ऋचा भारती केसः कोर्ट की एक शर्त जिसके बाद नफरत फैलाने वालों का बिजनेस चल पड़ा
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले इस केस को हमें कैसे देखना चाहिए?
जमानत की एक याचिका पर फैसला आता है. कोर्ट के अंदर क्या हुआ किसी को नहीं पता. क्या दलीलें दी गईं, किसी ने नहीं सुनी. जज ने क्या स्टेटमेंट दिया है ये भी किसी ने नहीं सुना. लोगों ने सुनी तो सिर्फ एक लाइन. कि ‘जज ने एक हिंदू लड़की को पांच कुरान बांटने का आदेश दिया है.’
ये एक लाइन जंगल की आग की तरह फैली. ट्विटर ट्रेंड पर इस लड़की का नाम कई घंटों तक टॉप पर टंगा रहा. 80 हजार से ज्यादा ट्वीट. नाम है ऋचा भारती. रांची की है. ग्रेजुएशन कर रही है, फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट है.
पहले जान लेते हैं कि मामला क्या है
हाल ही में ऋचा ने एक धर्म विशेष के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट लिखा था. अंजुमन इस्लामिया नाम के संगठन ने ऋचा के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत का केस दर्ज करवाया. गिरफ्तारी हुई. उसे न्यायिक रिमांड पर भेजा गया. गिरफ्तारी के खिलाफ रांची में प्रोटेस्ट शुरू हो गए. कई हिंदू संगठन सड़क पर उतर आए. उसे रिहा करने की मांग होने लगी.
जमानत के लिए याचिका लगाई गई. 16 जुलाई को खबर आई कि ऋचा को जमानत मिल गई है. लेकिन एक शर्त के साथ. खबरों के मुताबिक, जुडिशियल मजिस्ट्रेट मनीष कुमार ने कहा कि ऋचा को कुरान की पांच कॉपियां बांटनी होंगी. इसके लिए हिंदू संगठन और ऋचा के खिलाफ केस दर्ज करने वाले मुस्लिम संगठन दोनों सहमत हुए. ऋचा के वकील ने कहा कि 15 दिन में कोर्ट के आदेश की तामील कर ली जाएगी.
ऋचा भारती. सोर्स- सोशल मीडिया
ऋचा बाहर आई तो कहा-
मैं कोर्ट का आदेश नहीं मानने जा रही हूं. आज मुझे कुरान बांटने के लिए बोल रहे हैं. कल बोलेंगे इस्लाम स्वीकार कर लो. नमाज पढ़ लो. यह कहां तक जायज़ है.
जब मामले ने तूल पकड़ा तो बोलीं-
कुरान बांटने से कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अभी तक कोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिली है.
इसके बाद फिर कहा-
मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करती हूं. लेकिन कोई मेरे मौलिक अधिकारों का हनन कैसे कर सकता है? फेसबुक पर अपने धर्म के बारे में लिखना क्या अपराध है? पुलिस मुझे अचानक कैसे गिरफ्तार कर सकती है?
अब ऋचा का परिवार फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने पर विचार कर रहा है.
खैर, एक सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुए विवाद ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. न सिर्फ राजनीतिक बल्कि सांप्रदायिक रंग ले लिया है. इस बार सोशल मीडिया दो धड़ों में नहीं बंटा है, बल्कि एक बहुत बड़ा हिस्सा जमानत की शर्त के खिलाफ नजर आ रहा है.
ज्यादातर लोग इसे हिंदुत्व पर खतरे, ऋचा की धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के रूप में देख रहे हैं. उनका कहना है कि जज ने कुरान बांटने की बात ही क्यों कही. वो संविधान की प्रति बांटने को कह सकते थे. गंगा में पांच डुबकी लगाने को कह सकते थे. गीता की पांच कॉपी बांटने को कह सकते थे. पांच क्या 25 लोगों को खाना खिलाने को कह सकते थे. लेकिन उन्होंने कुरान बांटने के लिए ही क्यों कहा?
