सेरेना विलियम्स को लगता है कि वो एक बुरी मां हैं, क्या आपने भी कभी ऐसा महसूस किया?

वो नरक जो हर नयी मां को भोगना पड़ता है.

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
अगस्त 09, 2018
सेरेना ने इंस्टाग्राम पोस्ट में ‘पोस्टपार्टम इमोशंस’ का ज़िक्र किया. फोटो क्रेडिट- Reuters

‘पिछला हफ्ता मेरे लिए बहुत मुश्किल रहा. मुझे न सिर्फ बहुत सी मुश्किल परिस्थितियों को अपनाना था बल्कि मैं डर में जी रही थी. मुझे लगता रहा कि मैं एक अच्छी मां नहीं हूं.’

ये कहना है सेरेना विलियम्स का. सेरेना ने इंस्टाग्राम के एक पोस्ट में अपनी परेशानी का ज़िक्र किया. अक्सर मांओं को ऐसा लगता है कि वो अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ नहीं कर पा रही हैं. वो बहुत कुछ कर रही होती हैं लेकिन फिर भी उन्हें लगता है कि वो अपने बच्चों का सही से ध्यान नहीं रख रही हैं. सेरेना ने आगे लिखा-

‘मैंने कई लेख पढ़े जिनके अनुसार अगर सही तरह से ध्यान नहीं दिया जाए तो ‘पोस्टपार्टम इमोशंस’ 3 साल तक रह सकते हैं. मुझे बात करना पसंद है. अपनी मां, बहनों, दोस्तों से बात करके मुझे पता चला कि मैं जो सोच रही हूं वो सामान्य है.

मैं अपनी बेटी के साथ हमेशा रहती हूं पर फिर भी लगता है कि मुझे उसके साथ और अधिक रहना चाहिए. ज़्यादातर मांओं को ऐसा लगता है. चाहे वो घर पर रहती हों या नौकरी करती हों. अपने काम और बच्चों पर बराबर ध्यान देना मुश्किल है. सभी औरतें जो ये कर रही हैं वो सबसे अलग हैं, हीरो हैं.  

मैं यहां ये कहना चाहती हूं कि अगर आपका दिन या हफ्ता अच्छा नहीं रहा है तो कोई बात नहीं, मेरे लिए भी पिछला हफ्ता अच्छा नहीं रहा पर कल हम फिर से अच्छा कर सकते हैं.’

इस पोस्ट को आप यहां देख सकते हैं- 

 

Last week was not easy for me. Not only was I accepting some tough personal stuff, but I just was in a funk. Mostly, I felt like I was not a good mom. I read several articles that said postpartum emotions can last up to 3 years if not dealt with. I like communication best. Talking things through with my mom, my sisters, my friends let me know that my feelings are totally normal. It’s totally normal to feel like I’m not doing enough for my baby. We have all been there. I work a lot, I train, and I’m trying to be the best athlete I can be. However, that means although I have been with her every day of her life, I’m not around as much as I would like to be. Most of you moms deal with the same thing. Whether stay-at-home or working, finding that balance with kids is a true art. You are the true heroes. I’m here to say: if you are having a rough day or week--it’s ok--I am, too!!! There’s always tomm!

A post shared by Serena Williams (@serenawilliams) on

सेरेना ने जिस ‘पोस्टपार्टम इमोशन’ की बात की, ये होते क्या हैं?

प्रेग्नेंसी और डिलेवरी के दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत से फीज़िकल (शारीरिक), मेंटल (मानसिक) और हॉर्मोनल बदलाव होते हैं. इंडोक्राइन सिस्टम में हॉर्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं को पोस्टपार्टम इमोशंस हो सकते हैं. इसमें आपको एंज़ाइटी, तनाव, बार-बार रोना आना, गिल्टी महसूस करना और भी कई तरह की डिप्रेस करने वाली भावनाएं महसूस हो सकती हैं. ये अगर बढ़ जाता है तो डिप्रेशन भी हो सकता है.   

लगभग 15% औरतों को पोस्टपार्टम डिप्रेशन होता है. अगर इसका इलाज न कराया जाए तो ये तीन साल तक बना रह सकता है. हममें से बहुत सी महिलाओं ने इसे महसूस किया होगा. आमतौर पर लोग इस पर ध्यान ही नहीं देते. हमने साइकॉलोजिस्ट एकता सोनी से बात की तो उन्होंने बताया कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन काफी खतरनाक हो सकता है.

