बोको हराम की कैद से महिलाओं को छुड़ाकर अफ्रीकी सैनिकों ने जो उनके साथ किया वो और भी डरावना है

जो बचाने वाले हैं,उनसे कौन बचाएगा?

सांकेतिक तस्वीर. नाइजीरिया के सैनिकों ने ही किया महिलाओं का रेप.e

लैटिन भाषा में एक कहावत है - 'Quis custodiet ipsos custodes?'. इसका मतलब है- जो बचाने वाले हैं, उनसे कौन बचाएगा. हू विल गार्ड द गार्ड्स . कुछ गलत होगा आपके साथ तो आप पुलिस के पास जाएंगी. पुलिस ही गलत करेगी तो कहां जाएंगी आप?

सोच कर डर लगता है?

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट मानें, तो नाइजीरिया के सैनिकों ने ऐसा ही किया है.

इससे पहले कि हम आपको ये बताएं कि नाइजीरिया के सैनिकों ने क्या किया है. आपको ये पता होना चाहिए कि ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ क्या है?

‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ एक इंटरनेशनल एन.जी.ओ है. जो मानवाधिकारों की बात करता है. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में संस्था ने ये लिखा है कि नाइजीरिया के सैनिकों ने बोको हरम की गिरफ्त से छुड़ाई गई महिलाओं का बलात्कार किया था. सैनिकों ने पहले तो संगठन द्वारा अगवा की गई महिलाओं को छुड़ाया. फिर उनसे पूछताछ करने के दौरान रेप किया. रिपोर्ट ने और भी कई खुलासे किए हैं.

नाइजीरियन आर्मी की सांकेतिक तस्वीर.जिन पर वहीं की महिलाओं का रेप करने के आरोप लगे हैं. नाइजीरियन आर्मी की सांकेतिक तस्वीर.जिन पर वहीं की महिलाओं का रेप करने के आरोप लगे हैं.

• बोको हराम की गिरफ़्त से छुड़ाई गई महिलाओं को सैनिक ‘बोको हराम की पत्नियां’ कह कर पीटते थे.

• एमनेस्टी इंटरनेशनल को ही दिए इंटरव्यू में पीड़ित महिलाओं में से एक ने कहा, “मैं पांच-छह महीने की प्रेगनेंट थी. और वो मुझे खाने को कुछ नहीं देते थे.एक दिन उनमें से एक मुझसे मिलने आया. और उसने ज़बरदस्ती एक रूम में ले जाकर मेरा रेप किया”.

• नाइजीरिया के सैनिक बस शक की बिना पर लोगों को गिरफ्तार कर लेते हैं. और उन्हें कैद में रखकर प्रताड़ित किया जाता है.

महिलाओं को पहले बोको हराम की गिरफ्त से छुड़ाया गया, फिर उन्हें प्रताड़ित किया गया. महिलाओं को पहले बोको हराम की गिरफ्त से छुड़ाया गया, फिर उन्हें प्रताड़ित किया गया.
• कई मामलों में लोगों की हत्या भी कर दी गई.

• संस्था द्वारा इकट्ठा किए गए सबूत ये बताते हैं कि 2015 से अब तक विस्थापितों के शिविर में लगभग 1000 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है.

इस रिपोर्ट के पब्लिक होने के बाद नाइजीरिया सरकार ने इसे झूठा करार दिया. जो कि स्वाभाविक है. कोई भी सरकार अपने ही सैनिकों की ग़लती को कुबूल नहीं करती.

बोको हरम एक इस्लामिक आतंकी संगठन है. जिसकी स्थापना साल 2002 में हुई थी. बोको हरम एक इस्लामिक आतंकी संगठन है. जिसकी स्थापना साल 2002 में हुई थी.
ख़ैर, आपको ये पता होना ज़रूरी था इसीलिए हमने इस जानकारी को आपके साथ साझा की. लेकिन इस पूरे मसले को समझने के लिए आपको थोड़ा डिटेल में जाना पड़ेगा. बोको हराम के बारे में जानना होगा. तो चलिए पहले ये जान लेते हैं कि -

बोको हराम क्या है? और इसकी शुरूआत कब हुई?

सालबोको हराम ने साल 2014 में नाइजीरिया के एक सराकरी गर्ल्स स्कूल से 276 लड़कियों को अगवा कर लिया था. सालबोको हराम ने साल 2014 में नाइजीरिया के एक सराकरी गर्ल्स स्कूल से 276 लड़कियों को अगवा कर लिया था.
सीधे-सीधे शब्दों में अगर आपको बताएं तो बोको हराम एक आतंकी संगठन है. जिसकी शुरूआत नाइजीरिया में हुई. और नाइजीरिया पश्चिम अफ्रिका का एक छोटा सा देश है. संगठन का उद्देश्य शुद्ध शरियत क़ानून (वो क़ानून जो इस्लामिक धर्म गुरु ने बनाए हैं )लागू कर के नाइजीरिया को इस्लामिक स्टेट बनाना है. जहां किसी भी तरह की पश्चिमी शिक्षा लेना वर्जित होगा. हालांकि पश्चिमी शिक्षा के खिलाफ़ विरोध वाला माहौल नाइजीरिया के मुस्लिम बहुल इलाकों में तभी से शुरु हो गया था. जब साल 1903 में उत्तरी नाइजीरिया, निजेर औऱ दक्षिणी कैमरून के इलाक़े ब्रिटेन के नियंत्रण में चले गए. इसके बाद साल 2002 में धर्मगुरू मोहम्मद युसूफ़ ने बोको हराम का गठन किया.

