सुषमा स्वराज को ट्विटर पर बुरा-भला कहा गया मगर बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ा

ट्विटर आर्मी जो बोतल का जिन्न है, कोई नहीं मिला तो उनको ट्रोल करने लगी, जिनकी तरफदारी करती है.

हाल में हुआ पासपोर्ट मामला याद होगा आपको? वही मामला जिसमें एक इंटरफेथ कपल (पति मुस्लिम, पत्नी हिन्दू) ने अपनी शिकायत विदेश मंत्रालय तक पहुंचाई थी और ये कहा था कि उनके इंटरफेथ होने की वजह से उनको पासपोर्ट नहीं मिल रहा और इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए. उस मामले में फ़टाफ़ट पासपोर्ट इशू हो भी गए थे. जहां इस बात को लेकर बाकी जगहों से काफी तारीफ आई थी, वहीं सुषमा स्वराज को ट्विटर पर गालियों का तूफ़ान झेलना पड़ा था.

क्या हुआ ऐसा जो सुषमा स्वराज टारगेट हो गईं?

लखनऊ के पति पत्नी अनस सिद्दीकी और तन्वी सेठ ने पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया था. अनस को अपना पासपोर्ट रीन्यू करवाना था और तन्वी को नया बनवाना था. इसके लिए वो पासपोर्ट ऑफिस गए. वहां पर सवाल जवाब से तंग आकर उन्होंने ट्वीट करके सुषमा स्वराज तक अपनी शिकायत पहुंचाई. इस ट्वीट के बाद मीडिया में घमासान मच गया, और प्रेशर में आकर इनके पासपोर्ट जारी हो गए.

तन्वी और अनस को पासपोर्ट मिल गए थे. लेकिन शायद तन्वी का पासपोर्ट अब वापस ले लिया जाए. तन्वी और अनस को पासपोर्ट मिल गए थे. लेकिन शायद तन्वी का पासपोर्ट अब वापस ले लिया जाए.

ऐसे शुरु हुआ मामला !

जब पासपोर्ट जारी करने वाले ऑफिसर विकास मिश्र से बात हुई तो उन्होंने अनस और तन्वी की एप्लीकेशन की कमियां निकालीं. पता चला किस वजह से उनके पासपोर्ट बनने में दिक्कत आ रही थी. लेकिन ये सब कुछ बाद में हाईलाइट होता. सुषमा स्वराज पहले ट्रोल होना शुरु हो गईं.

ट्रोलिंग बोले तो किसी का मज़ाक उड़ाना, उसे और उसके घरवालों को टारगेट करना, झूठी सच्ची अफवाहें उड़ाना. सुषमा स्वराज को इसलिए ट्रोल किया गया क्योंकि उन्होंने के इंटरफेथ कपल को पासपोर्ट दिलवा दिया था. उन्होंने भी नहीं, उनके मंत्रालय ने. चूंकि ये इंटरफेथ कपल ऐसा था जिसमें एक व्यक्ति मुस्लिम था, और दूसरे (तन्वी) के कन्वर्ट होने की बात की जा रही थी, ट्विटर के ट्रोल एकदम से फट पड़े.

सुषमा स्वराज को वीज़ा माता और पता नहीं क्या-क्या नाम दिए गए. उनको मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाला कहा गया. यही नहीं, उनको ट्रोल करने वाले बीजेपी की ट्रोल आर्मी के वही लोग हैं जिनको बीजेपी के बड़े बड़े नेता फौलो करते हैं. ये ट्रोल आर्मी वो है जिसको सिर्फ एक उद्देश्य के साथ बनाया और पाला पोसा गया. वो था हर उस आवाज़ को कुचल कर उसे शांत कर देना जो पार्टी की इमेज के विरोध में जाती हो. आलोचना करने वाली हो.

मेरी बिल्ली मुझी से म्याऊं वाली हालत हो गई सोशल मीडिया पर. फोटो: इंडिया टुडे मेरी बिल्ली मुझी से म्याऊं वाली हालत हो गई सोशल मीडिया पर. फोटो: इंडिया टुडे

इस बार निशाने पर अपनी ही पार्टी की नेता आ गईं.

वो क्या है न, बोया बीज बबूल का....

खैर. इस पूरी ट्रोलिंग में सुषमा स्वराज ने उन सभी ट्वीट्स को हाईलाइट किया जिनमें उनको टारगेट किया गया था. लेकिन ये शिकायत सामने लाने के बावजूद भाजपा के नेताओं ने इस पूरे मामले पर चुप्पी बनाए रखी. अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं आई है. सुषमा ने पोल किया है ट्विटर पर. कितने लोग ऐसी ट्रोलिंग का समर्थन करते हैं ये पूछने के लिए. नतीजे आप खुद देखिए:

सुषमा का साथ दिया तो महबूबा मुफ़्ती ने. महबूबा मुफ़्ती अभी हाल तक जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री रही थीं. पीडीपी की अध्यक्ष हैं. बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार थी. अभी गिरी है, महबूबा ने इस्तीफ़ा दे दिया था. महबूबा ने सुषमा के समर्थन में ट्वीट किया. कहा जब विदेशी मसलों की मंत्री का ये हाल है तो एक साधारण औरत का क्या हाल होगा. उमर अब्दुल्लाह ने भी सुषमा को सपोर्ट किया है.

ट्विटर पर कई यूजर्स ने सुषमा के समर्थन में ट्वीट किए हैं. सबका यही कहना है कि इस तरह की ट्रोलिंग किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती. लेकिन जिस जानवर को भाजपा ने जंग में अपने विरोधियों के ऊपर छोड़ने के लिए ट्रेन किया था, अब वो जंगली हो गया है.

हाथी ने हौदा गिरा दिया है, और महावत अब उसे कितना भी कोंचे, वो उसे भी कुचल कर रहेगा.

कुछ सुना-सुना सा लग रहा है आपको?

ये कोई नई कहानी नहीं है. सदियों से जो कहानी चली आ रही है उसी का नया फ्लेवर है. कौन सी कहानी? मेरी नानी सुनाया करती थीं. आप भी सुन लीजिए.

भगवन शिव को औढरदानी कहा जाता है. यानी जो वरदान मांगो वो दे देंगे. भोले भंडारी हैं. ज्यादा नहीं सोचते. खुश होते हैं तो छप्पर फाड़ कर कुछ भी दे देते हैं. ऐसे ही भस्मासुर नाम के असुर ने काफी तपस्या की. भगवान शिव को खुश किया. भगवन शिव सामने आए , तो क्या वरदान मांगा ? ये मांगा कि मैं जिसके सर पर हाथ रखूं वो भस्म हो जाए. शिव ने वो वरदान दे दिया.

अब क्या, भस्मासुर सीधे शिव के पीछे. अब शिव क्या करें. जो वरदान लिया वो कैसे वापस लें. खुद को भस्म होने से कैसे बचाएं. भागे सर पर पैर रखकर. विष्णु जी की गुहार लगी. मोहिनी रूप लेकर आए . मोहिनी रूप क्या? अप्सराओं से भी सुन्दर, प्रकृति से भी मोहक स्त्री का रूप. विष्णु पहले भी ऐसे एडवेंचर कर चुके थे. मोहिनी रूप में ही. वो कहानी फिर कभी. खैर मोहिनी रूप में आकर उन्होंने भस्मासुर को अपने साथ नाचने के लिए बुलाया. भस्मासुर लुढ़क पुढ़क पहुंचा, लेकिन नाचना नहीं जानता था. मोहिनी ने कहा, जैसे मैं नाचूंगी, तुम भी नाचो. भस्मासुर वैसे ही नाचने लगा. नाचते-नाचते मोहिनी ने अपने सर पर हाथ रखकर मटकना शुरू किया.  मोहिनी को देखते हुए भस्मासुर होश में कहां रहता, उसने भी अपने सिर पर हाथ रख लिया. बस और क्या, भक्क करके विदा हुआ दुनिया से.  

ये ट्रोल भी ऐसे ही भक्क होंगे!  देखते जाइए.     

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group