स्टूडेंट ऑफ द ईयर टू बनाने के पीछे एक बहुत बड़ी वजह है जो करन जौहर आपको कभी नहीं बताएंगे

लेकिन हम किस दिन काम आएंगे. तो सुन लीजिए.

2012 में करन जौहर ने फ़िल्मी बच्चों को डीसेंट लॉन्चिंग देने के लिए एक फिल्म बनाई थी. नाम था स्टूडेंट ऑफ द ईयर. इसमें स्टार बच्चे थे वरुण धवन और आलिया भट्ट. नेपोटिज्म की आग में सोडा डालने के लिए सिद्धार्थ मल्होत्रा को भी ले लिया गया था ताकि एक फूल दो माली वाला सीन क्रिएट किया जा सके. पुरानी फिल्म है. संजय खान, बलराज साहनी, और साधना थे इसमें. उसके बारे में यहां बात करने का लॉजिक नहीं है, पर लॉजिक तो यहां पे किसी भी चीज़ का नहीं है. तो लेट्स नॉट टॉक अबाउट दैट. तो स्टूडेंट ऑफ द ईयर में एक बड़े से स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कम्पिटीशन करते थे साल में एक बार. उसमें स्टूडेंट ऑफ द ईयर की ट्रॉफी मिलती थी. इसमें थोड़ा बहुत पढ़ाई-लिखाई का टेस्ट, नाचना-गाना, दौड़-भाग सब कुछ होता था.

अब स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 में बच्चे कॉलेज के पहले साल में आ गए हैं. कॉलेज का नाम है सेंट टेरेसा. कॉलेज में समीर सोनी हैं जिनका काम सिर्फ माइक में 'गूड मॉर्निंग स्टूडेंट्स्स्स्स' चिल्लाना है. वहां के प्रिंसिपल/डीन/डायरेक्टर/सर्वेसर्वा उन्हीं को मान लीजिए. देहरादून के आठ कॉलेज हैं जिनके बीच कम्पिटीशन होता है. हर साल. उसे डिग्निटी कप कहते हैं. जो इस फिल्म में कहीं है नहीं. अब इस फिल्म के किरदार.

soty-2-750x500_051019045514.jpgतस्वीर: फेसबुक

  1. टाइगर श्रॉफ: लीड रोल. रोहन सचदेव. पेरेंट्स हैं नहीं. मसूरी के एक छोटे से कॉलेज पिशोरीलाल चमनदास में उछलम-कूदम मचाता रहता है. सपना है सेंट टेरेसा जाने का. इसलिए नहीं कि वहां जाना है. बल्कि इसलिए क्योंकि उसकी बचपन की गर्लफ्रेंड वहां चली गई है. वो गर्लफ्रेंड जिसके घर वो आज तक मेन दरवाजे से नहीं घुसा. छतें ही टाप कर गया है. इससे याद आया कि इस पूरी फिल्म में विलेन चाहे कोई भी हो, टाइगर श्रॉफ के लिए ज़मीन है. दो घंटे 26 मिनट की फिल्म में मुश्किल से 26 मिनट उन्होंने ज़मीन पर बिताये हैं. इतनी नफरत है धरती से कि उन्हें दूसरा थानोस कहा जा सकता है. खैर. रोहन को स्कॉलरशिप मिल जाती है. इतनी आसानी से जैसे अनन्या पांडे को उनका ब्रेक मिल गया था. LOL. वो सेंट टेरेसा चला जाता है. लेकिन वहां जाके उसे पता चलता है आईला मैं तो यहां फिट ही नहीं होता. पचहत्तर चीज़ें होती हैं, फिर उसे वहां से निकाल दिया जाता है. लौट के बुद्धू घर को आ जाते हैं, और पिशोरीलाल में वापस पढ़ने लगते हैं. फिर डिग्निटी कप होता है.

    soty-9-750x500_051019045612.jpgअमीर कॉलेज का नाम सेंट टेरेसा. गरीब वाले का पिशोरीलाल चमनदास. मतलब सीरियसली?

  2. तारा सुतारिया: लीड रोल नंबर 2. नाम मृदुला चावला. जोकि मिया चावला हो जाता है. क्योंकि जब तक नाम अलाया-बलाया-चलाया ना हों तब तक 'हाई क्लास' कैसे लगेगा. टाइगर श्रॉफ की वही गर्लफ्रेंड जिसके लिए वो टेरेसा गए. खैर. डांस में इंटरेस्ट है. कॉलेज का कम्पिटीशन जीतना चाहती हैं. उसके लिए टाइगर श्रॉफ के साथ टीम अप करती हैं. लेकिन कॉलेज का स्टड तो मानव रंधावा है. किरदार निभाया है आदित्य सिल ने. अब अगर वो विलेन है, तो विलेन पर भी तो किसी न किसी का दिल आएगा ही. तो तारा सुतारिया उर्फ़ मृदुला चावला उर्फ़ मिया चावला का दिल मानव पर आता है. खूब बकैती होती है. फिर टाइगर का दिल टूट जाता है. मिया के नाम का बनवाया टैटू अब क्या ड्राइंग बनवाकर छुपाएं ये टेंशन शुरू हो जाती है. लेकिन फिकर नॉट. मिया का ये आखिरी सीन नहीं है. अभी आगे इनका इस्तेमाल होगा. ताकि पुनीत मल्होत्रा की इस फिल्म में मिसोजिनी कहीं से कम ना पड़ने पाए.

    soty-5-750x500_051019045644.jpgतारा का एक सिंगल गाना है, जिसके लिरिक्स कतई बेकार हैं.

