तीन तलाक के खिलाफ कानून लागू हो चुका है, जानिए ये मुस्लिम औरतों को कैसे बचाएगा?
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिल को मंजूरी दे दी है.
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल, 2019 यानी तीन तलाक बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है. राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही तीन तलाक के खिलाफ कानून बन गया है. ये कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होगा. उसके अलावा देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह कानून लागू हो चुका है.
इस खबर में तीन तलाक से हमारा मतलब तलाक-ए-बिद्दत है. यानी एक बार में दिया जाने वाला तीन तलाक.
'ये एक बहुत खुशी वाला पल है. न केवल मेरे लिए, बल्कि मुस्लिम सोसायटी की पूरी औरतों के लिए. हम एक राक्षसी प्रथा से आज़ाद हो गए हैं. तीन तलाक के कारण कई साल तक औरतों ने बहुत कुछ झेला है. आधी रात को ही उन्हें अचानक से घर से बाहर कर दिया जाता था, उन्हें नर्क देखना पड़ता था. समझ नहीं आ रहा कि अभी भी लोग आदमियों के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं, औरतों के बारे में नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध ठहरा दिया था, लेकिन उसके बाद भी तीन तलाक दिए जा रहे थे. लोगों के अंदर डर नहीं था. इस बिल से लोगों के मन में डर आएगा.'
इन शब्दों में तीन तलाक विक्टिम शायरा बानों ने अपनी खुशी जाहिर की.
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त, 2017 को फैसला सुनाया था कि तीन तलाक की प्रथा असंवैधानिक है. पांच जजों की बेंच ने 3-2 से यह फैसला सुनाया था. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि छह महीने के अंदर तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया जाए. कानून नहीं बनने पर भी सुप्रीम कोर्ट का आदेश मान्य रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार कानून बनाने की कवायद में जुट गई. सरकार ने संसद में बिल पेश किया. लोकसभा में पास हुआ, राज्यसभा में लटक गया. इसके बाद सरकार फरवरी, 2019 में अध्यादेश लेकर आई थी. अध्यादेश के तहत लाया जाने वाला कानून 6 महीने तक लागू रहता है.
मई में सरकार बदली. और बजट सत्र में केंद्र सरकार ने एक बार फिर तीन तलाक बिल संसद में पेश किया. इस बार लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में बिल पास हो गया. और अब कानून भी बन चुका है.
सांकेतिक फोटो
सभी पक्षों के नेता इस पर अपने-अपने तरीके से बयानबाजी कर रहे हैं. इसे असंवैधानिक बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि यह कानून भेदभावपूर्ण है. तर्क दिए जा रहे हैं कि मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन तलाक कहकर छोड़े तो उसे तीन साल की सजा. जबकि हिंदू पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ता है तो उसे सिर्फ एक साल की सजा मिलती है. यह अन्यायपूर्ण है. इन मुद्दों पर बहस जारी रहेगी. लेकिन जिन औरतों ने तीन तलाक का दर्द झेला है, वो खुश हैं. वो खुश हैं कि अब बिना मर्जी के छोड़ दिए जाने पर वो कानून का दरवाज़ा खटखटा सकती हैं. अब उन्हें धर्म या समाज के नाम पर कोई चुप नहीं करवा सकेगा.
आइये हम बताते हैं कि नया कानून तीन तलाक विक्टिम्स की कैसे मदद करेगा.
- इसके तहत बोलकर, एसएमएस करके, वॉट्सऐप, चिट्ठी, फोन पर या ईमेल के जरिए दिया गया तीन तलाक असंवैधानिक माना जाएगा.
- तीन तलाक बोलकर अपनी पत्नी को छोड़ देने वाले पुरुष को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा मिल सकती है.
तीन तलाक बिल आते ही सवाल उठने शुरू हो गए थे कि पति के जेल जाने के बाद पत्नी और बच्चों के रहन-सहन का खर्च कौन उठाएगा. इसके लिए नए कानून में प्रावधान जोड़े गए हैं. एक-एक करके जान लेते हैं कि कानून में क्या-क्या प्रावधान किए गए हैं.
- जिस महिला को तीन तलाक दिया गया है, अगर वो या उसे सगे संबंधी या ससुराल के लोग शिकायत करते हैं तो ही तलाक देने वाले पुरुष को गिरफ्तार किया जा सकेगा. पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं करवा सकता है.
- अगर पत्नी चाहे तो पति से समझौता कर सकती है. समझौते की प्रक्रिया मजिस्ट्रेट के सामने होगी. इसके लिए मजिस्ट्रेट जो भी शर्त रखेंगे उसका पालन पति-पत्नी दोनों को करना होगा.
संसद में बिल के पास होने को मोदी सरकार की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है.
- अगर तीन तलाक देने वाला पति गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए अर्जी लगाता है, तो मजिस्ट्रेट जमानत पर विचार कर सकते हैं. पत्नी का पक्ष सुनने के बाद, उसके बयान के आधार पर वह जमानत पर फैसला कर सकते हैं.
- नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां को दी जाएगी. वहीं पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी. गुजारे के लिए उन्हें कितने पैसे मिलने चाहिए इसका फैसला मजिस्ट्रेट दोनों पक्षों को सुनने के बाद करेंगे.
यानी, अब अगर पति तीन तलाकर देकर छोड़ देता है तो पत्नी उसकी शिकायत पुलिस से कर सकती है, उसे जेल भिजवा सकती है और अपना गुजारा भत्ता भी उससे मांग सकती है. और हां, कानून तोड़ने वाले को ही सजा मिलती है. तो कानून में कितनी सजा है, कितना जुर्माना है... इसकी चिंता आपको तभी करनी चाहिए जब आपकी कानून तोड़ने की नीयत हो. तीन तलाक देना गैर-कानूनी है, और गैर-कानूनी काम करेंगे तो सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी.
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