सुकन्या समृद्धि योजना: अगर आपकी बेटी है तो इसमें जरूर लगाएं पैसे
बेटी का भविष्य सुधरेगा और टैक्स भी बचेगा.
सुकन्या समृद्धि योजना- बच्चियों के लिए 2015 में शुरू की गई सरकार की एक ऐसी योजना जिससे उनकी पढ़ाई और शादी तक के खर्चों के लिए बचत की जा सकती है. बहुत अच्छे रिटर्न्स हैं इसपर. ब्याज काफी अच्छे रेट पर मिल रहा है. टैक्स में छूट भी है. जानिए वो सब कुछ जो आपको जानना चाहिए इस योजना के बारे में.
क्या है सुकन्या समृद्धि योजना?
बेटियों के लिए स्मॉल सेविंग स्कीम यानी छोटी बचत योजना का नाम है. वो बेटियां जिनकी उम्र 10 साल से कम है. अगर आपके घर में, आपके आस-पास भी कोई ऐसी बच्ची है जिसकी उम्र 10 साल से कम है तो उसका अकाउंट खुल सकता है इस योजना में.
कैसे खुलता है अकाउंट?
आपको अपने नजदीकी पोस्ट ऑफिस या सरकारी बैंक में जाना होगा. पोस्ट ऑफिस कोई भी हो सकता है. सरकारी बैंकों के अलावा प्राइवेट बैंको में आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक में भी ये सुविधा उपलब्ध है. वहां जाइए, फॉर्म लीजिए, भरिए. जो डॉक्यूमेंट मांगे गए हैं, वो लगाइए. आप अपनी बच्ची के लिए ये अकाउंट खुलवा सकते हैं. अगर आप उसके गार्जियन हैं, तब भी ये अकाउंट आप खुलवा सकते हैं. शर्त ये है कि बच्ची भारत की नागरिक होनी चाहिए.
क्या क्या डॉक्यूमेंट लगेंगे खाता खुलवाने में?
आपका आधार कार्ड. आवास प्रमाण पत्र. बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र. ये जन्म प्रमाण पत्र हॉस्पिटल, ग्राम पंचायत, या नगरपालिका यानी म्युनिसपैल्टी से बनवाया जा सकता है. सुकन्या समृद्धि योजना में अकाउंट खुलवाने के लिए जो फॉर्म आता है, वो भी साथ में लगेगा. अकाउंट खुलेगा तो आपको उसकी एक पासबुक मिल जाएगी. उसमें खाते की पूरी जानकारी होगी. इसे संभाल कर रखिएगा.
कितने रुपए लगेंगे खाता खुलवाने में?
1000 रुपए जमा करके खाता खुल जाएगा. हर साल कम से कम 250 रुपए जमा करने होंगे. पहले हर साल कम से कम 1000 रुपए जमा करने थे खाते में. अब ये लिमिट घट कर 250 रुपए हो गई है. ये इसलिए किया गया है ताकि जो लोग थोड़ी-थोड़ी रकम जमा करना चाहते हैं, उन पर कोई दबाव ना पड़े. इसमें से पैसे निकाले नहीं जा सकते जब तक लड़की 18 साल की ना हो जाए.
क्या एक ही बेटी का खाता खुलेगा?
एक परिवार से दो लड़कियों का खाता खोला जा सकता है. यानी अगर आपकी दो बेटियां हैं तो उन दोनों के खाते खुल जाएंगे. तीसरी का नहीं खुलेगा. इसमें एक ही अपवाद हो सकता है. या तो पहली बार बच्चे के जन्म में ही तीन लड़कियां पैदा हो जाएं. या फिर एक बेटी पहले से मौजूद हो, दूसरी बार प्रेगनेंसी में जुड़वां लड़कियां डिलिवर हों. इस अपवाद में तीनों लड़कियों का खाता खोला जाएगा.
कितने पैसे जमा किए जा सकते हैं एक साल में?
साल भर में 1.5 लाख रुपए से ज्यादा इस अकाउंट में नहीं डाले जा सकते. आपकी दो बेटियां हैं, दोनों के अलग अलग अकाउंट हैं, फिर भी लिमिट तीन लाख नहीं होगी, 1.5 लाख ही रहेगी. अगर गलती से ऐसा हो गया कि आपने साल भर में 1.5 लाख से ज्यादा पैसे जमा कर दिए, तो जितने एक्स्ट्रा पैसे चले गए हैं, उनको निकाला जा सकता है वापस, उस पर कोई इंटरेस्ट नहीं मिलेगा. इसके लिए आपको अपने पोस्ट ऑफिस या बैंक के सम्बंधित अधिकारी के पास जा कर एक एप्लीकेशन देनी होगी. पैसा कैश, चेक, डिमांड ड्राफ्ट, ऑनलाइन कैसे भी जमा किया जा सकता है.
कब तक पैसे जमा करने होंगे? कब निकाल सकते हैं?
जब से आपने अकाउंट खोला है, तब से लेकर 14 साल तक इसमें पैसे डिपोजिट किए जा सकते हैं. बच्ची 10 साल की हो जाएगी, उसके बाद खुद से भी जाकर पैसे जमा करा सकती है, अपना अकाउंट ऑपरेट कर सकती है. जब वो 18 साल की हो जाएगी, तो अकाउंट फिर वही ऑपरेट करेगी यानी चलाएगी, उसी के साइन वगैरह मान्य होंगे. मान लीजिये आपने 2018 में एक अकाउंट खुलवाया. इस अकाउंट में आपको 2032 तक डिपाजिट करना होगा. 2039 में ये अकाउंट मैच्योर हो जाएगा. यानी इसपर सुकन्या समृद्धि की ब्याज दर लगनी बंद हो जाएगी.
