मणिकर्णिका: जब लगान मेट बाहुबली विद कंगना इन द लीड रोल
एक खिचड़ी सा ट्रेलर, और उससे परे कुछ कहानियां
रानी लक्ष्मीबाई की जिन्दगी पर बनी फिल्म मणिकर्णिका का ट्रेलर रिलीज हो गया है. इस फिल्म को लेकर काफी पहले से विवाद चले आ रहे हैं. पहले तो कंगना पर इस फिल्म की रीसर्च चुराने का आरोप लगा. केतन मेहता ने कहा था कि उन्होंने कंगना के साथ अपनी सारी रीसर्च शेयर की थी रानी लक्ष्मीबाई के लिए. लेकिन कंगना ने उनके साथ प्रोजेक्ट करने के बजाए अकेले इस पर फिल्म बना ली. उसके बाद सोनू सूद के फिल्म छोड़ने पर बवाल हुआ. फिर निर्देशक कृष के पास टाइम नहीं था पैचवर्क के लिए तो वो अलग हो गए. इस पर खबरें आती रहीं. खैर, अब आखिर फिल्म का ट्रेलर आ गया है. पहले वो देख लीजिए:
अक्टूबर में इसका टीजर आया था. उस टीजर में जो दिखाया अगया था और इस ट्रेलर में जो दिखाया गया है दोनों में कुछ ख़ास फर्क है नहीं. लेकिन इस ट्रेलर में जो बातें नोट करने लायक हैं वो कुछ यूं हैं:
- कंगना की एक्टिंग इसमें कुछ प्रभावित करती हुई सी नहीं लगती. ऐसे कोई सीन हैं नहीं इसमें जिसमें कंगना कुछ ऐसा अलग करती हुई दिखाई दें जो पहले किसी दूसरी फिल्म में नहीं किया जा चुका हो. लोगों के सर पर से कूदकर हाथी पर पहले अमरेन्द्र बाहुबली भी पहुंच चुके हैं और बाजीराव बलाड भी. रिपिटिशन से वो चीज़ बेहतर कैसे बन जाती है ये समझ से परे है.
- ऐतिहासिक फिल्मों को भव्यता का पर्याय बनाने की क्या ज़रूरत है, इसका जवाब कोई दे दे तो उसका बहुत भला हो. हर इतिहास से जुड़ी फिल्म को बाहुबली जैसा ग्रैंड या भंसाली जैसा चमकदार बनाने की क्या ज़रूरत है? झांसी कोई ऐसी बड़ी रियासत तो थी भी नहीं कि उसे इतना भव्य दिखाया जाए.
- आज़ादी की मांग बड़ी ही कॉम्प्लिकेटेड चीज़ है. जिस समय की ये फिल्म है, उस समय रानी लक्ष्मीबाई झांसी की आज़ादी के लिए नहीं लड़ रही थीं. वो अपने दत्तक पुत्र को राजा बनाने के लिए लड़ रही थीं. अंग्रेजों ने Doctrine of Lapse के तहत झांसी पर अधिकार जमाने की कोशिश की थी. इसलिए क्योंकि झांसी के राजा का अपना कोई बेटा नहीं था. गोद लिया हुआ था. उसे राजा बनाना चाहते थे. अंग्रेज ऐसा नहीं होने दे रहे थे. होने देते तो शायद ही रानी लक्ष्मीबाई अपनी झांसी छोड़कर उनसे लड़ने जातीं.
- डायलॉग बेहद ही फुसफुसे हैं. मतलब एक तरफ आप कोशिश कर रहे हैं कि रगों में खून उबाल देने वाले सीन क्रियेट करें उस पर कंगना को डायलॉग ऐसे दे दिए गए हैं जिनमें कोई पैशन, कोई आग नहीं है. हो सकता है ये डायलॉग डिलीवरी की दिक्कत हो. लेकिन इनको कोई और भी कहता तो भी इनसे तन मन धन न्योछावर करने वाली फीलिंग आना मुश्किल है. जैसे : झांसी आप भी चाहते हैं और मैं भी. फर्क सिर्फ इतना है आपको राज करना है और मुझे अपनों की सेवा. समझ नहीं आता इसे सुनकर क्या फील करना चाहिए. ये एक अपनी जमीन से मर मिटने की हद तक प्यार करने वाली रानी के बोल कम और आज की राजनीति में मंचों से बोला जाने वाला जुमला ज्यादा लग रहा है.
- फिल्म में कंगना ने पैचवर्क डिरेक्शन का काम किया है. इस वजह से डिरेक्शन का क्रेडिट उन्होंने राधा कृष्णा जगरलामुड़ी के साथ खुद को भी दिया है. पहले जब पूछा गया था उनसे कि क्या वो क्रेडिट लेंगी, तब उन्होंने साफ़ मना कर दिया था. खैर, इससे एक बात तो तय होगी, कि कंगना इस फिल्म में जो भी चल रहा है उसकी जिम्मेदारी लेने से पीछे नहीं हट पाएंगी. ये कि इसमें उनका भी बराबर का हिस्सा होगा.
बाकी की कहानी तो बॉक्स ऑफिस ही कहेगा.
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