राजकुमारी देवी: कौन हैं ये 'किसान चाची' जिनको पद्म श्री मिल रहा है

पति बेरोजगार, बच्चा नहीं हुआ तो घर से निकाल दिया था

हर साल भारत सरकार कुछ चुने हुए लोगों को सम्मानित करती है. सबसे बड़ा सम्मान होता है भारत रत्न. उसके बाद आते हैं पद्म भूषण, पद्म विभूषण, पद्म श्री. ये सम्मान अपने अपने क्षेत्रों में बेहतरीन काम कर रहे उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने कुछ बेहद रिमार्केबल किया हो. इस साल की लिस्ट जारी हो गई है. इनमें से कुछ नाम हैं जिनकी कहानी जानकार यकीन नहीं होगा कि ऐसे लोग हमारे बीच रहते हैं. हम जैसे हैं. फिर भी दुनिया बदलने में इतनी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.

इस कड़ी में आज बात, राजकुमारी देवी की.

chachi_750x500_012619021047.jpgतस्वीर: ट्विटर

मुजफ्फरपुर बिहार का एक जिला है. यहां से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर सरैया प्रखंड है. यहीं है आनंदपुर गांव. और यहीं की हैं राजकुमारी देवी. 15 साल की उम्र में ब्याह कर आईं. पापा टीचर थे, बड़े लाड़ से रखा था. ससुराल में बहुत दुःख झेले. शादी के नौ साल  बाद तक संतान नहीं हुई. पति अवधेश कुमार के पास नौकरी नहीं थी. खेत में तम्बाकू उगाना आता था बस अवधेश को. मजबूरी में खेती कर कमाने की कोशिश की राजकुमारी देवी ने. उससे इतनी आमदनी नहीं हुई. फिर राजकुमारी ने खेती से निकली चीज़ों से उत्पाद बनाने शुरू कर दिए. अचार, मुरब्बे, वगैरह वगैरह. लेकिन अब इनको बेचे कौन?

chachi-jagran_750x500_012619021139.jpgतस्वीर क्रेडिट: जागरण

खुद साइकल उठाई और निकल पड़ीं. इस बात पे पति भी खिसियाए थोड़ा. लेकिन राजकुमारी देवी ने हार नहीं मानी. नाम हुआ. लोग साइकल चाची बुलाने लगे. सोचा, और बेहतर तरीके से काम किया जाए. पूसा कृषि विश्वविद्यालय गईं. वहां जाकर फ़ूड प्रोसेसिंग सीख कर आईं. खेती में कैसे बेहतर उपज आए, वो सीखा. वापस आकर आस-पास की औरतों को ट्रेन किया.  घर पर पपीता और ओल उगाए. ओल के अचार को डिब्बे में भरकर बेचा. 

इसके बाद उनका नाम और फैला. 2003 में लालू यादव ने सरैया मेल में उनको सम्मानित किया. नीतीश कुमार की सरकार जब ई तब उनके घर आकर नीतीश कुमार ने सब जायजा लिया. 2007 में उनको किसान श्री अवार्ड दिया गया. मजे की बात तो ये कि अभी तक ये सम्मान पाने वाली वो पहली महिला थीं. इनको अमिताभ बच्चन ने अपने शो आज की रात है जिंदगी में भी बुलाया था. शो के बाद उनको पांच लाख रुपए, आटा चक्की और साड़ियां उनको गिफ्ट किए गए थे. 

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राजकुमारी देवी ने गांव की औरतों को सेल्फ हेल्प ग्रुप्स बनाने के लिए प्रेरित किया. ये छोटे-छोटे समूह होते हैं जो साथ मिलकर कोई भी आजीविका का काम करते हैं. कोई कुटीर उद्योग चलाना, या लों लेना. ये सब कुछ वो साथ करती हैं. राजकुमारी देवी को अकेले खेतों में काम करता हुआ देखकर सीखने वाली औरतें आज खुद अपने पांव पर खड़ी हो रही हैं.

 

 

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