वसुंधरा राजे: जिनकी तलाक़ की असल वजह और शराब पीती तस्वीर पूरा देश खोज रहा है

वो सख्त नेता जिसे कभी शराबी तो कभी मोटी कहकर हराने की कोशिश की गई.

जब भी चुनाव के पहले पार्टियों के मैनिफेस्टो छपते हैं, कई वादे औरतों के लिए भी किए जाते हैं. रैलियों में स्टेज से चढ़कर महिला वोटर को माता, बहन, देवी पुकारा जाता है. वही औरत कंधे से कंधा मिलाकर जब सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेने के लिए खुद चुनाव में खड़ी होती है, वो अचानक सवालिया चरित्र वाली हो जाती है. फिर चाहे वो ग्वालियर की राजमाता, लोगों के दिलों पर राज करने वाली विजयराजे सिंधिया की बेटी वसुंधरा ही क्यों न हो.

ओह, ये तो औरत है!

एक वक़्त वसुंधरा के गॉडफादर रहे भैरों सिंह शेखावत को जब राजस्थान से दिल्ली बुलाया गया, कई पुरुष नेता खुश हो गए. कि राजस्थान की सत्ता अब उनके हाथ में आ गई है. ये बात है साल 2002 की, जब शेखावत को उपराष्ट्रपति बनाया गया. तब वसुंधरा राजनीति के टेढ़े-मेढ़े दांवपेंचों से लेकर खुद अपने ही चुनाव क्षेत्र की राजनीति तक, दोनों से कटी हुई थीं. मगर उनके पास राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू (पति से अलग हो चुकी) और गुर्जरों की समधन होने का 'एज' था.

जब शेखावत की सलाह मानकर वसुंधरा केंद्र छोड़कर राजस्थान आईं, वो अपने दुश्मन बनाकर आई थीं. आगे आने वाली वसुंधरा की राजनैतिक लड़ाई केवल विपक्ष से ही नहीं, खुद अपनी ही पार्टी वालों से थी. और जब आपके खिलाफ लंबी पॉलिटिकल लड़ाई लड़ने के लिए सीनियर नेताओं का एक ग्रुप तैयार खड़ा हो, 50 साल की औरत होना आपके लिए कोई हित लेकर नहीं आता.

vasundhara-mask_121118122216.jpgवसुंधरा पॉपुलर थीं, उन्हें खुद को तराशना बाकी था.

पुरुषों के खेल में वुमन ऑफ द मैच

मगर औरत होना वसुंधरा के लिए मानो कभी डिसएडवांटेज था ही नहीं. क्योंकि वो ये खेल समझ चुकी थीं. 2003 में जीतना उनके लिए पिछली लिगेसी को आगे बढ़ाना था. मगर अगले 5 साल वो खुद में धार लगाती रहीं. और 2008 की हार के बाद जब उनसे इस्तीफ़ा मांगा गया, तो उन्होंने हार को आलाकमान की गलती साबित करते हुए इस्तीफ़ा देने से मना कर दिया. वसुंधरा न सिर्फ पॉलिटिक्स के परुष प्रधान समाज में कॉन्फिडेंस से खेल रही थीं, बल्कि अपनी ताकत को लिटरली जाहिर कर रही थीं. अंग्रेजी में जिसे 'रबिंग ऑन समवन्स फेस' कहते हैं.

2009 में लोकसभा चुनाव हुए, राजस्थान में बीजेपी की दुर्गत हुई. इस हार को भी वसुंधरा के सिर मढ़ा गया. और हर तरफ से उनपर इस्तीफे का दबाव बनने लगा. वसुंधरा उस वक़्त अपने 57 विधायकों के साथ 15 अगस्त के दिन दिल्ली पहुंच गईं. बीजेपी के दफ्तर में तिरंगा लहराने. वसुंधरा की इस हरकत ने साफ़ कर दिया कि उनसे इस्तीफ़ा मांगा तो एक नहीं, 58 इस्तीफ़े आएंगे.

vasundhara-rajnath_121118122254.jpgवसुंधरा न सिर्फ पॉलिटिक्स के परुष प्रधान समाज में कॉन्फिडेंस से खेल रही थीं, बल्कि अपनी ताकत को लिटरली जाहिर कर रही थीं.

मगर इंटरनल पॉलिटिक्स की वजह से अंततः 2010 में उनका इस्तीफ़ा आया. कुछ समय बाद बीजेपी के 78 में से 60 विधायकों के इस्तीफ़े और आए. बीजेपी के बड़े नेताओं के पसीने छूट गए. 2012 में वो फिर से पार्टी अध्यक्ष बनीं और उनके विरोधियों को आलाकमान ने ठिकाने लगा दिया. और एक बार फिर पावर स्ट्रगल में वसुंधरा ने राजनाथ सिंह को हरा दिया.

मगर...

अपने आपको एक शातिर पॉलिटिशियन साबित करना काफ़ी नहीं था. हम ये न भूलें कि इंटरनल पॉलिटिक्स के साथ वसुंधरा के पास एक लॉन्ग-स्टैंडिंग अपोजीशन रहा है, अशोक गहलोत और उनके साथियों के रूप में. लोगों के बीच फ्रेंडली इमेज वाले गहलोत और उनके साथी वसुंधरा पर इतनी बार कीचड़ उछाल चुके हैं कि ठीक-ठीक गिनती करना भी मुश्किल है. ये कीचड़ किसी भ्रष्टाचार, स्कैम या बुरे नेतृत्व से जुड़े होते, तो ठीक था. मगर ऐसा नहीं है.

-एक- 

साल 2006 में वसुंधरा की एक तस्वीर फैलाई गई. वो सस्ते डाटा पैक का दौर नहीं था. तस्वीर अखबारों तक गई. इसमें वसुंधरा राजे को 'लिप लॉक किस' करते हुए बताया गया. वो भी बायोकॉन इंडिया की हेड किरण मजूमदार-शॉ को. कांग्रेस विधायक रघु शर्मा ने कहा कि वसुंधरा ने इतनी गंदी हरकत कर राजस्थान के मान को ठेस पहुंचाई है.

vasundhara-kiss_121118122412.jpgकिरण मजूमदार-शॉ के साथ इस तस्वीर को वसुंधरा के खिलाफ इस्तेमाल किया गया.

द स्टेट्समैन ने छापा कि राजस्थान कांग्रेस की महिला विंग विरोध प्रदर्शन कर रही है. कह रही है कि ये महिलाओं के मान को ठेस है. मसला तब साफ़ हुआ जब इकनॉमिक टाइम्स में आर्टिकल छपा. जिसमें साफ़ किया गया कि वसुंधरा महज किरण के गले लग रही थीं. और कैमरा एंगल की वजह से ये तस्वीर 'लिप-लॉक' जैसी दिख रही है. इस पूरे प्रकरण के जवाब में वसुंधरा ने कहा था, 'औरत की सफलता हजम नहीं होती तो फिजूल चीजें कर उसे बदनाम करते हैं.'

-दो- 

पर ये रघु शर्मा की नीचता का ट्रेलर भर था. साल 2009 में राजस्थान असेम्बली चल रही थी. शर्मा ने उस वक़्त ऐसी बात कही जो आजतक वसुंधरा के साथ जुड़ी हुई है. जिसका जवाब आजतक वसुंधरा इंटरव्यूज में दे रही हैं. शर्मा ने कहा कि वसुंधरा '8 पीएम, नो सीएम हैं'. इस बात के एक से अधिक मतलब थे. एक ये कि वो रोज़ शाम व्हिस्की लेकर बैठती हैं (8 पीएम एक शराब का ब्रांड है). दूसरा ये कि औरत होने के नाते वो जनता के लिए उपलब्ध नहीं है.

vasundhara-in-crowd_121118122549.jpgराजस्थान की सामंती परंपरा में औरतों का 'हीरो' बनना असंभव है, जबतक सही चालें न चली जाएं.

राजस्थान की सामंती और अतिरिक्त रूप से स्त्री-विरोधी परंपरा को पूरी तरह वसुंधरा को नीचा दिखाने के लिए भुनाया गया. साल 2018 में एक इंटरव्यू में जवाब देते हुए उन्होंने कहा:

'कहने को बहुत सारी चीज लोग कहते हैं महिलाओं के बारे में. सामंती राज्य का महिला मुख्यमंत्री होना बहुत मुश्किल बात है. लेकिन मैंने किया है और एक आदमी जो कर सकता है, महिला नहीं कर सकती. एक समय आता है जब अंदर घर में जाना पड़ता है, बाहर तो नहीं बैठा रहा जा सकता. वैसे भी हम 12-14 घंटे तो काम करते हैं. मैं पिछले चार-साढ़े चार साल में किए गए काम को पूरा करने में सक्षम नहीं होती अगर मैंने कड़ी मेहनत नहीं की होती.'

