आपके ससुराल वाले आपको दहेज़ के लिए प्रताड़ित कर रहे हैं तो यह करिए
दहेज़ उत्पीड़न से जुड़े कई कानून बने हैं, पर क्या आपको वो पता हैं?

पिछले महीने पड़ोस में एक लड़की की शादी हुई. लड़की के मम्मी-पापा न्योता लेकर आए तो कह रहे थे कि बड़े भले लोग हैं. कुछ मांगा नहीं. बस ये कहा कि अपने मन से जो चाहिए वो हम दे दें.
आपके परिवार की पिछली शादी में भी कुछ ऐसा ही हुआ न? यार देखो, नाक सीधे पकड़ो या हाथ घुमाकर, बात तो एक ही होती है. और दहेज़ को 'गिफ्ट' बोलकर आप किसे उल्लू बनाते हैं? सब जानते हैं कि आपकी बेटी की शादी और 'गिफ्ट' में कोई कमी आ जाए तो पूरे जीवन आपके शर्मिंदा होना पड़ सकता है.
इन्हीं गिफ्ट्स के चलते, साल 2012 से 2015 के बीच दहेज हत्या के 24,771 मामले दर्ज किए गए. ये हम नहीं, महिला और बाल कल्याण मंत्रालय कहता है. जरूरी है कि आप जान लें कि ये 'गिफ्ट' आपको जेल भेज सकते हैं.
आखिर दहेज होता क्या है?
महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के मुताबिक कोई प्रॉपर्टी या कीमती सिक्योरिटी, जो पैसे हो सकते हैं, गहने हो सकते हैं, वो लड़के वालों को दिया जाए या फिर देने का वादा किया जाए. ये जरूरी नहीं है कि दहेज शादी के दौरान ही दिया जाए, ये शादी से पहले या शादी के बाद भी दिया जा सकता है.

अगर आप बिना किसी दबाव के अपनी बेटी को कुछ देना चाहते हैं तो?
अक्सर ये सवाल उठता है कि अगर कोई परिवार अपनी मर्जी से यानी बिना किसी दबाव के अपनी बेटी को गिफ्ट देना चाहता है, तो क्या ये दहेज कहलाएगा? इसका जवाब है कि ये दहेज ही कहलाएगा, लेकिन इस पर सजा नहीं हो सकती है. दहेज निषेध अधिनियम, 1985 के नियम 2 के तहत ऐसे हालात में हर गिफ्ट की एक लिस्ट बनानी होगी. कुलमिलाकर इसका मतलब है कि लड़की के परिवार को इस बात की घोषणा करनी होगी, वे अपनी मर्जी से लड़के के परिवार को क्या-क्या दे रहे हैं.
अपराधी कौन?
हमारे देश में दहेज उत्पीड़न को लेकर कई कानून बने हुए हैं. कानून के मुताबिक दहेज लेना ही अपराध नहीं है, दहेज देना भी एक अपराध है. इन दोनों ही मामले में पांच साल तक की सजा हो सकती है. अगर कोई दहेज ले रहा है, तो उसे 15 हजार रुपये तक का जुर्माना या दहेज की पूरी रकम (दोनों में से जो भी ज्यादा हो) बतौर जुर्माना अदा करनी पड़ सकती है. ऐसा नहीं है कि दहेज लेने पर सिर्फ लड़के के घरवालों को सजा मिलेगी, ये हर उस इंसान पर लागू है, जो शादी में लड़की वालों से किसी तरह की कोई डिमांड करता है.

अगर शादी के बाद किसी महिला को उसका परिवार दहेज के लिए ताना मारता हो, उसे पीटा जाता हो, घर से निकाल देने की धमकी दी जाती हो या किसी भी तरह मानसिक रूप से उत्पीड़ित किया जाता हो, तो महिला को इसकी शिकायत करने का पूरा हक है.
मैं रपट या FIR कैसे लिखवाऊं?
1. सबसे पहले आपको अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन जाना होगा.
2. पुलिस स्टेशन जाकर अपनी तकलीफ बतानी होगी और शिकायत दर्ज करानी होगी.
3. शिकायत में आपको अपने परिवार की ओर से दी गई हर चीज लिखानी होगी.
4. फिर आपको अपने साथ हुई पूरी घटना विस्तार से बतानी होगी.
5. अगर आपके पास कोई सबूत है, जैसे- फोन कॉल की रिकॉर्डिंग, कोई मैसेज या ईमेल, तो बेहतर होगा.
6. आप अपने ससुराल वालों के खिलाफ धारा 406 के तहत मामला दर्ज करा सकती हैं. यही नहीं, आप अपना स्त्रीधन वापस लेने की मांग भी कर सकती हैं.
7. इसके बाद आप घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के तहत अपने खर्चे की भी मांग कर सकती हैं.
8. अगर आपको अपने ससुराल वालों से खतरा महसूस होता है, तो ये बात पुलिस को जरूर बताएं. ऐसे में आपको पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.
9. यही नहीं, आप अपने और अपने बच्चों के लिए अलग रहने की जगह और खर्चा भी अपने पति से मांग सकती हैं.
10. इन सबके लिए आपको एक वकील की भी जरूरत होगी, जो आपके लिए कानूनी कार्रवाई करेगा. अगर आप वकील का खर्चा नहीं उठा सकती हैं, तो अपने पति से आपका कानूनी खर्च उठाने के लिए केस फाइल कर सकती हैं.

FIR दर्ज कराने के बाद क्या होता है?
कानून जरूर बनते हैं, लेकिन इसी कानून का गलत इस्तेमाल भी होता है. बहुत से लोग झूठे केस भी दर्ज करा देते हैं. इस वजह से देश के सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में ये फैसला दिया था कि पुलिस किसी को सिर्फ एक शिकायत के आधार पर गिरफ्तार नहीं कर सकती. इसलिए दहेज का केस दर्ज कराने के बाद मामला कोर्ट में जाएगा और तय तारीख पर दोनों पक्ष को पेशी के लिए आना होगा. सारे सबूत और गवाह की पेशी भी कोर्ट में होगी. शिकायत के बाद किसी की भी गिरफ्तारी तब तक नहीं हो सकती, जब तक मजिस्ट्रेट की ओर से आदेश नहीं दिया जाएगा.

मेरे बच्चों का क्या होगा?
कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान महिला अपने बच्चों की पूरी कस्टडी मांग सकती हैं. इसके लिए उसे कोर्ट में अर्जी देनी होगी. अगर इजाज़त मिल जाती है, तो महिला को ये तय करना होता है कि वो बच्चों को अपने पति से मिलने की मंजूरी देना चाहती है या नहीं. बच्चों की कस्टडी लेने वाली महिला अगर कमाती नहीं है, तो भी उसे चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि कोर्ट बच्चों के पालन-पोषण व खर्चे के लिए उसके पति को हर महीने का खर्चा देने का आदेश देगी. अगर कोर्ट के आदेश पर भी पति खर्चा नहीं देता है, तो उसे जुर्माना भरना होगा.
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