हाथ नहीं हैं, 12 साल तक सड़कों पर भीख मांगी, अब हजारों रुपए में पेंटिंग बेच रही हैं

दोनों हाथ नहीं है, कमर का हिस्सा भी ठीक से काम नहीं करता.

लालिमा लालिमा
दिसंबर 18, 2018
पेंटिंग बनाती हुईं अंजना. फोटो- स्पेशल अरेंजमेंट (विनीता)

'उड़ान' सीरीज में हम बता रहे हैं ऐसी महिलाओं की कहानी, जिन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता की एक नई परिभाषा तय की है. जिन्होंने हालात से हार मानने की बजाए अपने हौसले से न सिर्फ खुद को बल्कि अपने जैसे तमाम लोगों को आगे बढ़ने की उम्मीद दी है. इस सीरीज की और कहानियां पढ़ने के लिए स्टोरी के अंत में बने टैग पर क्लिक करें.

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अंजना माली 32 साल की हैं. ऋषिकेश में रहती हैं. कलाकार हैं. दिव्यांग हैं, उनके दोनों हाथ नहीं हैं. लेकिन फिर भी गजब की चित्रकारी करती हैं. कैसे? पैरों से. उनकी बनाई हुई पेंटिंग्स 2 से 5 हजार रुपए में तो आराम से बिक जाती हैं. ऋषिकेश घूमने जाने वाले लोग, अंजना का हुनर देखकर होश खो बैठते हैं. उनकी चित्रकारी को देख पेंटिंग्स खरीदने से खुद को रोक नहीं पाते. अंजना की कमाई से उनका घर चलता है. परिवार में मां, बीमार पिता, और एक दिव्यांग भाई है. सब किराए के घर में रहते हैं, लेकिन अंजना खुद का घर बनाना चाहती हैं.

वो बहुत मेहनती हैं. सपने देखती हैं, और उन्हें पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत भी करती हैं. दोनों हाथ न होने पर भी, खुद को दूसरों से कम नहीं समझती. इज्जत की जिंदगी जीती हैं. लेकिन अंजना आज जैसी हैं, कुछ सालों पहले तक वो ऐसी बिल्कुल भी नहीं थीं. मतलब, अंजना को अपना चित्रकारी का हुनर पहचानने में सालों लग गए. कुछ साल पहले तक वो सड़कों पर भीख मांगती थीं. उन्होंने करीब 12 साल तक दर-दर भटककर भीख मांगी है.

untitled-1_750x500_121818103657.jpgअंजना. फोटो- स्पेशल अरेंजमेंट (विनीता)

दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जन्म से ही अंजना के दोनों हाथ नहीं हैं. उनकी कमर का हिस्सा भी ठीक से काम नहीं करता. मजबूरी में वो भीख मांगती थीं. उनके सामने से निकलने वाले लोग उन्हें एक-दो रुपए दे देते थे.

अंजना को जिसने इज्जत से जीना सिखाया, वो एक विदेशी औरत हैं. नाम है- स्टीफेनी. अमेरिका की हैं. वो भी एक कलाकार ही हैं. वो 2015 में ऋषिकेश घूमने आई थीं. हर साल हजारों विदेशी आते हैं. स्टेफनी ऋषिकेश की गलियों में घूम रही थीं. घूमते हुए वो उस फुटपाथ के सामने से गुजरीं, जहां अंजना बैठकर भीख मांग रही थीं. अंजना ने अपने पैरों की उंगलियों के बीच एक कोयले का छोटा सा टुकड़ा पकड़ा हुआ था. जिससे वो जमीन पर 'राम' लिख रही थीं. स्टेफनी खड़े होकर उन्हें देखने लगीं. और ये पहचानने में कि अंजना के अंदर चित्रकारी की कला छिपी हुई है, स्टेफनी को जरा भी टाइम नहीं लगा. स्टेफनी ने उन्हें चित्रकारी सिखानी शुरू कर दी.

untitled-2_750x500_121818103724.jpgस्टेफनी के साथ अंजना. फोटो- स्पेशल अरेंजमेंट (विनीता)

कुछ ही टाइम बाद, अंजना बढ़िया-बढ़िया चीजें बनाने लगीं. देवी-देवता, पशु-पक्षी और प्रकृति के नजारे. कुछ ही समय बाद उनकी पेंटिंग्स के अच्छे-खासे दाम भी मिलने लगे. अभी तक उनकी सबसे महंगी पेंटिंग 7 हजार रुपए में बिकी है. एक पेंटिंग तैयार करने में उन्हें 4-5 दिन का टाइम लगता है.

स्टेफनी दोबारा अंजना से मिलने नहीं आईं. लेकिन कुछ दिनों पहले अंजना को अमेरिका से एक पार्सल मिला था. जिसमें उनकी पेंटिंग्स का एक एलबम था. बॉलीवुड ने हमें सिखाया है कि परदेसी चले जाते हैं. इसलिए उन्हें दिल नहीं देना चाहिए. मगर स्टेफनी, अंजना को एक नया जीवन देकर गई हैं. और इन दोनों औरतों ने मिलकर उन्हें ठेंगा दिखाया है जो धर्म, देश और नस्ल के नाम पर हमें बांटते हैं.    

 

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