शुरुआत में धर्मगुरू ने एक धार्मिक कॉम्पलेक्स बनाया, जिसमें एक मस्जिद और इस्लामिक स्कूल मौजूद थे. देश के कई ग़रीब मुसलमान बच्चों ने इस स्कूल में दाखिला तो ले लिया. लेकिन बोको हराम का मक़सद बच्चों को शिक्षा देना नहीं था. वो उन्हें जिहादी बनाना चाहते थे. ताकि इस्लामिक देश बनाने का जो सपना उन्होंने देखा था, वो आसानी से पूरा हो जाए. लेकिन साल 2009 तक इस संगठन के बारे में बहुत ही कम लोग जानते थे. कम से कम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तो इसकी बिल्कुल भी चर्चा नहीं होती थी. पर संगठन ने जब 2009 में माइडूगूरी (नाइजीरिया का एक शहर )स्थित पुलिस स्टेशनों और सरकारी इमारतों पर हमले किए. और इस हमले में क़रीब 1000 लोगों की जान चली गई. तब बोको हराम के आतंक की चर्चा हर जगह होने लगी. फिर 2014 में हुई घटना ने तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान इस ओर खींचा.

इसी घटना की चर्चा आज हम यहां कर रहे हैं.

क्या थी वो घटना?

इस पूरी घटना को हम एक टाइमलाइन के ज़रिए समझाएंगे. वो कौन सा दिन था. वो कौन सी घटना थी. सबकुछ. तो शुरू करते हैं-

21 लड़कियों को जब बोको हराम से छुड़ाया गया. 21 लड़कियों को जब बोको हराम से छुड़ाया गया.
14 अप्रैल,2014 - नाइजीरिया के चिबोक शहर की एक सरकारी गर्ल्स स्कूल से करीब 276 छात्राओं का अपहरण हो गया. वो भी आधी रात को. इस घटना के कुछ समय बाद ही आतंकी संगठन बोको हराम ने एक वीडियो जारी की. और इस पूरी घटना की ज़िम्मेदारी ली. हांलाकि अगवा हुई 276 लड़कियों में से 50 उसी व़क्त भागने में कामयाब हो गई थीं. अगवा की गई ज़्यादातर लड़कियां ईसाई हैं. और चूंकि बोको हराम इस्लाम थोपने में विश्वास रखता है. उन्होंने उन पर मुस्लिम बनने और आतंकियों से शादी करने का दबाव बनाया.यहां तक कि उनमें से कइयों को आत्मघाती बनाने की भी कोशिश की गई. घटना के तीन साल बाद तक किसी भी लड़कियों को रिहा कराने में सरकार नाकामयाब रही.

नाइजीरियाई आर्मी की सांकेतिक तस्वीर नाइजीरियाई आर्मी की सांकेतिक तस्वीर
16 अक्टूबर,2017 – इस साल नाइजीरियाई प्रशासन, रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति तथा स्विटज़रलैंड की सरकार के बीच एक समझौता हुआ. जिसके तहत बोको हराम ने 2014 में जिन लड़कियों को अगवा किया था,उनमें से 21 लड़कियों को आज़ाद करने के लिए तैयार हो गए. लेकिन बदले में अपने 4 आतंकियों को लौटाने की मांग रखी. सरकार ने आतंकियों को सौंप दिया. बदले में 21 लड़कियां आज़ाद हो गईं. फिर बचीं 205 लड़कियां.

8 मई,2018 – क़रीब छह महीने की लंबी बातचीत और स्विट्जरलैंड की मध्यस्थता के बीच संगठन ने दोबारा 82 छात्राओं को रिहा किया. उसी शर्त पर कि इसके बदले उनके कुछ आतंकियों को रिहा कर दिया जाए. वैसा ही हुआ.

अब भी 100 से ज़्यादा लड़कियां बोको हराम की गिरफ़्त में हैं. 2014 में संगठन ने पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में लड़कियों को अगवा किया था. पर यह शुरुआत थी. यह सिलसिला फिर चलता ही गया. साल दर साल अपहरण के और भी मामलों को अंजाम दिया जाने लगा. अब तक क़रीबन 38 अपहरण की घटनाओं को अंजाम दे चुका यह संगठन दो हज़ार से भी अधिक लड़कियों और महिलाओं को अगवा कर चुका है.

 

 

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