मरने वाले गरीब आदमी के आगे-पीछे कोई नहीं था, विधायक ने खुद अर्थी को कंधा दिया

मिलिए उस विधायक से जो अनाज की बोरियां अपनी पीठ पर लाद कर लोगों तक ले गया था.

ऐसा नेता जो हमेशा लोगों की मदद करता है. फोटो - ऑडनारी/पूर्णा विकास बोरा

‘ये नेता लोग तो होते ही खराब हैं.’

‘नेताओं का काम ही पैसा कमाना है.’

‘इन्हें किसी से मतलब नहीं है, बस अपनी जेब भरना चाहते हैं.’

कितनी बार ऐसे शब्द हमें नेताओं के बारे में सुनने को मिलते हैं. लगता है कि नेता होना जैसे जुर्म है लेकिन ऐसा नहीं है. असम के मरैनी जिले के विधायक रूपज्योति कुर्मी ने इन धारणाओं को न सिर्फ तोड़ा है बल्कि नई मिसाल बनाई है.

कुछ दिनों पहले मरैनी में दिलीप डे नाम के व्यक्ति की मौत हो गई थी. दिलीप के परिवार में केवल एक ही सदस्य है, जो शारीरिक रूप से समर्थ नहीं है. दिलीप के अंतिम संस्कार के रिवाज़ों को पूरा करने में विधायक रूपज्योति कुर्मी ने मदद की. रूपज्योति ने दिलीप के अंतिम संस्कार के लिए अर्थी बनवाई और उनके पार्थिव शरीर को कांधा दिया.

अर्थी को कांधा देते रूपज्योति. फोटो - ऑडनारी/पूर्णा विकास बोरा अर्थी को कांधा देते रूपज्योति. फोटो - ऑडनारी/पूर्णा विकास बोरा

वे कहते हैं कि –

‘दिलीप बहुत गरीब परिवार से हैं. उनका ठीक तरह से अंतिम संस्कार हो सके इतना भी वो लोग नहीं कर सकते थे. एक इन्सान होने के नाते और लोगों का नेता होने के नाते मैं इतना तो कर ही सकता हूं.’

रूपज्योति कुर्मी मरैनी से तीसरी बार विधायक हैं. वे पहली बार 2006 में विधायक चुने गए थे. इससे पहले इस सीट से उनकी मां विधायक थीं जो कि पहली आदिवासी ग्रेजुएट महिला थीं.

असम बाढ़ के दौरान कुर्मी. फोटो - ऑडनारी/पूर्णा विकास बोरा असम बाढ़ के दौरान कुर्मी. फोटो - ऑडनारी/पूर्णा विकास बोरा

हमारे संवाददाता पूर्णा विकास बोरा ने बताया कि 'रूपज्योति कुर्मी' हमेशा ही अपने कामों के लिए लोगों में जाने जाते रहे हैं. वे हमेशा लोगों की मदद करते हैं. जुलाई 2017 में असम में बाढ़ आई थी. कुर्मी ने तब 50 किलो अनाज की बोरी खुद उठा कर राहत शिविर तक पहुंचाई थी. यह शिविर काजीरंगा नेशनल पार्क के पास लगाया गया था. कुर्मी कहते हैं-

‘मैं आम जनता से अलग नहीं हूं. मैं विधायक ज़रूर हूं मगर उससे पहले एक इन्सान हूं. मुझे लोगों के साथ रहना पसंद है और उनकी मदद करके मुझे अच्छा लगता है.’

असम लेजिस्लेटिव असेंबली की वेबसाइट पर अपने प्रोफाइल पर वे लिखते हैं कि उन्हें आम लोगों के लिए काम करना पसंद है. वे मरैनी और असम के लिए कुछ नया करना चाहते हैं. रूपज्योति की शादी 2006 में हुई और उनका एक बेटा है. वे इस ही वेबसाइट पर लिखते हैं कि उन्हें अपने बेटे के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है.

कुर्मी कई स्पोर्ट्स क्लब्स से जुड़े रहे हैं. वे असम थ्रो बॉल क्लब, मरैनी स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष रह चुके हैं. मरैनी के ब्लड डोनर क्लब के महानिदेशक भी रह चुके हैं रूपज्योति. वे मरैनी में कई सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े रहे हैं. वे सभी तरह की कलाओं को बढ़ावा देते हैं. गीत-संगीत, नृत्य, नाटक, खेलों आदि को बढ़ावा देने के लिए वे कई कार्यक्रम आयोजित करवाते रहते हैं.  उनकी हॉबी गाने सुनना है.

 

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