रेफ़्यूजी बच्चों से मिलने पर प्रियंका चोपड़ा को क्यों ट्रोल किया जा रहा है?
हंगामा क्यों है बरपा?

प्रियंका चोपड़ा यूनीसेफ़ (UNICEF) की ब्रांड एम्बेसडर हैं. वो अलग-अलग देशों में रह रहे रेफ़्यूजियों के लिए काम करती हैं. यूनीसेफ़ की प्रतिनिधि के तौर पर वह उनसे मिलती हैं. पिछले दिनों वो इथोपिया गईं. इथोपिया पूर्व अफ़्रीका में एक देश है. यहां कई रेफ़्यूजी रहते हैं. प्रियंका इन रेफ़्यूजी कैंप्स में रह बच्चों से मिलीं. इन्हीं बच्चों में से एक की कहानी प्रियंका ने इंस्टाग्राम पर शेयर भी की.
15 साल की हसीना अपनी बहन और उसके पति के साथ रहती थी. जब हसीना सातवीं क्लास में थी तो उसे पता चला उसकी बहन का पति उसकी शादी चुपचाप तय कर रहा था. उस समय हसीना की उम्र 12 साल थी. एक दिन एक आदमी हसीना के घर आया. उसके माता-पिता से शादी की बात करने. जैसे ही ये बात हसीना को पता चली, वो अपनी दोस्त के घर भाग गई. अगले दिन वो उस संस्थान में पहुंची जो बच्चों की शादी रुकवाने का काम करता था. इसके बारे में उसने स्कूल में सुना था. हसीना ने ख़ुद से एक सवाल किया. अगर वो अभी शादी कर लेती है तो क्या वो वापस स्कूल जा पाएगी? जवाब उसे भी पता था. हसीना को आगे पढ़ना था. वो किसी भी कीमत पर पढ़ाई छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी. अधिकारियों ने भी उसका साथ दिया. हसीना की शादी रुकवा दी गई. साथ ही उस आदमी को भी सज़ा हुई जो एक बच्ची से शादी करना चाहता था.
प्रियंका ने हसीना की तस्वीरें भी शेयर कीं. पर कुछ लोगों को ये बात अच्छी नहीं लगी. वजह? उनकी राय में प्रियंका दुनियाभर की लड़कियों के लिए काम कर रही हैं. पर अपने देश की लड़कियों पर उनका कोई ध्यान नहीं है. इस बात के लिए प्रियंका को कुछ लोगों ने ट्रोल भी किया.
जब प्रियंका ने अपने इंस्टाग्राम पर अपने फैन्स से कोई भी सवाल पूछने को कहा तो एक फैन ने पूछा कि अपने देश की लड़कियों का क्या? इस पर प्रियंका ने बहुत ही शानदार जवाब दिया. कहा:
“मैं ये मानती हूं कि एक बच्चा सिर्फ़ बच्चा होता है. हम ग्लोबल सिटिज़न हैं. और हमें दुनियाभर के फ्यूचर के बारे में सोचना चाहिए. मैंने यूनीसेफ़ इंडिया के साथ भी काफ़ी काम किया है और आगे भी करती रहूंगी.”
प्रियंका इथोपिया के कई स्कूल्स में भी गईं. उनका मकसद है कि बच्चों को अच्छी एजुकेशन मिले. साथ ही वो इथोपिया में बच्चियों के साथ हो रही यौन हिंसा, भेदभाव, और जल्दी शादी के मसलों पर भी काम कर रही हैं. प्रियंका इथोपिया की प्रेसिडेंट सहले-वर्क से भी मिलीं. वो इथोपिया की पहली महिला प्रेसिडेंट हैं.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब प्रियंका को किसी रेफ़्यूजी कैंप जाने पर ट्रोल किया गया हो. मई 2018 में प्रियंका बांग्लादेश में बने रोहिंग्या कैंप्स में गई थीं. उसकी तस्वीरें उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर डालीं. बस, ये चीज़ कुछ लोगों को नागवार गुज़री. उनका कहना था कि प्रियंका हिंदुस्तान में कश्मीरी पंडितों के लिए क्या कर रहीं हैं. उनकी दिक्कतों के बारे में वो बात क्यों नहीं करतीं.
I’m in Cox’s Bazaar, Bangladesh today for a field visit UNICEF, visiting one of the largest refugee camps in the world...https://t.co/PFhJgXwSpmhttps://t.co/quZxXEcDX5#ChildrenUprooted #UNICEFFieldVisit @unicef @UNICEFBD pic.twitter.com/NSSY0aNPuN
— PRIYANKA (@priyankachopra) May 21, 2018
Hello lage hath kashmiri pandito ke camps bhi dekh lo wo apne hi desh me refugee bane baithe hai,ya aapki or unisef ke liye hi humanity reserved hai rohingya ke liye ;bloody double standard bollytard
— abhishek kamble🇮🇳 अभिषेक कांबळे (@abhi_kya) May 21, 2018
प्रियंका ये बात कई बार बोल चुकी हैं कि वो रेफ़्यूजियों के लिए काम कर रही हैं.
क्या आपको वाकई लगता है कि हिंदुस्तान में बने कश्मीरी पंडितों के लिए कैंप में रह रहे लोगों का दुःख बाग्लादेश या सीरिया में रह रहे रेफ़्यूजियों से से अलग होगा. मज़हब और जात सिर्फ़ हमें दिखती है, उन्हें जो सुकून से अपने घरों में महफूज़ बैठे हैं. जिन लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा, अपना देश छोड़ना पड़ा, मजबूरी में किसी और देश में एक छोटे से टेंट में रहना पड़ रहा है, खाने को तरसना पड़ रहा है, तिल-तिल कर जीना पड़ रहा है, उनका दुःख एक दूसरे से ज्यादा अलग नहीं होता है. शायद एक कश्मीरी पंडित जिसको अपना घर छोड़ना पड़ा, उसका दुःख एक सीरिया का रेफ़्यूजी हमसे ज़्यादा बेहतर समझ सकता है.
बुरा वक़्त सबको एक जैसे ही मारता है. मज़हब या जात देखकर नहीं. प्रियंका जैसे लोग जो रेफ़्यूजियों के लिए काम कर रहे हैं, उनका मकसद दुनिया में हर ऐसे इंसान की मदद करना है जो उस हालात में हैं. अगर प्रियंका कहती हैं कि रेफ़्यूजियों की हालत पे हमें ध्यान देना चाहए तो वो सिर्फ़ इथोपिया या रोहिंग्या की बात नहीं कर रहीं. वो सारे रेफ़्यूजियों की बात कर रही हैं. इसलिए उनको ट्रोल करने से बेहतर हैं कि लोग उस मकसद में उनका साथ दें.
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