बच्चा पैदा करने के चार पड़ाव: कैसे चौड़ी होती है बच्चेदानी और नन्ही सी जान बाहर आती है

लेबर पेन और थकी हुई मां की मुस्कान के बीच क्या होता है?

एक औरत को जब प्रेगनेंट होने की खबर मिलती है. वो तभी से अपने आने वाले बच्चे के लिए तैयारियां शुरू कर देती है. वो अपना ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखती है, ताकि गर्भ में पल रहे शिशु को ज़रा भी तकलीफ न हो. हम सभी जानते हैं कि बच्चा पैदा करने के दौरान जो दर्द होता है, उसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. हर मां बनने वाली औरत के लिए वो पल सबसे खूबसूरत भी होता है और सबसे ज्यादा दर्द देने वाला भी.

जब किसी गर्भवती औरत को प्रसव पीड़ा शुरू होती है, तब से लेकर वो इसके चार स्टेज से होकर गुजरती है. जिसके बाद वो एक नई जिंदगी को इस दुनिया में लेकर आती है.

1. एक्टिव लेबर

इस दौरान जबरदस्त मरोड़ होता है, जिसकी अवधि भी ज्यादा होती है. गर्भाशय यानी यूटरस में हर घंटे एक सेंटीमीटर का खिंचाव यानी फैलाव होता है. यूटरस में चार सेंटीमीटर के खिंचाव के बाद एक्टिव लेबर की शुरुआत हो जाती है. इसी के बाद गर्भवती स्त्री को हॉस्पिटल ले जाना या फिर बच्चे के जन्म की तैयारी शुरू कर देनी होती है.

2. ट्रांजिसन

ज्यादातर महिलाओं के लिए बच्चे को जन्म देने का ये सबसे कठिन हिस्सा होता है. क्योंकि इस स्टेज में गर्भाशय में 10 सेंटीमीटर तक फैलाव होता है. ऐसे में गर्भवती स्त्री को यहां तक महसूस होने लगता है कि अब वो दर्द नहीं सहन कर सकती. कुछ औरतों को उल्टियां होने लगती हैं. शरीर में खासतौर पर पैरों में सिहरन सी होती है. घबराहट होती है. शुक्र है कि ये सबसे छोटा स्टेज होता है.

3. पुशिंग

जब गर्भाशय में पूरा फैलाव हो जाता है और बच्चे का सिर नीचे की ओर आता है, जिससे शिशु गर्भाशय से बाहर निकल सके. फिर पुश करने की जरूरत होती है. हर पुश बच्चे को थोड़ा आगे बढ़ाता है, लेकिन जैसे ही बच्चेदानी का फैलाव कम होने लगता है, बच्चा वापस पीछे सरक जाता है. मतलब यूटरस फैलता और सिकुड़ता है, ऐसे में पुश करना जरूरी होता है. जब बच्चे का सिर वजाइना के एंट्रेंस पर पहुंचता है. उस वक्त वजाइना स्किन के फैलने से जलन सी होती है. अगले करीब दो फैलाव के बाद बच्चे का सिर बाहर निकलने लगता है. एक बार जब बच्चे के कंधे बाहर निकल आते हैं तो बच्चा खुद ही बाहर की ओर सरक कर आ जाता है.

4. प्लेसेंटा की डिलिवरी

सिर्फ बच्चे के बाहर आ जाने से ही प्रसव प्रक्रिया पूरी नहीं होती. इसके बाद बच्चे के नाल से जुड़े प्लैसेंटा को भी यूटरस से बाहर डिलिवर करना होता है. प्लेसेंटा के जरिए ही गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण मिलता है.

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group