प्राइवेट पार्टियों में नचाना चाहता था, औरत ने मना किया तो बच्चे को किडनैप कर फरार हो गया
3 साल के बच्चे को पालने के लिए मांगी थी नौकरी.
लोग किसी की मदद के नाम पर, कई बार जरूरतमंद इंसान का बहुत फायदा उठा लेते हैं. और अगर मदद मांगने वाली कोई औरत हो, तो लोग उसे अपनी जागीर ही समझने लगते हैं. सोचते हैं, जरूरतमंद है, इसलिए उससे कुछ भी करवा सकते हैं, मदद देने के नाम पर. उसके शरीर पर भी हक समझने लगते हैं. दिल्ली की कविता (बदला हुआ नाम) के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ.
कविता 26 साल की हैं. दिल्ली की हैं. टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 6 महीने पहले वो अपने पति से अलग हो गई थीं. उनका 3 साल का एक बेटा है. कविता के साथ ही रहता है. पति से अलग होने के बाद बच्चे को पालने के लिए कविता को नौकरी करनी थी. उन्होंने जॉब सर्च करनी शुरू की. उनके एक दोस्त ने जितेंद्र नाम के एक लड़के से पहचान करवाई. जितेंद्र 28 साल का था, उसने कविता को शादी-पार्टियों में वेट्रेस का काम दिलाने का वादा किया. इसके अलावा कविता को रहने के लिए अपने घर का ही एक कमरा भी दे दिया. कविता को लगा कि लड़का अच्छा है और उनकी मदद ही कर रहा है. वो जितेंद्र के घर पर रहने को तैयार हो गईं.
प्रतीकात्मक तस्वीर- रॉयटर्स
लेकिन कविता को जरा भी अंदाजा नहीं था, कि आगे उसके साथ क्या-क्या होने वाला है. कुछ समय बाद जितेंद्र ने कविता से प्राइवेट पार्टियों में डांस करने की मांग कर डाली. उसके ऊपर दबाव बनाने लगा. कविता ने मना कर दिया. मना करने पर जितेंद्र ने उसकी पिटाई करनी शुरू कर दी. साथ ही उसके बच्चे को मारने की धमकियां भी देने लगा.
जितेंद्र को कविता के भागने का डर बना रहता था. इसलिए वो कविता के बच्चे को अपने, या अपने किसी सहयोगी के पास रखता था. जब भी कविता बाहर जाती, बच्चे को साथ नहीं ले जाने देता. कविता ने बहुत सहन करने की कोशिश की. अपने बच्चे के लिए कई बार मार भी खाई. कई बार भागने की प्लानिंग की, लेकिन मौका नहीं मिला. फिर आखिरकार नवंबर के महीने के एक दिन, कविता को मौका मिल गया भागने का. उन्होंने अपने बच्चे को उठाया, और वहां से भाग गईं. आउटर दिल्ली में एक इलाका है नांगलोई. वहां कविता के एक रिश्तेदार रहते थे. वो वहां चली गईं.
प्रतीकात्मक तस्वीर- रॉयटर्स
लेकिन जितेंद्र कहां चुप रहता. उसने कविता को खोजना शुरू कर दिया. थोड़ा सर्च करने के बाद जितेंद्र को कविता की लोकेशन पता चल गई. वो नांगलोई पहुंच गया, 27 नवंबर को. वहां पहुंचकर जितेंद्र ने कविता और उसके बेटे को जान से मारने की धमकियां दीं. कविता ने किसी तरह पुलिस को जानकारी दी. लेकिन जब तक पुलिस वहां पहुंची, जितेंद्र भाग चुका था.
फिर आया दिसंबर का महीना. महीने के पहले हफ्ते जितेंद्र ने कविता से कहा कि उसके घर पर कविता का जो कुछ भी सामान रखा है, वो उसे लौटाना चाहता है. इसलिए मिलना चाहता था. कई बार कहने पर कविता मान गईं. दोनों ने डिसाइड किया कि साउथ-वेस्ट दिल्ली के नजफगढ़ टाउन की गौशाला रोड पर मिलेंगे. कविता अपने बेटे को लेकर वहां पहुंच गईं. जितेंद्र अपनी एंबेसडर कार में बैठा था. जैसे ही कविता उसके पास पहुंची, उसने कविता और उसके बेटे को कार के अंदर खींच लिया और ड्राइविंग शुरू कर दी.
प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay
उसने बताया कि वो कविता को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर लेकर जा रहा है. वही गोरखपुर, जहां से सीएम योगी हैं. साथ ही ये भी बताया कि वहां कविता को 6 महीनों तक रहना होगा, और पार्टियों में डांस करना होगा. कविता ने जितेंद्र से कार रोकने को कहा, वो डर गई थीं. कविता ने कहा कि उन्हें घबराहट हो रही है. जितेंद्र ने कार रोकी. कविता अपने बच्चे को उठाकर वहां से भागीं. लेकिन जितेंद्र उनके पीछे आ गया. उसने बच्चे को छुड़ाया, और कार में जा बैठा. और कार से फरार हो गया.
कविता डरी-सहमी नजफगढ़ पुलिस स्टेशन पहुंचीं, अपने बच्चे के किडनैपिंग के बारे में सबकुछ बताया. पुलिस ने केस दर्ज किया. सीसीटीवी फुटेज खंगाला गया. पुलिस ने जितेंद्र के लोकेशन का पता लगाया. वो फरीदाबाद में था. पुलिसवाले सिविल ड्रेस पहनकर वहां पहुंचे. जितेंद्र मौके पर मिल गया. उसे गिरफ्तार कर लिया गया. वो गोरखपुर के लिए ट्रेन पकड़ने रेलवे स्टेशन रवाना होने वाला था, लेकिन पुलिस टाइम पर पहुंच गई. कविता के बच्चे को भी छुड़ा लिया गया.
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