शिवानी भटनागर हत्याकांड: पुलिस अफसर की गंदगी एक्सपोज करने वाली थी, पुलिस ने ही मरवा दिया

कहा गया कि बीजेपी नेता प्रमोद महाजन से शिवानी के प्रेम संबंध थे.

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सितंबर 05, 2018

पॉलिटिक्स और मीडिया का कनेक्शन हमेशा से लोगों का ध्यान खींचता आया है. इसीलिए जब इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक रिपोर्टर अपने पटपड़गंज के फ्लैट में मरी हुई पाई गई, तो इसे हेडलाइन बनते देर नहीं लगी. इस पूरे मामले में कई बड़े नाम सामने आए, पॉलिटिक्स से लेकर पुलिस तक से जुड़े लोग इसमें लपेटे गए.

आप पढ़ रहे हैं हमारी स्पेशल सीरीज- हत्या. इस सीरीज में हम कवर करेंगे देश के उन सभी हाई प्रोफाइल मामलों को जिन्होंने देश और कानून की जड़ें हिला कर रख दीं. इन मामलों में किसी न किसी औरत की हत्या की गई. मुक़दमे चले. मुजरिमों को कई बार सजा हुई, कई बार वो छूट निकले. कई बार न्याय के लिए जनता सड़क पर उतरी. आज इस सीरीज में पढ़िए शिवानी भटनागर हत्याकांड के बारे में .

शिवानी भटनागर इंडियन एक्सप्रेस अखबार में प्रिंसिपल कॉरेसपॉन्डेंट थी. सुप्रीम कोर्ट, लॉ मिनिस्ट्री, और सीबीआई (CBI) की खबरें कवर करती थी. राकेश भटनागर से शादी हुई थी. राकेश टाइम्स ऑफ इंडिया में लीगल एडिटर थे. कई एक्सक्लूसिव स्टोरीज़ की थीं शिवानी ने जिनकी वजह से लाइमलाइट मिली थी उसकी रिपोर्टिंग को. इसी चक्कर में शिवानी प्राइम मिनिस्टर ऑफिस से रिपोर्टिंग कर रही थी.

23 जनवरी 1999 को शिवानी की मेड दो बजे के करीब काम करके घर से चली गई थी. तीन बजे के करीब शिवानी ने राकेश को फोन किया और कहा कि उसके लिए कोई शादी का इन्विटेशन और मिठाई लेकर आया है. राकेश ने उस इंसान से बात की, और उसने अपना नाम शर्मा बताया. ये भी कहा कि चंडीगढ़ से किसी मिस्टर अधिकारी ने उसे भेजा है. राकेश किसी अधिकारी को नहीं जानता था, इसलिए उसने शिवानी से कहा कि इन्विटेशन रख ले और उस आदमी को वापस भेज दे.

शिवानी की उम्र लगभग 31 साल थी. फोटो: पीटीआई शिवानी की उम्र लगभग 31 साल थी. फोटो: पीटीआई

शिवानी से राकेश की ये आखिरी बात चीत थी, सिर्फ उस दिन की नहीं, हमेशा के लिए.

इसके बाद लगभग 4.30 बजे राकेश भटनागर के भाई वी एस भटनागर घर आये, और उनसे दरवाज़ा नहीं खुला. उनकी चाभी काम नहीं कर रही थी. वो किसी चाभी वाले को ढूंढने निकले, साथ ही अपने भाई को भी फ़ोन किया. भाई ने बताया कि चाभी कभी-कभी अटक जाती है, उसे घुमा करदरवाज़े को धक्का देने पर खुल जाएगा. जब ऐसा करने पर दरवाज़ा खुल गया, तो वी एस भटनागर अन्दर गए. शाम के लगभग 5.15 हो रहे थे. शिवानी अपने बेडरूम के फर्श पर पड़ी हुई थी. उसका छोटासा बच्चा बिस्तर पर पड़ा रो रहा था.

शाम को 7.20 बजे स्वामी दयानंद हॉस्पिटल लेकर जाया आगे शिवानी को , वहां पहुंच कर पता चला कि वहां लाने से लगभग दो घंटे पहले ही शिवानी की काफी खून बह जाने से मौत हो चुकी थी.

पुलिस के ऊपर इस हाई प्रोफाइल केस को सुलझाने का दबाव बढ़ा. जब केस के सुराग ढूंढने शुरू किए गए, काफी कुछ सामने आया. पता चला कि जब शिवानी PMO से जुड़ी स्टोरी कवर कर रही थी,ठीक उसी समय प्रधानमंत्री आई.के. गुजराल के ऑफिस में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) के पद पर तैनात था IPS अफसर रविकान्त शर्मा.

रविकांत शर्मा इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IG) था उस वक़्त. फोटो: इंडिया टुडे रविकांत शर्मा इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IG) था उस वक़्त. फोटो: इंडिया टुडे

इन दोनों के बीच बातचीत कितनी थी, कैसी थी, इसका खुलासा करने के लिए एक बात जानना ही काफी है.

