चीन में बेची जा रही हैं पाकिस्तानी ईसाई लड़कियां, कीमत ढाई लाख से पौने चार लाख रुपए तक

शादी का झांसा देकर हजारों लड़कियों की जिन्दगी बर्बाद की जा रही है

सांकेतिक इमेज- रॉयटर्स

पाकिस्तान में ईसाई जनसंख्या बेहद कम है. इसके पीछे वजह बताती हैं फराहनाज़ इस्पाहानी.  लेखिका हैं. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी की मीडिया एडवाइजर रह चुकी हैं. उनकी किताब है, Purifying the Land of the Pure: Pakistan’s Religious Minorities (पाक धरती का शुद्धिकरण: पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यक). इसमें वो बताती हैं कि जब पाकिस्तान बना था, तब वहां के अल्पसंख्यक पूरी आबादी का 23 फीसद थे. आज ये घटकर सिर्फ तीन से चार फीसद रह गए हैं. फराहनाज़ ने इस किताब में लिखा है कि जनरल ज़िया उल हक ने शिया-अहमदी-हिन्दू-ईसाई आबादी को टारगेट करने के लिए एक मिलिटेंट गुप बनाया. नाम था 'सिपह ए साहबा'. फराहनाज़ बताती हैं,

“सिपह-ए-साहबा का इकलौता काम शिया मुसलमानों को दिक करना (परेशान करना) था. ये पहला ऐसा समूह था जिसे उस समय की पाकिस्तानी सरकार ने खुले तौर पर हथियारों से लैस किया, ट्रेन किया. कुछ समूह ऐसे हैं जो कुछ सीजन में बॉर्डर पार चले जाते हैं और कुछ में यहां रहते हैं, घर पर. पाकिस्तान को और पाक करते हुए, फिर चाहे वो अहमदी इबादतखाने उड़ाना हो, या मास (Mass) के समय ईसाई श्रद्धालुओं को उड़ाना हो, या शियाओं के इबादत की जगह को बर्बाद करना हो”.

ये बात हम क्यों कर रहे हैं?

इसलिए कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक अधिकतर बुरी हालत में हैं. ईसाई जनसंख्या ज्यादातर गरीब है. और जब बात गरीबी की आती है, तो उसके साथ उसका फायदा उठाने वाले भी साथ दिखाई देते हैं. एसोसिएटेड प्रेस ने पाकिस्तान के ईसाईयों पर स्पेशल कवरेज की. ये पता चला कि पाकिस्तान की ईसाई लड़कियों को खरीदा जा रहा है. क्यों? चीन के पुरुषों से शादी कराने के लिए.

bride-750x500_050719081437.jpgसांकेतिक तस्वीर: पिक्साबे

चीन में काफी सालों तक वन चाइल्ड पॉलिसी थी. यानी एक से ज्यादा बच्चे नहीं करने की पॉलिसी. इस वजह से लोगों में लड़का पैदा करने की चाह बढ़ी. और वहां का सेक्स रेशियो (लिंग अनुपात) बेहद खराब हो गया. अब वहां ये वन चाइल्ड पॉलिसी हट गई है. लेकिन लिंग अनुपात सुधरने में अभी काफी समय लगेगा. वहां इस वक़्त पुरुषों को शादी करने के लिए लड़कियां नहीं मिल रहीं. इस वजह से दूसरे देशों से लड़कियां स्मगल करके लाई जा रही हैं. पहले लाओस, वियतनाम, नॉर्थ कोरिया जैसे देशों से लाई जाती थीं. अब पाकिस्तान इनके नक़्शे पर आ गया है.

द एसोसिएटेड प्रेस की ये खबर टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने भी कवर की. इस रिपोर्ट के अनुसार,

  • पाकिस्तान के चर्चों के बाहर दलाल घूमते हैं ताकि लड़कियों को टार्गेट कर सकें.
  • अमीर ईसाई बताकर चाइनीज पुरुषों के रिश्ते लाए जाते हैं, कहा जाता है इनकी शादी होगी.
  • इस पूरे प्रोसेस में ईसाई धर्मगुरु भी इंवॉल्व होते हैं. वो मदद करते हैं पहचान करवाने में कि कौन सी लड़कियां गरीब परिवार से आती है.
  • फिर झांसा दिया जाता है पैसों का. कि अमीर चीनी ईसाई पुरुषों से इनका ब्याह कराएंगे. घरवाले भी 3500 से लेकर 5000 डॉलर तक में मान जाते हैं.
  • फिर ये लड़कियां ब्याह कर चीन भेज दी जाती हैं. इनका बाकायदा मैरिज सर्टिफिकेट बनता है.  
  • वहां ये लड़कियां हिंसा का शिकार होती हैं. इनके पास न तो भाषा का सहारा होता है, न ही कोई और दूसरा साधन. उनमें से अधिकतर गांव- देहात के इलाकों में ले जाई जाती हैं.

nepal-child-bride-750x500_050719081518.jpgसांकेतिक तस्वीर: रायटर्स

इन लड़कियों में से अधिकतर वापस नहीं लौटतीं. लेकिन जो भाग आईं, या किसी तरह से बचकर निकल आईं, उन्होंने बताया कि किस तरह झूठ का जाल फैला कर उन्हें फंसाया गया. मुक़द्दस नाम की लड़की ने बताया कि उसे घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था. प्रेग्नेंट नहीं होने पर बार-बार मेडिकल टेस्ट करवाए गए थे. क्रिसमस के पहले की शाम को जब उसने चर्च ले जाने की बात कही तो उसके पति ने उसे थप्पड़ मारा और उसका फोन तोड़ दिया.

इन लड़कियों को इस्लामाबाद के एक मकान में ले जाया जाता था जहां ये अपने ‘पतियों’ से पहली बार मिलती थीं, और वहीं इनकी सुहागरात मनवाई जाती थी. चीन की सरकार ने कहा है कि वो पाकिस्तान की सरकार के साथ मिलकर इस समस्या को सुलझाने में लगे हुए हैं.

ये सीधा-सीधा मानव तस्करी कहा जाएगा. इसमें चीन और पाकिस्तान पहले देश नहीं हैं जो इन्वॉल्व हुए हैं. नेपाल, भारत से भी लड़कियां तस्करी करके ले जाई जाती हैं. आए दिन खबरें आती हैं कि महिला आयोग ने नेपाली लड़कियों को वेश्यावृत्ति में धकेले जाने से या तस्करी से बचाया. चीन और पाकिस्तान के इस मामले में भी अभी तक हजार से ज्यादा लड़कियों की शादी इसी तरह की जा चुकी है. इस पर लगाम लग भी पाती है तो कब तक, ये शायद खबर का हिस्सा बने. लेकिन उन लड़कियों के लिए ये सिर्फ और सिर्फ इंतज़ार है.

 

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