ट्विटर पर ये लाल बिंदी क्यों ट्रेंड कर रही है?

जान लीजिए काम की है जानकारी

फोटो कर्टसी- ट्विटर

लाल बिंदी. मां के माथे पर देखी होगी. लेकिन सोमवार शाम को एक लाल बिंदी ट्विटर पर अचानक ही ट्रेंड करने लगी. लोग अपने हाथ में लाल रंग का बड़ा सा गोला बनाकर ट्विटर पर फोटो पेस्ट करने लगे. पहले तो हमें भी समझ में नहीं आया कि माजरा क्या है? पर थोड़ा सर्च करने के बाद इस लाल बिंदी के बारे में हमें जो मालूम पड़ा वो हर किसी के लिए जानना जरूरी है.

तो, ये लाल बिंदी एक कैम्पेन के तहत ट्रेंड कर रही है. यूनिसेफ इंडिया का कैम्पेन है. रेड डॉट चैलेंज यानी #RedDotChallenge. अब ये कैम्पेन क्यों चल रहा है? इस कैम्पेन का मकसद लोगों को पीरियड्स को लेकर जागरूक करना है.

दरअसल, 28 मई को है वर्ल्ड मेंस्ट्रुअल हाईजीन डे. पीरियड्स के दिनों में शरीर की साफ-सफाई के लिए समर्पित दिन.

यूनिसेफ इंडिया ने पीरियड के दिनों को लेकर छोटी ग्रामीण लड़कियों की स्टोरीज ट्विटर पर शेयर की हैं. आप भी देखिएः

अपने पीरियड के दिनों को सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए, गुजरात के खमार गांव की लड़कियों ने वो कपड़े जला दिये जिनका वे पीरियड के दिनों में इस्तेमाल करती थीं.

यूनिसेफ ने 17 साल की लता की स्टोरी शेयर की है. वह स्कूल नहीं जाती. घर की दूसरी औरतों की तरह पीरियड के दिनों में कपड़ा इस्तेमाल करती है. उसे हमेशा अपने कपड़े खराब होने की चिंता होती है. पीरियड के दिनों में वह खुद को घर के बाहर बने एक कमरे में बंद करके रखती है. उसे घर के आंगन में जाने की इजाज़त नहीं है.

 

क्यों मनाया जाता है मेंस्ट्रुअल हाईजीन डे?

पीरियड के दिनों में शरीर की साफ-सफाई को लेकर महिलाओं को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है. साल में एक बार. 28 मई को. इसकी शुरुआत साल 2014 में जर्मनी के एक एनजीओ वॉश यूनाइटेड ने की थी. इस दिन के लिए 28 तारीख को चुना गया क्योंकि सामान्य तौर पर एक पीरियड साइकल 28 दिन का होता है.

भारत के लिए क्यों जरूरी है यह दिन?

भारत के गांवों में रहने वाली एक बड़ी आबादी आज भी पीरियड के दिनों में कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. इस्तेमाल के बाद इन कपड़ों को औरतें कपड़ों के नीचे छिपाकर सुखाती हैं ताकि किसी की नजर इस पर न पड़े. जिससे इनमें कई तरह के जर्म्स इकट्ठे हो जाते हैं. बार-बार इन्हीं कपड़ों के इस्तेमाल से वजाइनल इंफेक्शन हो सकता है, इंफेक्शन का समय रहते इलाज नहीं हुआ तो महिलाएं जानलेवा बीमारी का शिकार भी हो सकती हैं. इनमें सर्वाइकल कैंसर होने का रिस्क, यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यीस्ट और बैक्टीरिया इंफेक्शन, रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में इंफेक्शन आदि शामिल हैं.

खराब मेंस्ट्रुअल हाईजीन के तहत सिर्फ कपड़ा इस्तेमाल करना नहीं आता. इसमें लंबे समय तक पैड या टैम्पॉन को नहीं बदलना भी शामिल है. कई बार देखा गया है कि ब्लीडिंग ज्यादा नहीं होने पर महिलाएं पूरे दिन पैड नहीं बदलती हैं. इससे भी उनकी हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है.

 

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