संविधान का उल्लंघन किया हैं तो उसे संविधान की कॉपी बांटने को कहे, फिर भी समझ आता हैंलेकिन धर्मनिरपेक्ष देश का धर्मनिरपेक्ष न्यायालय किसी को क़ुरान की कॉपी बांटने का आदेश कैसे दे सकता हैंवो भी जमानत की शर्त के रूप मेंमतलब क़ुरान बांटो वर्ना जेल जाओये कौन सा कानून हैं
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) July 16, 2019
कई लोग इसे मुस्लिम अपीजमेंट की तरह देख रहे हैं. उनका तर्क ये है कि एक धर्म के लोगों से जय श्री राम बुलवाना अगर गलत है तो दूसरे धर्म के व्यक्ति से कुरान बंटवाना कहां का न्याय है?
कुछ ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि कुरान बांटने की शर्त रखकर जज ने एक ऐसी कॉन्ट्रोवर्सी को जन्म दे दिया, जिसे टाला जा सकता था. उनका मानना है कि ऐसा देश जहां हिंदुत्व और राम मंदिर पर चुनाव लड़े जाते हैं, जहां सोशल मीडिया पर धर्म के नाम पर तलवारें खिंची ही होती हैं. वहां इस तरह का फैसला आग में घी डालने का ही काम करता है. और माइनॉरिटीज को और अधिक वल्नरेबल बना देता है. वहीं कुछ मुस्लिमों ने भी कोर्ट की शर्त को गलत बताया. उनका कहना है कि इस्लाम जबरदस्ती के खिलाफ है.
#RichaBharti #Justice #supremecourtofindia Although what she had done is wrong and is direct Hindutva ideology inspired by @RSSorg but we also disagree with courts order because Islam is against forcefulness.#inspiredbyQuran https://t.co/4es5OHmuiU
— Sibghatullah Baig (@SibghatullahBa6) July 17, 2019
वहीं एक दूसरे पक्ष का तर्क है कि जिस तरह स्कूल में टीचर करेक्शनल पनिशमेंट दिया करते थे. मसलन सोनू ने मोनू को अपशब्द कहे तो टीचर सोनू को सजा देते थे कि वो पांच दिन तक मोनू से गले मिलेगा. या रीनू ने चिंकी के बाल खींचे तो रीनू को सजा मिलेगी कि वो पूरे दस दिन चिंकी के लिए फूल लाएगी. ये शर्त वैसी ही है. यानी ऋचा ने सोशल मीडिया पर मुस्लिम धर्म के खिलाफ पोस्ट किया तो उसे मुस्लिमों के पवित्र ग्रंथ कुरान बांटने की सजा दी गई.
एक तर्क यह भी है कि यदि ऋचा को शर्त मंजूर नहीं थी तो वह राजी क्यों हुईं? शर्त के लिए हामी भरकर उन्होंने जमानत ले ली और अब धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर बयानबाजी कर रही हैं.
#RichaBharti has infectious sanghi mind.. She got arrested for spreading hate, She agreed to whatever Judge was asked her to do for bail (Like Guru Savarkar Like Shishya Richa) & Now crying fault.. if the judgement was not agreeable as per #Hindu terms then why she agreed first..
— Abby (@abbi_007) July 17, 2019
खैर, ये तो हुई तर्कों की बात. लेकिन कई ऐसे लोग हैं जो इस घटना के बहाने नफरत फैलाने के अपने कारोबार जुट गए हैं. ‘मैं ऋचा भारती के साथ हूं’ कहते हुए ऐसे लोगों ने एक धर्म विशेष के खिलाफ एक हेट कैम्पेन शुरू कर दिया है. रांची की अदालत को शरिया कोर्ट बताया जा रहा है.
#RichaBharti झारखंड के पुलिस ने रांची में बस पर हमला करने वालों को अभी तक नहीं पकड़ा मगर एक लड़की ने एक पोस्ट कर दिया तो उसके लिए दबंग बन कर घूमने लगे ऐसा निठल्ले पुलिस वालों की वजह से आज देश खतरे में जिस तरह इनकी दोगली कार्रवाई देश के हिंदू देख रहे हैं समझ सकते हैंहम कितनेखतरेमे
— rohit (@rohity359) July 16, 2019
If this Continues... I won't be Surprised that Hindus will take Weapons in their hands.... #RichaBharti #SackManishSingh
— Sachin Cat (@AvengerSachin) July 16, 2019
अब एक नजर डाल लेते हैं कि कानूनी पहलुओं पर. वैसे इंटरनेट ऋचा से जुड़ी खबरों से अटा पड़ा है. लेकिन बहुत खोजने के बाद भी हमें पता नहीं चल सका कि उनके खिलाफ किन धाराओं में मामला दर्ज हुआ है. हमने आजतक के रांची के रिपोर्टर मुकेश कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि ऋचा के खिलाफ IPC यानी इंडियन पीनल कोड की धारा 153 ए और 295 ए के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सेक्शन 153 ए उन लोगों पर लगाया जाता है जो लिखित, मौखिक या किसी भी विजिबल तरीके से धार्मिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं. कुछ ऐसा करते हैं जिससे शांति भंग हो या शांति भंग होने की आशंका हो. वहीं, सेक्शन 295 ए ऐसे लोगों पर लगाया जाता है जो जानबूझकर दूसरे की धार्मिक भावना आहत करने वाली बात कहते या लिखते हैं. इन दोनों ही धाराओं के तहत तीन साल तक की सजा या फाइन या दोनों का प्रावधान है.
इस मामले में कोर्ट की शर्त पर कानूनी एक्सपर्ट्स भी बंटे हुए हैं. नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ कानूनी एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस शर्त के पीछे जज की मंशा सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने की थी. वहीं इनके दूसरे धड़े का मानना है कि आपराधिक मामलों में ही जमानत की शर्त लगाई जा सकती है. दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसएन ढींगड़ा ने कहा कि युवती पर धार्मिक भावनाओं को ठेंस पहुंचाने का आरोप है. इसे देखते हुए धार्मिक सौहार्द बढ़ाने के लिए जज ने यह शर्त रखी.
सांकेतिक फोटो
हालांकि, दो सीनियर वकीलों का कहना है कि मजिस्ट्रेट सिर्फ बेल बॉन्ड भरवाकर जमानत दे सकता है. इस तरह की शर्त केवल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज लगा सकते हैं. वे इस तरह के मामलों में कम्युनिटी सर्विस का आदेश दे सकते हैं.
वैसे इन सबमें एक बात और गौर करने वाली है कि झारखंड में इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव. कई बीजेपी नेता ऋचा के समर्थन में खड़े हो गए हैं. ऐसे में ऋचा को हिंदुत्व की पोस्टर गर्ल बनाकर इस मुद्दे को खासा तूल दिया जा रहा है.
कोर्ट की शर्त को हिंदू अस्मिता से जोड़ दिया गया है. जबकि खबरों की मानें तो इस शर्त के लिए दोनों पक्ष सहमत हुए थे. और कायदे से मुद्दा जमानत मिलते ही खत्म हो जाना चाहिए था. लेकिन इस मुद्दे को इतना बड़ा बना दिया गया है कि अब ये नेशनल डिजास्टर सा लगने लगा है. उम्मीद है कि ये मुद्दा ज्यादा लंबा नहीं खिंचेगा, मॉब लिंचिंग के लिए बदनाम हो चुके झारखंड में अमन-चैन की वापसी होगी. और 19 साल में 10 बार मुख्यमंत्री बदल चुके झारखंड के चुनावों पर यह मुद्दा हावी नहीं होगा.
लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे