प्रिंसिपल गन्दी बातें करके परेशान करता था, शिकायत करने पर अदालत ने विक्टिम को ही जेल भेज दिया

छह महीने की सज़ा. साथ ही 50 करोड़ रुपियाह का ज़ुर्माना

ईशा चौधरी ईशा चौधरी
जनवरी 14, 2019
बइक नूरिल मकनून/फोटो क्रेडिट: NET News

यौन शोषण से पीड़ित होने से कहीं ज़्यादा दर्दनाक शायद उसकी शिकायत करना और इंसाफ़ मांगना है. गुनहगार तो आसानी से छूट ही जाते हैं, बल्कि सारा लांछन पीड़िता को सहना पड़ता है. वो वहां क्यों गई थी? उसने क्या पहना था? वो शराब पीती थी क्या? जैसे तमाम बेतुके सवाल उसी से किए जाते हैं.

मगर रही बात लांछन की, किसी को अपने ऊपर हो रहे शोषण की शिकायत करने के लिए जेल जाना पड़े ऐसा सोचा भी जा सकता है क्या?

इंडोनेशिया की बात है. लोंबोक टापू की रहनेवाली बइक नूरिल मकनून एक स्कूल में टीचर है. 37 साल की मकनून के साथ काफ़ी समय से यौन उत्पीड़न होता आ रहा है. उसका बॉस, स्कूल का प्रिंसिपल, उसे अश्लील मेसेज भेजता है. फ़ोन पर गंदी बातें करता है. सेक्स के प्रस्ताव लेकर उसके सामने आ चुका है.

बइक नूरिल मकनून/क्रेडिट: यूट्यूब स्क्रीनशॉटबइक नूरिल मकनून/क्रेडिट: यूट्यूब स्क्रीनशॉट

तंग आई मकनून ने फ़ैसला किया कि इससे पीछा छुड़ाकर रहेगी. प्रिंसिपल ने एक दिन फ़ोन किया तो उसने पूरा कॉल रेकर्ड कर लिया. उसकी वकील जोको जुमादी के मुताबिक उसके एक सहकर्मी ने ये रेकॉर्डिंग सबूत के तौर पर पेश किया. और एक कंप्लेंट दर्ज की.

मगर इससे फ़ायदा तो हुआ नहीं, बल्कि ये मकनून पर भारी पड़ गया. इंडोनेशिया के सुप्रीम कोर्ट ने 'अश्लीलता' के ज़ुर्म के लिए मकनून को छह महीने की सज़ा सुनाई. साथ ही उसपर लगभग 50 करोड़ रुपियाह का ज़ुर्माना भी लगाया.

इंडोनेशियाई सुप्रीम कोर्ट इंडोनेशियाई सुप्रीम कोर्ट/फोटो क्रेडिट: Wikimedia

अदालत के मुताबिक मकनून फ़ोन के ज़रिए अश्लील कंटेंट शेयर कर रही थी. जो कि इंडोनेशिया के साइबर कानून के ख़िलाफ़ है.

कोर्ट के इस फैसले ने इंडोनेशिया भर में हड़कंप मचा दी है. ऐमनेस्टी इंटरनैशनल इंडोनेशिया के डिरेक्टर उस्मान हामिद कहते हैं, 'इस औरत को उत्पीड़न का विरोध करने के लिए दोषी ठहराया गया है. बड़ी शर्मनाक बात है कि सज़ा शिकायत करनेवाली को मिली है. मगर मामले की तहकीकात के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.'

उस्मान हामिद उस्मान हामिद/फोटो क्रेडिट: यूट्यूब स्क्रीनशॉट 

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इंडोनेशिया में एक तिहाई औरतें शारीरिक या यौन शोषण की शिकार रह चुकी हैं. Institute for Criminal Justice Reform की मदीना रहमावती कहती हैं कि कोर्ट का ये फ़ैसला उन सभी औरतों के ख़िलाफ़ है जो न्याय चाहतीं हैं. उनका कहना है, 'इस मामले में कानून का इस्तेमाल उन औरतों के ख़िलाफ़ हो रहा है जो अपने आप की रक्षा करना चाहती हैं'.

जुको जुमादी का कहना है कि मकनून इस फ़ैसले पर सवाल उठाते हुए एक याचिका डालने जा रही है. मगर उसे किसी भी वक्त रोका जा सकता है.

मकनून के जुर्माने के लिए पैसे इकट्ठे करने के लिए एक फंडरेज़िंग कैंपेन भी शुरु किया गया था. जिसने अभी तक 24 करोड़ रुपियाह इकट्ठे किए हैं.

 

 

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