तीन महीने पहले जब शिवानी एक स्कॉलरशिप पर लन्दन गई थी, तब रविकांत ने अपने फ़ोन से उसे मुंबई से लगभग 90 कॉल्स उसे किए थे.

शिवानी के घर से लूटपाट का कोई साइन नहीं मिला था. जिस किसी ने भी शिवानी की हत्या की थी, वो घर में ज़बरदस्ती नहीं घुसा था. किचन में चाय के दो कप पड़े थे. बिस्किट और ड्राई फ्रूट्स की ट्रे भी रखी थी. बॉक्स बेड को खोलकर अन्दर-बाहर किया गया था. एक सूटकेस को बिस्तर पर अधखुला छोड़ दिया गया था. कमरे के ड्रावर्स और कबर्ड्स उलट पुलट कर दिए गए थे. पुलिस को वहां से खून से सने फिंगर प्रिंट्स और फुटप्रिंट्स मिले.  

बाद में पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि इसे लूटपाट दिखाने के लिए ऐसा किया गया था, असल मकसद लूटपाट नहीं था, शिवानी की हत्या थी.

इस मामले में  मुख्य अभियुक्त आर के शर्मा को बनाने की बात जैसे ही शुरू हुई, वो पुलिस के राडार से हट गया. काफी समय तक उसे ढूंढा गया. इस बीच पुलिस केस से जुड़े एक एक सुराग के बल पर लोगों को अरेस्ट करती रही. फिंगरप्रिंट्स के आधार अपर प्रदीप शर्मा को हिरासत में लिया गया. श्री भगवान नाम के आदमी पर शक होने पर उस पर दबिश दी गई. उसने रविकांत शर्मा की तरफ इशारा करते हुए बातें बताईं. लेकिन शर्मा का कुछ अता-पता नहीं था.

प्रदीप शर्मा की भूमिका इस केस में हिटमैन की कही गई. फोटो: इंडिया टुडे प्रदीप शर्मा की भूमिका इस केस में हिटमैन की कही गई. फोटो: इंडिया टुडे

इस बीच उसकी पत्नी मधु शर्मा ने अपनी नीतियों के साथ इंटरव्यू देना शुरु किया. जोर देकर कहा कि रविकांत निर्दोष है. ये आरोप लगाया कि जिस दिन शिवानी की हत्या हुई, उस दिन बीजेपी नेता प्रमोद महाजन ने उससे 40 मिनट बात की थी फोन पर. कहा कि प्रमोद महाजन का शिवानी के साथ चक्कर था. लेकिन दिल्ली पुलिस ने प्रमोद महाजन को क्लीन चिट दे दी इस मामले में.

मधु शर्मा ने अपनी बेटियों के साथ कई प्रेस कांफ्रेंसेज दें अपने पति कोक निर्दोष साबित करवाने के लिए. फोटो: पीटीआई मधु शर्मा ने अपनी बेटियों के साथ कई प्रेस कांफ्रेंसेज दें अपने पति कोक निर्दोष साबित करवाने के लिए. फोटो: पीटीआई

पुलिस ने मर्डर से जुड़े बाकी लोगों को एक-एक कर उठाना शुरू किया. रविकांत शर्मा की ज़मानत की अर्जी खारिज हो गई. इस वजह से पुलिस को उसे प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित करने का मौका मिल गया. इन सबके बाद रविकांत शर्मा बाहर आया और उसने 2002 में खुद को सरेंडर कर दिया. आर के शर्मा, श्री भगवान् शर्मा, प्रदीप शर्मा और सत्य प्रकाश, सबको उम्रकैद की सजा हुई.

शिवानी की बहन सेवंती ने ये कहा कि शिवानी ने उसे बताया था कि रविकांत शर्मा को वो एक्सपोज करने वाली थी. इस बात से शिवानी के केस को मजबूती मिली जहां पर उसके पक्ष ने ये बात रखी कि रविकांत शर्मा को इस बात से डर लगा था कि कहीं शिवानी उसे सचमुच एक्सपोज़ ना कर दे.

इंडिया टुडे ने इस पर काफी डीटेल्ड स्टोरी की थी जिसमें पूरा मामला जांचा गया था. फोटो: इंडिया टुडे आर्काइव इंडिया टुडे ने इस पर काफी डीटेल्ड स्टोरी की थी जिसमें पूरा मामला जांचा गया था. फोटो: इंडिया टुडे आर्काइव

2008 तक आर के शर्मा अपनी उम्रकैद काट रहा था. 2011 में अपील के बाद हाई कोर्ट ने प्रदीप शर्मा की सजा बरकरार रखी, लेकिन आर के शर्मा, श्री भगवान शर्मा, और सत्य प्रकाश को रिहा कर दिया. ये कहा गया कि इनके खिलाफ सिर्फ सर्कम्सटैन्शियल एविडेंस ही था. इसलिए सजा बरकरार नहीं रखी जा सकती.    

  

 

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