कोर्ट ने इस लड़की के रेपिस्ट को सज़ा नहीं दी, वजह जानकर उबकाई आती है
इस लड़की के समर्थन में एक पूरा शहर उठ खड़ा हुआ
साल 2015. जगह इटली का एक छोटा सा शहर.
शाम को एक लड़की अपने दोस्तों के साथ बार गई. वहां दो लोगों ने चुपके से उसकी ड्रिंक में नशे की दवा मिला दी. उसके बाद एक ने उसका रेप किया, और दूसरा वहां खड़ा देखता रहा. उस समय लड़की की उम्र 22 साल थी.
मामला कोर्ट में गया. डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि लड़की के शरीर पर आई चोटें रेप में लगने वाली चोटों जैसी ही हैं. उसके शरीर में डेट रेप ड्रग (वो दवाएं जिनका इस्तेमाल लोग लड़कियों को बेहोश कर उनका रेप करने में करते हैं) भी में मिली जो इसका सुबूत है कि उसकी ड्रिंक में नशे वाली दवा मिलाई गई.
लेकिन वहां की निचली अदालत ने फैसला आरोपियों के पक्ष में सुनाया.
क्योंकि उनके हिसाब से लड़की मर्दाना दिखती थी. और इस वजह से कोई उसका रेप नहीं कर सकता था.
जजों की जिस बेंच ने ये फैसला सुनाया, उसमें तीनों औरतें थीं.
मामले में सुनाई गए निर्णय का विरोध करने सैकड़ों की संख्या में औरतें सड़कों पर उतरीं
2017 में ही ये फैसला आ गया था. लेकिन जजों के फैसले की डीटेल कॉपी और उनके फैसले के पीछे की वजह अब जाकर पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हुई है. इसके आधार पर लड़की की लॉयर ने इटली के सर्वोच्च न्यायालय में इसको लेकर अपील की. न्यायालय ने इस फैसले को खारिज कर दिया.इस केस की टाइमलाइन कुछ यूं रही:
2015 में रेप का मामला दर्ज हुआ.
2016 में आरोपियों को दोषी करार दिया गया लोअर कोर्ट द्वारा.
2017 में एन्कोना की अपील कोर्ट ने दोषियों पर लगे आरोप खारिज कर दिए.
अब जाकर उस फैसले की डीटेल सामने आई है.
जजों ने अपने फैसले में जो वजहें बताई हैं, उनको पढ़कर खून खौल जाता है. ऐसा लगता है कि इस मामले में फैसला सुनाते हुए तीनों जज सोलहवीं सदी में पहुंच गई थीं. द लोकल इटली नाम के अखबार ने इसकी डीटेल कवरेज की. उसमें छपी रिपोर्ट के अनुसार जजों ने अपने फैसले में लिखा:
‘आरोपियों में से एक तो लड़की को पसंद भी नहीं करता था. इसका इस बात से सुबूत मिलता है कि उसने लड़की का नंबर Viking के निकनेम से सेव किया था, जोकि किसी भी महिला के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि पुरुषों के लिए होता है. लड़की की तस्वीर भी इस बात को कंफर्म करती है, कि वो बहुत मर्दाना है दिखने में. वो इतनी अट्रैक्टिव नहीं थी कि उसका सेक्सुअल असॉल्ट किया जाए’.
इस निर्णय की डीटेल्स पब्लिक होने के बाद काफी हंगामा मचा हुआ है
द गार्जियन को दिए इंटरव्यू में लड़की की वकील सिंजिया ने कहा कि जब उन्होंने 2017 में ये सेंटेंस पढ़ा तभी इसे सुप्रीम कोर्ट को रेफर कर दिया था. उन्होंने कहा, ‘इसे पढ़ने में घिन आ रही थी. जजों ने दोषियों को छोड़ने के लिए कई वजहें दीं,लेकिन उनमें से एक थी कि बचाव पक्ष ने दलील दी कि वो लड़की इतनी बदसूरत थी कि वो उसे पसंद भी कैसे करते’.
अब इस मामले की दुबारा शुरू से सुनवाई होगी और पेरिग्वा में ये पूरा प्रोसेस होगा.
जो लोग रेप को सेक्सुअल नीड से जोड़ कर देखते हैं, उनको ये समझ नहीं आता कि रेप सिर्फ एक शारीरिक हिंसा नहीं नहीं, सम्बन्ध बनाने की जोर जबरदस्ती नहीं, बल्कि दमन करने की कुंठा से उपजी हिंसा है. इसमें सामने वाले को नीचा दिखाने, उससे जुड़ी नफरत, अपने भीतर बैठे सुपीरियरिटी कम्प्लेक्स को खुराक देने की कोशिश है जिसे समाज नॉर्मल मान कर स्वीकार कर लेता है. इसी वजह से विक्टिम ब्लेमिंग का कल्चर हर देश के हर हिस्से में वैसा ही है जैसा हम अपने आस-पास देखते हैं. रेप करने वाले के पास क्या-क्या बहाने थे, ये देखा जाता है. इस मामले की डीटेल पढ़कर शायद हमें शर्म आए, उन जजों पर गुस्सा आए, लेकिन सच ये है कि जिस मानसिकता से प्रभावित होकर उन्होंने ये फैसला दिया, वो हमारे भीतर भी वैसे ही पसरी पड़ी है.
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