तंदूरी मुर्गी एल्कोहल से गटकना बंद कर देंगे तो नाचेंगे कैसे?
विदेशों में गाने बैन हो रहे हैं, हम चखने की माफिक लड़कियां गटकने की बात कर रहे.

हसीना एक दिन मान जाती है. मुन्नी अमिया से आम हो जाती है. शीला फटीचर आदमी से प्यार करने से मना कर देती है. चमेली चिकनी होती है तभी उस पर से गाना फिसलता है.
ये गाने नहीं होंगे तो बरात में नाचेगा कौन? घोड़ी के सामने नागिन डांस कौन करेगा? छोटे छोटे बच्चे बर्थडे पार्टियों में अंकल आंटी के सामने किस पर नाचेंगे टैलेंट दिखाने के लिए? ये गाने नहीं होंगे तो मस्ती कैसे होगी भई.
ये बात कोई कैनडा वालों को समझाओ. कैनडा वही जगह है जिसे अमेरिका का छोटा और सुशील भाई कहा जाता है. पंजाबियों का दूसरा घर, ऐसा भी कई लोग मजाक में कहते हैं. छोटू सा देश है. मस्त रहते हैं लोग. नोटों से खुशबू आती है. प्रधानमंत्री भांगड़ा करता है खुल के. दुनिया के सबसे सभ्य देशों में से एक. यहां ही ओहायो नाम की जगह है. उधर के एक रेडियो स्टेशन ने एक गाना अपनी लिस्ट से निकाल दिया है. कहा, क्रिसमस पे इसको नहीं बजाएंगे. कारण, ये गाना हद मर्दवादी और औरतों के यौन शोषण को ग्लोरिफाई करने वाला है.
अब एक गाना ही तो है. एक रेडियो स्टेशन उसको नहीं भी बजाएगा तो क्या हो जाएगा. दिक्कत ये है कि जिस गाने की बात यहां हो रही है वो क्रिसमस का बहुत पॉपुलर गाना है. कल्ट क्लासिक एकदम. जैसे होली में इधर रंग बरसे भीगे चुनर वाली है. 1944 में क्रिसमस स्पेशल गाना लिखा गया था – बेबी इट्स कोल्ड आउटसाइड. इसे बाद में 1949 में आई फिल्म नेपचून्स डॉटर (Neptune’s Daughter) में इस्तेमाल किया गया. इस गाने में एक पुरुष है जो अपने घर आई अपनी महिला दोस्त के साथ रोमांटिक होना चाहता है. लड़की मना करती है, पर वो बार बार उससे गुज़ारिश करता है कि वो उसके घर ही रुक जाए. बड़ी तारीफ मिली. 1950 के ऑस्कर में अवार्ड मिला इसको बेस्ट ओरिजिनल सॉंग का.
इस गाने के विडियो में भी ये दिखाया गया है कि महिला बार बार मना कर रही है लेकिन उसके साथ का पुरुष उसे फ़ोर्स कर रहा है अपने साथ रुकने के लिए. महिला कई बहाने बनाती है, लेकिन पुरुष मानता नहीं. इस गाने के डिफेन्स में भी कई लोग आए जिन्होंने कहा कि उस समय के हिसाब से ये गाना ठीक था. महिला अपने आप को समाज के सामने ‘लूज कैरेक्टर’ नहीं दिखाना चाहती इसलिए ना कर रही है इस तरह की दलीलें भी दी गईं.
लड़की हां करे या ना , दोनों में आफत. फिर करे तो करे क्या, बोले तो बोले क्या. तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट
अगर इस तरह के लिरिक्स को ज़िम्मेदार मानकर गाने हटाने शुरू कर दिए जाएं, तो बॉलीवुड के कितने गाने बचेंगे पता नहीं. लेकिन हर वो गाना जो किसी लड़की या औरत को माल बनाकर, ‘आइटम’ कहकर बेचा गया है, अगर वो बजना बंद ही हो जाए तो बेहतर. लोग कहते हैं, इतना खडूस बनने की क्या ज़रूरत है. गाना ही तो है. लोग इंजॉय करते हैं, फिर भूल जाते हैं. नाचते समय लिरिक्स पर ध्यान कौन देता है. जिनको ऐसा लगता है उनको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में एक भारतीय आदमी महिलाओं को छेड़ रहा था. उनका पीछा भी कर रहा था. जब उसे पकड़ा गया और अदालत में पेश किया गया, तो उसके वकील ने कहा कि इस तरह का बिहेवियर भारत में नार्मल है. वहां कि बॉलीवुड फिल्में इसे रोमांटिक दिखाती हैं. भाषण देकर हम और आप क्या ही कर लेंगे. लोगों ने सुनना है एक कान से और दूसरे से निकाल देना है. बीच में जो गंद अटक के रह गई है दिमाग में, उसकी सफाई की ज़िम्मेदारी कौन लेने को तैयार होगा?
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