ऑनलाइन शॉपिंग वाली वेबसाइट्स आपको ऐसे बेवकूफ बना रही हैं
'सीमित समय','लिमिटेड स्टॉक','भारी छूट'- इन सभी शब्दों के जाल में फंसने से पहले ज़रा रुकिए

जल्दी करें! ऑफर केवल सीमित समय के लिए!!!!!!!
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इस तरह के कई नोटिफिकेशन हमारे आंखों के सामने से गुजरते रहते हैं. कई बार इन ऑफर्स के चक्कर में पड़कर हम ऐसी चीजें भी खरीद लेते हैं, जिनकी हमें कोई जरूरत नहीं होती. और कई बार हम प्रोडक्ट पसंद न आने पर वापस करने की कोशिश करते हैं. जैसे ही हम वापस करने की कोशिश करते हैं, वेबसाइट हमें नीचा दिखाने की कोशिश करने लगती है.
ऐसा लगता है मानो कह रही हो,
आ गए ज़लील होने? हैं?
अगर आपको लगता है कि ये सामान्य प्रक्रिया है तो थोड़ा रीवाइंड करिए. ये वेबसाइट्स की मार्केटिंग स्ट्रैटजी का हिस्सा है. कि किसी तरह कस्टमर को फंसा कर लाओ और फिर उसे प्रोडक्ट बेच कर ही दम लो. इस तरह से प्रोडक्ट बेचने के लिए जो तरीके अपनाए जाते हैं. उन्हें डार्क पैटर्न कहते हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के रिसर्च में सामने आया है. प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी ने रिसर्च में उन वेबसाइट्स के बारे में बताया गया है जो 'डार्क पैटर्न' टेक्निक का यूज करते हैं. ताकि लोग ज्यादा खरीदारी करें.
डार्क पैटर्न्स का काम किसी भी तरीके से कस्टमर को प्रोडक्ट बेचना होता है
गिनस एकार जो रिसर्च करने वाली टीम में रिसर्च एसोसिएट हैं. बिजनेस इनसाइडर से बात करते हुए उन्होंने बताया, 'यह लोगों को किसी चीज के प्रति जानबूझकर आकर्षित कराने जैसा है. ताकि वे उसे खरीदें. चाहे उन्हें उस प्रोडक्ट की कोई जरूरत न रही हो. अगर वे डार्क पैटर्न से प्रभावित न होते तो वे उस प्रोडक्ट को खरीदने का निर्णय कभी न लेते. जैसे कि टाइमर दिखाना और कहना कि आपके पास केवल 5 मिनट बचे हुए हैं. यहां पर आपको टात्कालिक निर्णय लेना होता है. जिसमें ये हमेशा संदेह रहता है कि आप बेस्ट चुन रहे हैं.'
एकर और उनकी टीम ने एक ऐसा टूल बनाया जिसने 10 हजार से अधिक ई-कॉमर्स साइट्स की जांच की. इस तरह से उन्हें 1200 डार्क पैटर्न्स के बारे में पता चला. जिनका काम दर्शकों को जबरन प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रेरित करना या फिर साइट पर ज्यादा समय बिताने के लिए ले आना होता था.
इस स्टडी में 15 ऐसे तरीकों के बारे में पता चला है जिसके जरिए शॉपिंग वेबसाइट्स ऑर्डर को कैंसिल करना लगभग नामुमकिन ही कर देती हैं. या फिर ऑर्डर कैंसिल करते समय कस्टमर को शर्मिंदा महसूस कराया जाता है. और अगर आप साइट छोड़कर जा रहे हैं तो आपके सम्मान के कसीदे पढ़े जाते हैं.
अगर आप कोई प्रोडक्ट कैंसिल कर रहे हैं तो आपको जलील करने का कोई मौका नहीं छोड़ा जाता. (प्रतीकात्मक चित्र)
कई ई-कॉमर्स साइट्स लोगों को आकर्षित करने वाले डिजाइन के लिए थर्ड पार्टी वेंडर्स का सहारा लेती हैं. थर्ड पार्टी वेंडर कौन? यानी बेचने वाले और खरीदने वालों के अलावा तीसरी पार्टी. इस रिसर्च में 22 ऐसे वेंडर्स को भी चिन्हित किया गया है. द न्यूयार्क टाइम्स ने स्टडी के कुछ रिजल्ट्स को दोहराने की कोशिश की. और पाया कि वेबसाइट्स फर्जी कस्टमर्स को भी प्रोडक्ट खरीदते हुए दिखाती हैं. ताकि साइट विजिट करते समय आपको ऐसा लगे कि आपके सामने इतने सारे लोगों ने प्रोडक्ट खरीद लिया.
ये लेफ्ट आउट रह जाने वाली फीलिंग को अंग्रेजी में FOMO कहते हैं. यानी Fear Of Missing Out. किसी भी चीज़ से वंचित रह जाना या उससे अलग हो जाने का डर. माने? कि भी रमीला की पार्टी में सब जा रहे हैं. मैं ही नहीं गई. पता नहीं कैसी होगी पार्टी. सब क्या बात करेंगे. शायद बहुत बढ़िया गेम खेले जाएं. क्या ही हो. इसे ही शास्त्रों में FOMO कहा गया है. अब ये वेबसाइट्स आपको इसी तरह का महसूस कराती हैं. कि भई, ये वाला टॉप अभी तक 40 लोगों ने खरीद लिया. मतलब कुछ तो बात होगी इसमें. और फिर बताओ ऑफर भी है. 1500 की चीज़ 500 में मिल रही है तो क्यों न खरीदे कोई. सही है. खरीद ही लेते हैं.
इस तरह आप नेहा, राधिका, प्राची, शालिनी, रिफ़त प्लस 30 अदर्स के साथ वो प्रोडक्ट खरीद खुश हो लेती हैं. बिना ये जाने कि ये सारे नाम और कुछ नहीं बल्कि मार्केटिंग टीम द्वारा बनाई गई एंजल प्रियाएं हैं. जो आपको कुहनी मार-मार कर समान खरीदवाती हैं. लेकिन असल में इनकी अपनी कोई आइडेंटिटी नहीं होती. ये सिर्फ आपको आकर्षित करने के लिए बनाई गई होती हैं.
प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च में इस बात पर फोकस नहीं किया गया कि डार्क पैटर्न्स का यूज कहां पर हो रहा है और कहां पर नहीं. लेकिन अमेरिका में सीनेटर मार्क वार्नर और डेब फिशर ने इसे लेकर एक विधेयक पेश किया गया है.यह इस बात को दिखाता है कि अमेरिका डार्क पैटर्न को लेकर कितना गंभीर है.
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