  3. अनन्या पांडे: लीड रोल नंबर 3. नाम श्रेया रंधावा. कॉलेज स्टड मानव रंधावा की बहन. नेपोटिज्म फैक्ट्री की एक और पैकेजिंग. इस फिल्म में रोल उनको वही दिया गया है जो आयशा में सोनम कपूर को दिया गया था, बेसिकली, शी इज प्लेयिंग हरसेल्फ़ इन द मूवी. फिल्म की शुरुआत में नेगेटिव रोल होता है. लेकिन बाद में पता चलता है कि अनन्या की भी एक 'दर्दभरी' कहानी है, जोकि होनी ज़रूरी थी वरना उस किरदार से किसी को कोई सिम्पथी कभी नहीं हो सकती. तो होता ये है कि उसे भी टाइगर श्रॉफ से प्रेम हो जाता है.

    soty-8-750x500_051019050028.jpgअनन्या कभी -कभी भूल जाती हैं कि उनको एक्टिंग करनी है और ये पॉजिटिव सेन्स में कही गई बात नहीं है.

    फिर तारा सुतारिया और अनन्या पांडे टाइगर पर मरना शुरू हो जाती हैं. लेकिन टाइगर का प्यार सिर्फ एक है और वो हम सब जानते हैं. छलांगें मारना. इस व्यक्ति को अगर कहा जाए जा टाइगर जी ले अपनी ज़िन्दगी तो वो शायद ट्रेन के डब्बों पर छलांग मारते हुए दिखाई देंगे.
  4. आदित्य सिल: काइंड ऑफ लीड रोल नंबर 4. नाम मानव रंधावा. सेंट टेरेसा का सबसे धाकड़ स्टूडेंट. ये इससे पता चलता है क्योंकि उसने पिछले दो साल से स्टूडेंट ऑफ द ईयर ट्रॉफी जीती है. अमीर है. पापा कॉलेज के ट्रस्टी हैं. एक तो भई ये आजतक ट्रस्टी वाला सीन समझ नहीं आया. ये सिर्फ पैसे वाले लोग होते हैं? या काम भी करते हैं? कोई रोल एक्सप्लेन कर दो भई. या फिर ऐसा है कि किसी को ओबेरॉय या सिंघानिया लिख देंगे तो ऑटोमेटिकली लोग मान लेंगे कि वो अमीर है? एनीवे. उसको जीतना है और हर हाल में जीतना है. टाइगर श्रॉफ की तरह छलांग मारना उसे भी पसंद है लेकिन अनलाइक टाइगर वो थोड़ा ज़मीन से जुड़ा हुआ इंसान है यानी खड़े-खड़े समय ज्यादा गुजारता है, हवा में कम. यहीं पर वो मात खा जाता है.

    soty-3-750x500_051019050121.jpgफिल्म में विलेन का होना ज़रूरी था, इसलिए इनको रखा गया, वरना और कोई पॉइंट नहीं है.

फिल्म में लॉजिक नहीं है. वो एक्स्पेक्ट किया भी नहीं था. इसलिए कोई बात नहीं. फिल्म में स्टोरीलाइन कुछ नहीं है. वो भी एक्स्पेक्ट नहीं किया था. तो कोई बात नहीं. टाइगर श्रॉफ की एक्टिंग देखकर कृष 2 के रोहन की याद आती है. जो कहता है, मेरी शक्तियों का गलत इस्तेमाल हुआ है मां. टाइगर श्रॉफ को ओलंपिक्स में भारत की तरफ से जिम्नास्टिक्स/एक्रोबेट में जाना चाहिए. वहां गोल्ड लाने के चांसेस बहुत ज्यादा हैं.

कबड्डी को यहां सर्कस बना दिया गया है.असल दिक्कत तो इसी बात से होनी चाहिए. स्टूडेंट ऑफ द ईयर की ये कैसी ट्रॉफी कि जिस बालक ने पूरी फिल्म में किताब छुई तक नहीं उसे स्टूडेंट कहा जाए? कौन कॉलेज के फर्स्ट ईयर में होते हैं ऐसे सिक्स पैक एब वाले बच्चे? कौन ऐसा कम्पिटीशन जिसमें लड़कियों ने भाग तक नहीं लिया? कैसा है ये? क्या है ये? क्यों है ये? क्यों ही है ये?

मुझे मेरे पैसे वापस चाहिए. अगर पॉपकॉर्न और कोक नहीं होती तो शायद हॉल में बैठना दुश्वार हो जाता.

करन जौहर ने ये फिल्म सिर्फ और सिर्फ एक वजह से प्रोड्यूस की होगी. और ये भी पक्का है कि वो ये बात किसी को बताएंगे नहीं. पर हमें पता चल गया है. वजह ये है कि लोग ये फिल्म देखें, और उनकी नज़र में स्टूडेंट ऑफ द ईयर वन (दि ओरिजिनल) के लिए इज्जत बढ़ जाए. करन जौहर ने अपनी फिल्म को ट्रोलिंग से बचाने के लिए ही ये फिल्म प्रोड्यूस की है, ताकि लोगों का ध्यान इसी पे लग जाए. और जाहिर सी बात है. इस फिल्म के सामने SOTY सचमुच एक बेहतर फिल्म है.

ये लाइन लिखने के बाद मैं अपना कीबोर्ड तोड़ दूंगी. इससे दुबारा कुछ भी लिखा जाना पाप होगा.

 

 

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