-तीन- 

2013 राजस्थान चुनाव के पहले की ही बात है. जब अशोक गहलोत ने प्रचार के दौरान कहा: 'लटके-झटके दिखाती है. पता नहीं लंदन गई थी या कहां गई थी.' आम लोगों के बीच 'रानी सा' की हैसियत से जानी गई औरत को भी लीचड़ टाइप के कमेंट्स से नहीं बख्शा गया. 'लटके-झटके' जैसा शब्द अपने आप में एक ऐसी औरत का परिचय देता है जो अपने स्त्रीत्व के इस्तेमाल कर पुरुष को रिझाती है. जैसी कोई 'आइटम गर्ल'. 'लंदन गई थी या कहां गई थी' कहना उनके चरित्र पर एक और सवाल है. जैसे पड़ोसी की बेटियों पर नजर गड़ाए रखने वाले उसके आधा घंटा लेट आते देखकर कहते हैं, 'जाने कहां गई थी.'

-चार- 

नवंबर 2013 की बात है. एक सुबह राजस्थान के कई लोकल पत्रकारों के पास कुरियर पहुंचते हैं. इनमें एक सीडी है. जिसमें आपत्तिजनक वीडियो था. टेप में मौजूद चेहरे को वसुंधरा का चेहरा बताया गया था. हालांकि साफ़ तौर पर वीडियो को 'मॉर्फ्ड' पाया गया और बात आगे नहीं बढ़ी.

sex-cd-vasundhara_121118122628.jpgयूट्यूब पर फर्ज़ियापा फैला हुआ है और लाखों इसे देखते हैं.

फर्स्टपोस्ट में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक़ एक बीजेपी कार्यकर्ता ने इसके खिलाफ FIR की. पर FIR में किसी का नाम नहीं दिया गया. विडंबना ये थी, कि वो कांग्रेस के नेता महिपाल मदेरणा थे, जो असल सेक्स सीडी के मामले में फंसे हुए थे. जिसे हम भंवरी देवी सेक्स सीडी कांड के नाम से जानते हैं.

-पांच- 

2018 में एक बार फिर चुनावी मौसम आया और गहलोत ने फिर अपने पुराने स्त्री-विरोधी रेटरिक को दोहराया. मकराना में रैली के दौरान वसुंधरा अमित शाह के सामने झुकीं. वसुंधरा ने कहा कि उनके कल्चर में इसी तरह सम्मान दिया जाता है. मगर गहलोत ने कहा कि जिस औरत ने 5 साल तक जनता से आंख नहीं मिलाई, वो अमित शाह को खुश करने के लिए उनके आगे झुक रही हैं. वसुंधरा ने जवाब में कहा कि अशोक को महिलाओं के बारे में बात करने की तमीज नहीं है.

vasundhara-amit-shah_121118122711.jpeg'झुकना' इज्जत देना है या रिझाना?

हालांकि ये सच था कि वसुंधरा के करीबी अशोक परनामी से प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफ़ा ले लिया गया था. और अमित शाह ने गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम बढ़ाया था. वसुंधरा ने विरोध जताया था. मामला महीनों अटका रहा था. मगर 163 में से 113 विधायक वसुंधरा के साथ थे. और अमित शाह, राजनाथ सिंह नहीं बनना चाहते थे. वो बैकफुट पर चले गए. मदनलाल सैनी को पद मिला. वसुंधरा और अमित शाह के बीच पावर स्ट्रगल ख़बरों से गायब हो गया.

-छह-

अब बीते हफ्ते शरद यादव ने कहा कि वसुंधरा मोटी हो गई हैं, उनको आराम दीजिए. शरद यादव कई बार स्त्री विरोधी टिप्पणी करते पाए गए हैं. पर महिलाओं के खिलाफ टिप्पणियां करने वालों को 'जस्ट अनदर बैड स्टेटमेंट' मानकर छोड़ दिया जाता है. फिर चाहे वो कोई अदना सांसद हो या स्वयं प्रधनमंत्री. आज भी वसुंधरा के तलाक़ की 'असल' वजह बताने का दावा करते फर्जी वीडियो यूट्यूब पर लाखों में देखे जा रहे हैं. क्योंकि महिला नेता की ख़त्म हुई शादी से बेहतर स्कैंडल क्या हो सकता है.

खूब लड़ी मर्दानी

महिला नेताओं और मंत्रियों की अपनी खामियां होती हैं. जैसे हर नेता की होती है. वसुंधरा से विवाद जुड़े हैं, लोगों की नाराज़गी जुड़ी है. उन्हें हारते देखा जाता है.

मगर जो उनकी खामी नहीं है, वो है औरत होना.

 

 

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