9 साल के बच्चे का 3 पुलिसवालों ने खुलेआम यौन शोषण किया और FIR तक न हुई

वायरल वीडियो में ये दो बातें न होतीं तो कभी पकड़ में न आते आरोपी.

कुसुम लता कुसुम लता
अगस्त 14, 2019
तीनों आरोपी रायपुर पुलिस में आरक्षक हैं.

एक लड़का मुझे छेड़ता है. घर के बाहर खड़ा होकर घूरता रहता है. एक आदमी मुझे गलत तरीके से छूकर चला गया. अश्लील मैसेज आते हैं. पति पीटता है. ससुराल वाले दहेज के लिए परेशान करते हैं. बच्चे का स्कूल में यौन शोषण हो गया. इस तरह के ढेरो कॉल हमारे पास रोज़ आते हैं. ऑडनारी के इनबॉक्स में इस तरह के कई मैसेजेस आते हैं. लगभग रोज़. और हम उन सभी से पहला सवाल पूछते हैं?

आपने पुलिस में रिपोर्ट करवाई?

पुलिस. जिस पर जिम्मेदारी है हमारी सुरक्षा की. मुश्किल में पड़ने पर मदद के लिए हम सबसे पहले जिस सरकारी मशीनरी की तरफ देखते हैं वो पुलिस ही है. लेकिन क्या हो जब पुलिसवाले ही यौन शोषण करते पकड़े जाएं. वो भी खुले आम, बीच सड़क पर. वहां से गुज़र रही जनता भी उन्हें नहीं रोकती. क्यों? क्योंकि वो पुलिसवाले हैं. और पुलिस से दुश्मनी कौन मोल ले?

वॉट्सऐप पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में 9-10 साल का एक छोटा बच्चा है. तीन पुलिस वाले हैं. एक वर्दी में और दो सिविल कपड़ों में. वीडियो में एक पुलिसवाले ने बच्चे के हाथ पकड़ रखे हैं. दूसरा उसके कान उमेठ रहा है. तीसरा लात से उसे मार रहा है. इतने पर पुलिसवाले रुके नहीं. एक पुलिसवाला बच्चे की पीठ को सहलाता दिख रहा है. अश्लील तरीके से. वो उसकी शर्ट के अंदर गलत तरीके से हाथ डालता दिख रहा है. इसके बाद दूसरा पुलिसवाला उस लड़के के प्राइवेट पार्ट को पकड़ता दिख रहा है. कुछ ही देर में वर्दी वाला बच्चे को पीछे से पकड़ लेता है. खुद को बच्चे से सटाता हुआ. और एक हाथ से बच्चे का प्राइवेट पार्ट पकड़कर वो उसे उठा लेता है.

इसके बाद ट्रेन चल पड़ती है. पता नहीं वो पुलिस वाले कितनी देर तक उस बच्चे को इसी तरह प्रताड़ित करते रहे.

वीडियो का स्क्रीनग्रैबवीडियो का स्क्रीनग्रैब

# वीडियो कहां का है?

वीडियो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का है. शहर के आउटर में पड़ने वाले सरोना रेलवे स्टेशन के बाहर का. इस स्टेशन पर रुकी एक ट्रेन के अंदर से इस वीडियो को शूट किया गया है. वीडियो के एक हिस्से में एक बोर्ड दिख रहा है- कुम्हारी, 6 किलोमीटर. जो कि सरोना से 6 किलोमीटर दूर ही है.

#सस्पेंड हुए आरोपी, FIR नहीं

इस मामले में हमने रायपुर के एडिशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर से बात की. ठाकुर ने वीडियो के सही होने की पुष्टि की. साथ ही बताया कि तीनों पुलिसवाले रायपुर के अलग-अलग थानों में पोस्टेड थे. अनिल राजपूत (कबीर नगर थाना), मुकेश ठाकुर (सरस्वती नगर थाना) और कृष्णा राजपूत (आमानाका थाना). तीनों को सस्पेंड कर दिया गया है.

ठाकुर ने बताया कि अगर एक आरोपी ने वर्दी नहीं पहनी होती तो उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता. उन्होंने कहा-

'घटना के वक्त एक पुलिसवाला वर्दी में था. इस वजह से उन लोगों तक पहुंचने में आसानी हुई. डिपार्टमेंटल जांच शुरू हो गई है. वीडियो का एक्सपर्ट से भी रिव्यू कराया जा रहा है. विभागीय जांच के बाद तीनों के खिलाफ संबंधित धाराओं में कार्रवाई की जाएगी.

सांकेतिक फोटोसांकेतिक फोटो

वीडियो में साफ दिख रहा है कि आरोपी उस बच्चे को मॉलेस्ट कर रहे हैं. इसके बावजूद आरोपियों को सिर्फ सस्पेंड किया गया है. बच्चों को लैंगिक अपराध से बचाने वाले कानून POCSO के तहत भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. इस बारे में जब हमने ठाकुर से सवाल किया तो वो टालने की कोशिश करने लगे कि वीडियो में तो ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है. फिर उन्होंने कहा कि बच्चा जेबकतरा था. जब हमने ज़ोर दिया कि वीडियो में सबकुछ एकदम साफ दिख रहा है, तब उन्होंने कहा कि विभागीय जांच के बाद पॉक्सो और IPC की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज करेंगे.

आपको बता दें कि 18 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की से किसी भी प्रकार का लैंगिक व्यवहार POCSO कानून के दायरे में आता है. इस कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है.

पुलिस की ड्यूटी आम लोगों की सुरक्षा करने की होती है. लेकिन अगर वही पुलिस मासूम बच्चों का शोषण करने लगे? उन्हें इस तरह परेशान करने लगे तो हम इंसाफ की उम्मीद किससे करेंगे?

 

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