लगभग 15% औरतों को पोस्टपार्टम डिप्रेशन होता है. फोटो क्रेडिट- Getty Images लगभग 15% औरतों को पोस्टपार्टम डिप्रेशन होता है. फोटो क्रेडिट- Getty Images

प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के समय महिलाओं को खुद के लिए बहुत कम समय मिल पाता है. वो ठीक से सो भी नहीं पातीं. औरतों के शरीर में कई तरह के हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, जिसके कारण उन्हें मूड स्विंग्स होने लगते हैं. महिलाओं का अपने बच्चे के प्रति गुस्सा, बहुत अधिक रोना, उन्हें यहां तक लगने लगता है कि वो अब बंध गई हैं और जो भी कुछ परेशानी है वो नवजात बच्चे की वजह से ही है. ये कई दफ़ा इतना बढ़ जाता है कि औरतें अपने बच्चे को नुकसान तक पहुंचाने के बारे में सोचने लगती हैं.

दो हफ्तों से ज़्यादा पोस्टपार्टम इमोशंस रहने पर ये डिप्रेशन भी हो सकता है. फोटो क्रेडिट- Getty Images दो हफ्तों से ज़्यादा पोस्टपार्टम इमोशंस रहने पर ये डिप्रेशन भी हो सकता है. फोटो क्रेडिट- Getty Images

इन महिलाओं को इस बात का गिल्ट भी हो जाता है कि वो अपने बच्चे के बारे में ऐसा कैसे सोच सकती हैं. बच्चे उनकी ज़िम्मेदारी हैं, उन्हें चोट पहुंचाने के बारे कैसे सोच सकती हैं. अगर इस तरह के विचार एक-डेढ़ हफ्ते तक रहते हैं तो ये बेबी ब्ल्यूज़ होते हैं जो खत्म हो जाते हैं लेकिन दो हफ्तों से ज़्यादा इस तरह के विचार और डिप्रेशन रहने पर डॉक्टर से इलाज कराना बहुत ज़रूरी है. सही इलाज और परिवार की देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है.

सेरेना विलियम्स से पहले मशहूर गायिका ‘बियोंसे’ ने भी वोग मैग्ज़ीन को दिए इंटरव्यू में इनका ज़िक्र किया था. अमेरिकन सिंगर कार्डी बी ने भी पोस्टपार्टम इमोशंस के बारे में एक इंस्टाग्राम पोस्ट में ज़िक्र किया था.

बच्चा पैदा करने के पहले हर औरत को खुद को एक बच्चे की ज़िम्मेदारी के लिए तैयार करना होता है. उसके लिए उसका जीवन बदलने वाला होता है. लेकिन हमारे समाज में ये कोई बड़ी बात नहीं है. हम ये मानते हैं कि औरतें तो होती ही इसलिए हैं. और अगर वो जरा भी कमज़ोर पड़ जाएं,  तो हम कोई मौका नहीं छोड़ते उन्हें गलत ठहराने का. हम तैयार बैठे रहते हैं कि कैसे उसे बुरी मां साबित करें.

औरत मां बनने के बाद केवल मां होकर रह जाती हैं, इन्सान तो होती नहीं है. अगर औरत थोड़ी देर के लिए भी अपने बच्चे से दूर हो जाए तो तुरन्त उसे ताने देने लगते हैं. अगर मां नौकरी करने वाली है तो ज़ाहिर है कि उसे काम और बच्चे दोनों को देखना होगा. अगर अपनी मदद के लिए वो नौकरानी रख लेती है तो लोग कहने लगते हैं- ‘बच्चे संभाले नहीं जाते तो पैदा ही क्यों किया?’  लोग झट मां से पूछ बैठते हैं नौकरी और बच्चा दोनों कैसे संभालोगी? कोई किसी पिता से ये क्यों नहीं पूछता? कभी देखा है किसी को बच्चा हो और पिता से कोई पूछे, अब तुम काम और बच्चे को कैसे संभालोगे? ऐसा करो काम छोड़ दो, घर पर रहकर बच्चे की देखभाल करो. ये सलाह औरतों को तुरन्त दे दी जाती है, आदमियों को ऐसा क्यों नहीं कहा जाता? क्योंकि, उसका काम तय कर दिया है पैसे कमाओ.

अगर किसी पुरुष को अपने बच्चे की देखभाल करना हो तो? कोई अगर करना भी चाहे तो नहीं करेगा क्योंकि हम उसका मज़ाक उड़ाने लगेंगे- ‘कैसा आदमी है घर बैठ कर बच्चा संभल रहा है’. बच्चे को पैदा करने और उसे स्तनपान कराने के अलावा सारे काम पिता भी बच्चे के लिए कर सकते हैं, फिर चाहे हो डायपर बदलना हो या मालिश करना हो. मगर वे करते नहीं. 

मां बनना हम औरतों के जीवन का एक हिस्सा भर है. उसे हमारा पूरा जीवन मत बनाइए. 

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group