चाहे कितना भी साफ़ पानी हो, बूंद भर पड़ने से भी इस बच्ची की त्वचा ज़ख़्मी हो जाती है
एक अजीबोगरीब बीमारी जिसके बारे में सोचकर भी डर लगता है.
अपनी उम्र के हर बच्चे की तरह दो साल की आइवी एंगरमैन को पानी बहुत पसंद है. अमेरिका के मिनेसोटा में रहनेवाली इस बच्ची को भी मन करता है पूल में स्विमिंग करने का, बाथटब में खेलने का, बर्फ़ को हाथ लगाने का. मगर एक प्रॉब्लम है. पानी में उतरते ही उसकी त्वचा लाल पड़ जाती है और उसे भयंकर जलन होने लगती है. गरम हो या ठंडा, पानी के साथ संपर्क में आते ही उसे अलर्जिक रिऐक्शन होते हैं और वह दर्द से चिल्ला उठती है. यह असर दो घंटे से ज़्यादा देर तक रहता है.
आइवी के मम्मी पापा, 27 साल की ब्रिट्नी और 31 साल के डैन्यल के रातों की नींद उड़ी हुई है. वे समझ नहीं पा रहे ऐसा क्यों हो रहा है, कैसे हो सकता है. पानी के बग़ैर इंसान जी नहीं सकता, फिर इससे ऐलर्जी कैसी? सबसे ताज्जुब की बात यह है कि आइवी छोटी थी तो उसे ऐसा कुछ नहीं था. आठ महीने की उम्र में ही देखा गया कि नहाने के बाद उसके हाथ-पैर पर रैशेज़ निकल रहे हैं जो तौलिए से रगड़ने से फट जा रहे हैं. ‘मैंने वह सबकुछ किया जो कोई मां करती है,’ ब्रिट्नी कहतीं हैं. ‘उसका साबुन बदल दिया, कपड़े धोने के डिटर्जेंट की जाँच की, फ़ैब्रिक सॉफ़ेनर यूज़ करना बंद कर दिया, यहाँ तक कि उसे नहलाने के लिए डिस्टिल्ड पानी का इस्तेमाल शुरू किया मगर कुछ भी नहीं हुआ.’
अपनी बेटी को इस हालत में देख डैन्यल का भी दिल टूट जाता है. ‘हमने पहले बहुत से डॉक्टरों को दिखाया है. सबका यही मानना है कि यह एक अलर्जिक प्रतिक्रिया है मगर कोई भी नहीं बता पा रहा कि ऐसा क्यों हो रहा है.’
डैन्यल और ब्रिट्नी ने आइवी को नहलाना छोड़ उसे बेबी वाइप्स से साफ़ करना शुरू कर दिया है. वह गंदी न हो इसलिए वे उसे बाहर खेलने भी नहीं दे सकते और उसे घर के अंदर ही रखते हैं ताकि वह साफ़-सुथरी रहे. आइवी की छोटी बहन ग्रेस को यह कंडिशन नहीं है जिसकी वजह से वह जितना चाहे पानी में खेल सकती है. ब्रिट्नी कहतीं हैं कि आइवी को यह बात बहुत रुलाती है कि वह अपनी बहन के साथ खेल नहीं सकती. सबसे दुख की बात यह है कि आइवी को अपने आंसुओं और पसीने से भी ऐलर्जी है. वह दर्द के मारे रोती भी है तो उसका चेहरा लाल पड़ जाता है और उसकी तकलीफ़ दुगनी हो जाती है. गर्मी के मौसम में उसे सबसे ज़्यादा तकलीफ़ होती है जब उसे पसीने आते हैं. उसके मां-बाप भी इतना नहीं कमाते कि घर में एसी लगवा लें.
मिनेसोटा के सेंट पॉल के पीडियाट्रिशियन डॉ॰ डग्लस मैकमेहन इस बीमारी को Aquagenic Urticaria बताते हैं. यह एक बहुत ही रेयर बीमारी है और अमेरिका में 100 से भी कम लोगों को है. यह क्यों होता है और कैसे ठीक हो सकता है इसका पता अभी तक नहीं लग पाया है. डॉ॰ मैकमेहन ने ऐसा केस पहले कभी देखा नहीं मगर इस बीमारी के बारे में जानते हैं और कहते हैं कि मेडिकल सम्प्रदाय में इसको लेकर काफ़ी कौतूहल है और रीसर्च भी चल रही है. आइवी को उन्होंने ‘ऐंटी-हिस्टामीन’ दवाएँ दी हैं जिससे उसके अलर्जिक रीऐक्शन क़ाबू में रहेंगे और कम समय के लिए रहेंगे.
आइवी की दवाओं का ख़र्चा उठाने के लिए उसके पेरेंट्स ने इंटरनेट के जरिए डोनेशन्ज़ मांगे हैं. अब तक उन्हें 41,000 डॉलर (क़रीब 30 लाख रुपए) मिले हैं. ‘हमारे लिए यह इतनी बड़ी बात है कि हम कह भी नहीं सकते हम कितने ख़ुश हैं,’ ब्रिट्नी कहतीं हैं. ‘जानकर बहुत अच्छा लगता है कि इस दुनिया में इतने अच्छे लोग हैं जिन्हें हमारी इतनी परवाह है.’
एक अच्छी बात यह है कि आइवी को पानी पीने में कोई तकलीफ़ नहीं होती. वह सिप्पर वाली बोतल से आराम से पानी पी सकती है. इसके बावजूद उसकी ऐलर्जी को लेकर चिंता रहती है और उसके पेरेंट्स को डर है कि वह कभी एक नॉर्मल ज़िंदगी नहीं जी पाएगी. ‘कभी कभी बहुत निराशा होती है.’ ब्रिट्नी कहतीं हैं. ‘उसके भविष्य के लिए सचमुच बहुत डर लगता है.’
यह स्टोरी ईशा ने लिखी है
लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे