आप संडास में खाना नहीं खाते, मगर उम्मीद करते हैं मां अपने बच्चे को दूध पिलाने वॉशरूम में जाए
एक मॉल में एक औरत के साथ बेहद भद्दा बर्ताव हुआ है.
आपने कभी वॉशरूम में खाना खाया है? नहीं, न. कोई भी वॉशरूम में खाना क्यों खाएगा? लेकिन कोलकाता में एक मॉल में काम करने वाली औरतों को लगता है कि एक सात महीने की बच्ची को उसका खाना वॉशरूम में खाना चाहिए. साउथ सिटी मॉल में जब एक मां को चेंजिंग रूम नहीं मिला तो वहां पर मौजूद औरतों ने कहा कि वो वॉशरूम में अपनी बेटी को दूध पिलाए.
साउथ सिटी मॉल का दृश्य. फोटो क्रेडिट- फेसबुक
अभिलाषा कोलकाता में डॉक्टर हैं. 25 नवंबर को वो साउथ सिटी मॉल गई हुई थीं. उनकी सात महीने की बेटी भी उनके साथ थी. अब उसे भूख लगी और वो रोने लगी. अभिलाषा ने सोचा मॉल में चेंजिंग रूम होगा तो वो अपनी बच्ची को दूध पिला लेंगी. वहां पर उन्हें कोई चेंजिंग रूम ही नहीं मिला. मॉल के पहले और दूसरे दोनों फ्लोर्स पर कोई भी चेंजिंग रूम नहीं है. वहां काम करने वाली औरतों ने अभिलाषा को कहा कि वो बच्ची को वॉशरूम में दूध पिलाएं. वो अपनी बच्ची के लिए वॉशरूम भी चली गईं लेकिन वो इतना गंदा था कि उन्हें तुरंत बाहर आना पड़ा.
दुकानदारों ने ब्रेस्टफीडिंग के लिए चैंजिंग रूम इस्तेमाल करने से मना कर दिया. फोटो क्रेडिट- फेसबुक
अभिलाषा ने एक बैंच पर बैठ कर अपनी बेटी को दूध पिलाने की कोशिश की लेकिन वो बहुत ही अनकम्फर्टेबल था. कुछ दुकान वालों से भी उन्होंने कहा कि क्या वो वहां का चेंजिंग रूम इस्तेमाल कर सकती हैं तो सभी ने मना कर दिया. फिर एक कपड़ों के आउटलेट में वो गईं. वहां कोई खरीददार नहीं था. वहां के दुकानदार ने उन्हें ट्रायल रूम में बच्ची को दूध पिलाने की इजाज़त दे दी.
मॉल कुछ महीनों पहले ही रिनोवेट हुआ है. फोटो क्रेडिट- फेसबुक
अभिलाषा ने ये बात साउथ सिटी मॉल के पेज पर फीडबैक में लिख दी. जिसके जवाब में पेज ने कहा कि ये हास्यास्पद है. ये आपके घर का काम है. आप दूसरों की निजता में दखल नहीं डाल सकतीं. अगर बच्ची को दूध पिलाना घर का काम है तो खाना खाना भी हमारे घर का काम है. सारे फूड आउटलेट्स को मॉल में बंद कर दिया जाना चाहिए. वॉशरूम जाना भी हमारे घर का काम है. सभी वॉशरूम भी बंद कर दीजिए.
इसके बाद पेज ने एक आधिकारिक पोस्ट लिख कर माफी मांगी. उन्होंने कहा कि जवाब हमारी तरफ से हायर एजेंसी ने दिया है. जो कि पूरी तरह गलत है. हम माफी मांगते हैं.
छोटे बच्चों का पूरा भोजन ही मां का दूध होता है. उन्हें मां के दूध से ही अपने शरीर के लिए ज़रूरी प्रोटीन्स और सारे न्यूट्रिएंट्स मिल जाते हैं. ये उनके लिए बेहद अहम है. अब हमने कई बार देखा है कि किसी भी पब्लिक प्लेस में छोटे बच्चों की मांओं को बहुत परेशानी होती है. उन्हें दूध पिलाना एक टास्क से कम नहीं होता. लोग घूरते हैं. उन्हें असहज महसूस कराते हैं. कई बार कमेंट करते हैं.
फिर इसी मां को भगवान बताकर सोशल मीडिया पर इनकी इज्जत करने का ढोंग करते हैं.
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