स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 का ये गाना क्राइम मास्टर गोगो ने देख लिया तो आंखें निकाल कर गोटियां खेलेगा
सेक्सिज्म और मिसोजिनी का उपाय ये तो नहीं है कि उसका टार्गेट बनने का जिम्मा औरतों की पीठ से उतार कर पुरुषों की पीठ पर टांग दिया जाए?
स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर का पार्ट टू आ रहा है. ये एक ऐसी लाइन है जिसे इतिहास में नहीं लिखा जाना चाहिए था. पर क्या ही किया जाए. इस फिल्म के गाने भी आ गए हैं कई. एक तो अभी कल ही रिलीज हुआ. और बाई गॉड की कसम, इस गाने ने दिमाग की दही कर दी. पहले तो ये गाना सुन लीजिए:
गाने में टाइगर श्रॉफ हैं. तारा सुतारिया हैं. अनन्या पांडे हैं.
सबसे पहली बात ये कि ये जो गाने की सबसे मेन लाइन है, कुड़िये तू दिल्ली शहर दी, मैं वी जट लुधियाने दा. ये असल में एक पंजाबी लोकगीत है. सुरिंदर कौर और हरचरण ग्रेवाल ने गाया है. गाने के ओरिजिनल वर्जन में हल्की-फुल्की छेड़छाड़ है. फ्लर्टिंग है. तानेबाजी है. कुल मिलाकर मीठा-सा गाना है. पंजाब की सोंधी खुशबू लिए हुए.
ये रहा वो गाना:
अब आते हैं अभी वाले गाने पे. ली एक ही लाइन है, लेकिन असली गाने को जिसने सुना है उसके लिए पूरे गाने का मज़ा किरकिरा हो गया है. लेकिन ये इस गाने की सबसे बड़ी दिक्कत नहीं है. इस गाने की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसमें टाइगर श्रॉफ को ऑब्जेक्टिफाई कर दिया गया है.
आम तौर पर गानों में लड़कियों को ऑब्जेक्टिफाई किया जाता है. ऑब्जेक्टिफाई बोले तो, किसी जीते-जागते इंसान को चीज़ याने ऑब्जेक्ट की तरह ट्रीट करना. जैसे,
- तू चीज बड़ी है मस्त मस्त
- ये काली काली आंखें, ये गोरे गोरे गाल
- मुन्नी के गाल गुलाबी नैन शराबी चाल नवाबी रे
- माई नेम इस शीला शीला के जवानी आई एम टू सेक्सी फॉर यू मैं तेरे हाथ ना आनी
मने कि गाने में लड़की हो, तो इस तरह की बातें, उसको सेक्स अपील के लिए रखना, यही सब चलता है. तो इस गाने में लोगों ने सोचा कि कुछ नया करते हैं. ऑब्जेक्टीफिकेशन लड़कियों का करेंगे तो लोग क्लास लगाएंगे. और वैसे भी इतने सालों से चल रहा है ये सब. तो चलो, लड़के का काम लड़की को थमा देते हैं.
तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट
तो इस गाने में तारा सुतारिया जो हैं, वो टाइगर श्रॉफ को कह रही हैं
‘ज़रा ज़रा सी मेहर तू कर दे पलट पलट के आंखें सेंकूंगी.
तुझको देखा जागी दिल में फीलिंग ये दुबारा, आते वक़्त तू सीनरी है, तू जाते वक़्त नज़ारा.
सोणेया, हौले से चल जरा, फुर्सत से मैं ताड़ लूं.’
ये सारी बातें अगर किसी लड़की को कही जाएं, तो बेहूदी लगेंगी (हालांकि, बॉलीवुड में ऐसे गानों की कमी नहीं है.) लेकिन SOTY बनाने वालों ने सोच लिया कि किसी लड़के को ये सब बोल देने से यही बेहूदी बातें स्वीकार्य हो जाएंगी. लोग सवाल नहीं उठाएंगे. सेक्सिज्म और मिसोजिनी का उपाय ये तो नहीं है कि उसका टार्गेट बनने का जिम्मा औरतों की पीठ से उतार कर पुरुषों की पीठ पर टांग दिया जाए?
तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट
एक तो इस गाने में ही नहीं, हर गाने में टाइगर श्रॉफ इतना नाचते हैं कि आंखें दुख जाती हैं. मतलब इतनी डांसिंग होती जितनी एक्टिंग करीना कपूर ने ‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’ में भी नहीं की थी. अनन्या पांडे लिप सिंक करते-करते भूल जाती हैं कि कैमरा ऑन है. तारा थोड़ा बहुत संभालती हैं स्क्रीन पर तो उनको ऐसे वाहियात लिरिक्स पकड़ा दिए जाते हैं जिनको सुनकर कानों से खून निकल आए. वो भी उस गाने की लाइन उधार लेकर जो क्लासिक है, काफी पॉपुलर है, और उसका अपना एक अलग फैन बेस है.
चाहते क्या हो भई फिलमवालों? मने दिमाग घर पे छोड़ कर आएं फिल्म देखने वो तो समझ में आता है, आंख और कान भी छोड़े आएं? बता दो? क्योंकि आसार उसी के लग रहे. हां नहीं तो.
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