अगर किसी साल पैसे जमा नहीं किए तो क्या होगा?
अगर आपने पैसे जमा नहीं किए तो अकाउंट रोक दिया जाएगा. उसे दुबारा खुलवाने के लिए 50 रुपए का फाइन, और जिस साल पैसे जमा नहीं हुए वो पूरे पैसे आपको जमा कराने होंगे. अगर एक साल से ज्यादा के पैसे जमा नहीं हुए हैं, तो वो पूरे देने होंगे.
क्या अकाउंट के मैच्योर होने से पहले भी पैसे निकाले जा सकते हैं?
इसे प्री-मैच्योर क्लोज़र कहा जाता है. लड़की के 18 साल की होने पर उसकी शादी या पढ़ाई के लिए पूरे पैसे निकाले जा सकते हैं. अगर उसकी शादी हो रही है, तो पूरे पैसे निकालने की छूट है. पहले इसमें 50 % की लिमिट थी. अगर उसे पढ़ाई के लिए पैसा चाहिए, तो जिस संस्थान में वो पढ़ाई करने जा रही है वहां की फी स्लिप दिखानी होगी. ये दिखाना होगा कि उसका एडमिशन वहां कन्फर्म हो गया है. या तो एक बार में निकाल लिए जाएं पैसे, या फिर साल में एक बार, पांच साल तक निकाले जाएं. अगर अकाउंट खुलने के बाद लड़की की मौत हो जाती है, तो उसका डेथ सर्टिफिकेट दिखाकर अकाउंट बंद करवाया जा सकता है. उसमें जो भी पैसे होंगे वो ब्याज समेत लड़की के माता-पिता या गार्जियन को दे दिए जायेंगे.
अगर अकाउंट खुलने के बाद लड़की भारत की नागरिकता छोड़ देती है, तो उसके एक महीने के भीतर भीतर ये सूचना अपने बैंक या पोस्ट ऑफिस को भिजवानी होगी. जहाँ भी उसका अकाउंट है, उसे बंद कर के उसमें मौजूद पैसे उस अकाउंट की मालिक लड़की को या उसके गार्जियंस को वापस दे दिए जाएंगे. यही नहीं, अगर ऐसा है कि लड़की या उसका परिवार इस अकाउंट में बचत का खर्चा नहीं उठा पा रहा है, जैसे अगर लड़की को कोई बहुत गंभीर बीमारी हो जिसका खर्च उठाना मुश्किल हो रहा हो या बच्ची छोटी हो और गार्जियंस/माता-पिता की मौत हो जाए, तो भी कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद ये खाता बंद किया जा सकता है. ये सहानुभूति के आधार पर दी गई छूट है और इसमें खाता खुलने की डेट के पांच साल बाद ही बंद किया जा सकेगा. यही नहीं, जितने भी पैसे उस अकाउंट में जमा होंगे, उन पर सामान्य पोस्ट ऑफिस सेविंग खाते का ब्याज ही मिलेगा.
क्या इस पूरी योजना में टैक्स की कोई छूट है?
इन्कम टैक्स की धारा 80 C में आप इस अकाउंट में जितने भी पैसे जमा करेंगे (सालाना 1.5 लाख तक), उस पर छूट मिलेगी. इस अकाउंट से जब आप पैसे निकालेंगे, उस पर भी छूट मिलेगी. जो ब्याज यानी इंटरेस्ट है, उसे भी छूट मिली हुई है इसी धारा के अंतर्गत.
21 साल की लिमिट ख़त्म होने के बाद क्या होगा?
आपका अकाउंट खुले 21 साल हो गए, अब वो मैच्योर हो गया है. उसमें से आप पूरे पैसे निकाल सकती हैं. आप उसे नहीं भी निकालिए वो आपकी चॉइस है, पर 21 साल के बाद उस पर सुकन्या समृद्धि वाला ब्याज नहीं मिलेगा. इस स्कीम पर मिलने वाला इंटरेस्ट PPF से बेहतर है, लेकिन PPF के मुकाबले इसमें कुछ कमियां भी हैं. जैसे PPF के आधार पर आपको लोन मिल सकता है, सुकन्या समृद्धि योजना में आपके जमा पैसों के आधार पर आपको लोन नहीं मिलेगा. आप अपना अकाउंट एक पोस्ट ऑफिस से दूसरे पोस्ट ऑफिस में ट्रान्सफर करवा सकती हैं. अगर इसे बैंक में ट्रान्सफर करना हो तो कुछ पैसे आपको देने होंगे जो आप अपने पोस्ट ऑफिस से कन्फर्म कर सकती हैं.
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नवम्बर 2017 तक इस योजना में 1.26 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं और उनमें 19,183 रुपए जमा किए गए हैं, ऐसा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूनियन बजट पेश करते हुए कहा था. पर जनसंख्या के हिसाब से ये एक बहुत ही छोटा आंकड़ा है. जितने खाते इसमें खुलने चाहिए थे, उतने खुले नहीं हैं. ये सिर्फ सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है कि वो एक योजना को हर घर तक पहुंचाए. अगर इसके बारे में आप कहीं भी सुनते हैं, पढ़ते हैं, तो इसके बारे में और जानकारी लीजिए. देखिए, आपके आस पास कितनी बच्चियों का ये खाता खुलवाया गया है. नहीं खुलवाया गया तो उनको इस बारे में बताइए. अपने घर की लड़कियों के खाते खुलवाइए. उनके फ्यूचर के लिए कोई सही कदम उठाना है, तो उसकी शुरुआत में एक कदम ये भी हो सकता है.
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