोई अपडेट आया है.

पंजाब के लुधियाना शहर में जन औषधि केंद्र चला रहे शिवम कहते हैं, 'मैंने इसके बारे में सुना तो नहीं है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं आया. और ना ही किसी ने इसके बारे में कुछ बताया है.'

वहीं दिल्ली के छत्तरपुर से लेकर शाहदरा, मयूर विहार और तिलक नगर तक हमने क़रीबन 20 जगहों पर खुले हुए जन औषधि केंद्र में बैठे लोगों से संपर्क किया. और हर जगह यही सुनने को मिला कि ऐसा कोई पैड नहीं आया.

हमने पंजाब, दिल्ली जैसे राज्यों के अलावा उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश में खुले हुए ऐसे केंद्रों से भी यह सुनिश्चित करने की कोशिश की, कि क्या केवल पंजाब या दिल्ली में सुविधा पैड्स उपलब्ध नहीं? पर वहां से मिलने वाली जानकारी भी कुछ जुदा नहीं थी. उत्तराखंड के ही एक केंद्र संचालक से जब हमने देर तक बात की तो उन्होंने ये तक कह दिया कि आप बेकार में इतने जगह फोन कर रही हैं. जब एक जगह आ जाएगा, तो सब जगह आ जाएगा. ऐसा नहीं होता कि एक जगह है और दूसरी जगह नहीं.

ख़ैर अलग-अलग जगहों से इस बात की पुष्टि करना हमें ज़रूरी लगा, सो हमने किया.

वैसे आज तो हम ये सोच के दफ़्तर आए थे कि ‘मेन्सट्रूअल हाइजीन डे’ है और आज से ही सरकार द्वारा शुरू की जाने वाली पैड्स जन औषधि केंद्रों में मिलना शुरू हो जाएंगी, तो इन्हें इस्तेमाल कर हम इनके बारे में आपको बताएंगे. पर पैड्स हों तब तो कुछ बताएं. 

क्या है ‘सुविधा’ पैड ?

औसतन एक पैड की कीमत आठ रुपये हैं. औसतन एक पैड की कीमत आठ रुपये हैं.
पिछले साल 1 जुलाई को सरकार ने पूरे देश में ‘जीएसटी’ को लागू किया. जीएसटी यानी ‘गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स’. इसके तहत देश के किसी भी कोने में मिलने वाली हर सुविधा और सेवा पर केवल एक ही टैक्स देना होता है. जब देश में जीएसटी लागू हुआ तो कई उत्पादों और सेवाओं पर लगने वाले टैक्स में बढ़ोतरी हुई. इसी क्रम में महिलाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सैनिटरी पैड्स पर 12% जीएसटी लगने लगा. जबकि महिलाओं के इस्तेमाल में आने वाले बिंदी, सिंदूर और काजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया. इसके बाद पूरे देश में इसकी आलोचना होनी शुरू हुई.

‘She says’ नाम की संस्था ने सैनिटरी नैपकिन को टैक्स फ्री करने की मांग को लेकर ‘लहू का लगान’ नाम से एक कैंपेन भी चलाया. वहीं जे.एन.यू की एक छात्रा ने सरकार के इस फैसले को गैर-कानूनी और असंवैधानिक करार देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी. जिसके जवाब में कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी की. फिर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की सारी सुनवाई पर रोक लगा दी. लेकिन विरोध जारी रहा.

फिर केंद्र सरकार ने अचानक इसी साल 8 मार्च को एक घोषणा की. कहा गया कि अब सरकार एक ऐसा सैनिटरी पैड लेकर आएगी, जो केवल ढाई रुपये में उपलब्ध होगा. और यह ऑक्सी-बायोडिग्रेडबल यानी अपने आप गलकर ख़त्म हो जाने वाले होंगे. जो प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.

जन औषधि केन्द्र ऐसे मेडिकल स्टोर्स हैं जहां सस्ती दवाइयां मिलती हैं. जन औषधि केन्द्र ऐसे मेडिकल स्टोर्स हैं जहां सस्ती दवाइयां मिलती हैं.

औसतन बाजार में मिलने वाले एक सैनिटरी नैपकिन की कीमत 8 रुपये होती है. ये सबसे सस्ते पैड के दाम हैं. ऐसे में चार से पांच दिनों तक चलने वाले पीरियड्स में कम से कम 12 पैड्स तो खर्च हो ही जाते हैं. तो जोड़ लीजिए कि एक महीने में एक महिला को अपने पीरियड्स पर कितने रुपये खर्च करने पड़ते हैं. ऊपर से ये पैड्स नॉन-बायोडिग्रेडबल होते हैं. जिनके गलने में क़रीब 2000 साल लग जाएं. लेकिन सुविधा पैड्स हर जगह उपलब्ध नहीं होंगे. वो केवल ‘जन औषधि केंद्र’ में ही मिलेंगे. ऐसे में देशभर में कितने जन औषधि केंद्र हैं, यह आपको जानना ज़रूरी है.

देशभर में कितने जन औषधि केंद्र हैं? और ऐसे केंद्रों की क्या खासियत है?

आज से ढ़ाई रुपये में मिलने वाली पैड हर जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली थी,लेकिन सरकार का यह वादा,वादा ही रह गया. आज से ढ़ाई रुपये में मिलने वाली पैड हर जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली थी,लेकिन सरकार का यह वादा,वादा ही रह गया.
वर्तमान में पूरे देश में कुल 3573 जन औषधि केंद्र हैं. अकेले दिल्ली में इनकी संख्या 45 है. इन केंद्रों में सस्ती दवाइयां उपलब्ध होती हैं. और ये ऐसी जगह बनाई या खोली जाती हैं, जहां ग़रीब और पिछड़े परिवार से ताल्लुक़ रखने वाले लोग रहते हैं.

पर विडंबना ये है कि ज़्यादातर लोगों को इन केंद्रों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं होती. और ना ही वो सरकार द्वारा चलाई जा रही इस स्कीम के बारे में जानते हैं. इसके अलावा इनके ज़्यादा उपयोग या लोगों की नज़र में ना आ पाने का कारण यह भी है कि जन औषधि केंद्रों में पर्याप्त दवाइयां नहीं मिलतीं.

सच्चाई ये भी है कि वेबसाइट पर दिखने वाले ये केंद्र असलियत में होते ही नहीं. यानी ये केवल कागज़ पर चल रहे हैं. कुछ केंद्र ऐसी जगह खोल दिए गए हैं, जहां पहुंच पाना मुश्किल हो. या वो ऐसी जगह होती हैं, जहां ना ही ग़रीब और ना ही पिछड़े समुदाय से ताल्लुक़ रखने वाला कोई शख्स रहता है.

इसके इतर जब हमने सुविधा पैड्स वाले मुद्दे पर सरकार का पक्ष जानना चाहा. और इसी क्रम में हमने जन औषधि की ऑफिशियल वेबसाइट पर दिए हुए कॉन्टैक्ट नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की तो कोई जवाब नहीं आया. ऐसे में सरकार का यह वादा,वादा तक ही सीमित होता दिख रहा है. आगे अगर इस विषय में हमें कोई जानकारी मिलती है तो हम आपको ज़रूर अपडेट करेंगे. इसके साथ ही जिस दिन ये पैड्स औषधि केंद्रों में मिलना शुरू हो जाएंगे, उसी दिन हम आपको इनका इस्तेमाल करके रिव्यू देंगे. वादा रहा. और हम वादे तोड़ने में विश्वास नहीं रखते.   

 

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