महिला पुलिस ट्रेनियों से नाइट ड्रेस में करवाई परेड, ट्रेनर अफसरों पर तमाम आरोप

महिलाओं से अश्लील भाषा का प्रयोग करने और अभद्र व्यवहार जैसे गंभीर आरोप हैं.

सांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

पुलिस लोगों की हिफाजत के लिए होती है. अगर पुलिस ही किसी को परेशान करने लगे तो किससे मदद की गुहार लगाएंगे? और परेशान होने वाला शख्स भी पुलिस में ही हो तो?

छत्तीसगढ़ पुलिस एकादमी, चंदखुरी में ट्रेनी डीएसपी प्रशिक्षण ले रहे हैं. लगभग 18 लोगों ने वहां के एएसपी पर ग़लत व्यवहार और अश्लील भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया है. प्रशिक्षु अधिकारियों ने एसपी को पत्र लिख कर शिकायत की है. यह पत्र लगभग साढ़े तीन पेज लंबा है. इसमें एएसपी मिर्ज़ा जियारत बेग की कई हरकतों के खिलाफ लिखा गया है. यह जानकारी हमें संवाददाता रघुनंदन पांडे ने दी.

ट्रेनी अधिकारियों ने आरोप लगाया कि एएसपी मिर्ज़ा जियारत बेग महिला ट्रेनी अधिकारियों से अभद्र भाषा में बात करते हैं. एएसपी के तौर-तरीके भी बेहद आपत्तिजनक हैं. अकादमी में खाने की व्यवस्था एएसपी ने अपने हाथों में ले रखी है और उसमें भारी गड़बड़ी है. शिकायत पत्र में बताया गया कि प्रशिक्षु अधिकारियों को सरगुजा नाम की जगह पर टूर में ले जाया गया था. इस टूर के दौरान एएसपी मिर्ज़ा ने खाने के पैसे नहीं दिए. सभी लोगों को जिला पुलिस अधीक्षक ने खाना खिलाया. उसके बाद उन्हें ढाबों पर खाना खाना पड़ा. जिसमें से एक बार उन्होंने खुद पैसे दिए. अधिकारियों ने यह भी बताया कि अकादमी मेस की व्यवस्था में भी अनियमितता बरती जा रही है.   

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प्रशिक्षुओं ने यह आरोप भी लगाया कि उन्हें बिना किसी बात के दंड दे कर प्रताड़ित किया जाता है. शिकायत में यह बताया गया है कि प्रशिक्षण में स्वास्थ्य सेवाएं भी ठीक नहीं हैं. एएसपी मिर्ज़ा पर आरोप लगाया है कि वो प्रशिक्षण की आड़ में अभद्र व्यवहार कर रहे हैं. महिलाओं के सामने अश्लील बात करते हैं. जो बातें उन्होंने कहीं वो भी पत्र में लिखी गई हैं. बताया गया है कि रात्रि-गणना के दौरान वो गाली-गलौज करते हैं. इस दौरान एक डीएसपी भी मौजूद थे. एएसपी मिर्ज़ा लोगों के साथ भेद-भाव करते हैं, ऐसा भी शिकायत पत्र में कहा गया. वो कुछ लोगों को नियमों से विशेष छूट दे देते हैं.   

प्रशिक्षु अधिकारियों ने बताया कि परीक्षा के दौरान उन्हें परेशान करने के लिए रात 10 बजे फॉल इन करवाया गया. फॉल इन आर्मी और पुलिस ट्रेनिंग का एक हिस्सा है. इसमें सभी लोगों को एक पंक्ति में या किसी आकृति में खड़ा किया जाता है. इस दौरान महिला प्रशिक्षुओं को नाइट ड्रेस में आना पड़ा. इस समय वहां केवल पुरुष प्रशिक्षक मौजूद थे, कोई भी महिला प्रशिक्षक वहां नहीं थीं.

प्रशिक्षुओं को बुलाने के लिए भी मेजर और उस्तादों को भेजा गया था. उन्होंने बेहद गलत ढंग से दरवाजा खटखटाया. एएसपी बेग पर गलत तरीकों से सजा देने का भी आरोप लगाया गया है. शिकायत में कहा गया कि मैदान पर होने वाली गल्तियों की सजा वहीं दी जा सकती है लेकिन एएसपी अलग तरीकों से सजा देते हैं. एएसपी को यह भी पसंद नहीं है कि कोई भी प्रशिक्षु किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मुलाकात करे. अगर कोई किसी पुलिस अधिकारी से मिलता है तो उसे सजा दी जाती है. एक बार ऐसी ही सजा में डेढ़ कि.मी. दौड़ने की सजा दी गई थी. साथ ही खेत में फॉल इन कराया गया था, वहां सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था.      

हमने जब इन प्रशिक्षुओं से बात करने की कोशिश की तो पता पड़ा कि हर पुलिस अधिकारी ने बात करने से मना कर दिया है. एएसपी मिर्ज़ा जियारत बेग ने कहा है कि उन्हें किसी शिकायत पत्र के बारे में कोई खबर नहीं है.      

 

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