ज़रा इन 'बाइकर' औरतों से मिलिए, कहना छोड़ देंगे कि औरतें बुरी ड्राइवर होती हैं
छक्के छूट जाएंगे आपके.
ऐसा अक्सर सुनने में आता है कि लड़कियां गाड़ी नहीं चला सकतीं. एक औरत को ड्राइवर सीट पर बिठा दो तो ऐक्सिडेंट होना तय है. औरतें कमज़ोर हैं, कमअक़्ल हैं, उन्हें मशीनों की समझ नहीं, वे ड्राइविंग का स्ट्रेस नहीं ले पातीं और पता नहीं क्या क्या. मगर इन पांच औरतों ने ऐसा कहनेवालों के मुंह पे धूल उड़ाते हुए यह साबित कर दिया है कि ऑटोमोबील्स—ख़ासकर बाइक—चलाना सिर्फ़ लड़कों का काम नहीं हैं. औरतें भी बाइक चलातीं हैं और जब चलातीं हैं तो बड़े-बड़ों के छक्के छूट जाते हैं. आइए मिलते हैं भारत की कुछ शानदार फ़ीमेल बाइकर्ज़ से जिन्होंने समाज को अपने पैशन के बीच नहीं आने दिया.
1. रोशनी मिस्बाह
इन्हें ‘हिज़ाबी बाइकर’ के नाम से जाना जाता है. दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में अरबी की यह छात्रा स्कूल के दिनों से बाइक्स की शौक़ीन है. वह कहती हैं, ‘जब मेरी उम्र की बाक़ी लड़कियां स्कूटी लेना चाहतीं थीं, मुझ पर बाइक्स का भूत सवार था. बाइकिंग हमेशा से मेरा पैशन रहा है और अब मैं उसे पूरा कर रही हूं.’
सालों से अपने पापा की बाइक पर प्रैक्टिस करने के बाद, कॉलेज में आकर उन्होंने अपनी पहली बाइक ली. एक बजाज अवेंजर क्रूज़र 220. इसे लेने के पैसे इकट्ठा करने के लिए उन्होंने कई पार्ट टाइम जॉब किए और फ़ैमिली बिज़नेस में अपने पापा का हाथ भी बँटाया. पांच महीने बाद वह बाइक बेचकर उन्होंने एक रॉयल एन्फ़ील्ड 500 ली, जिसकी ‘साउंड और फ़ील’ उन्हें बहुत पसंद है. स्पोर्ट्स बाइक का अपना शौक़ पूरा करने के लिए उन्होंने एक होंडा सीबीआर भी ली.
दिल्ली में बाइक चलाने का अपना एक्सपीरियंस बताते हुए वह कहतीं हैं, ‘यहां के लौंडे मुझे बाइक चलते हुए देखते हैं तो हंसते है. मगर जब मैं उन्हें कॉम्पटिशन लगाने की चुनौती देती हूं तो हक्का-बक्का रह जाते हैं. बाइक सिर्फ़ एक मशीन है जिसे चलाने के लिए इतनी मर्दानगी की ज़रूरत नहीं होती.’
‘हिजाबी बाइकर’ होने के बारे में वह कहतीं हैं, ‘मैं अपनी बाइकिंग के लिए फ़ेमस होना चाहती हूं. पहनावे के लिए नहीं. लोगों को समझना चाहिए कि हिजाब पहनी मुसलमान औरतें कमज़ोर नहीं होतीं. हम वह सब कुछ कर सकतीं हैं जो कोई और कर सकता है.’
रोशनी रोड सेफ़्टी के बारे में कई कैम्पेन कर चुकी हैं.
2. अनम हाशिम
अनम दसवीं क्लास में थीं जब स्कूल जाते वक़्त उन्होंने सड़क पर कुछ लड़कों को बाइक स्टंट करते देखा. बाइक चलाने का भूत उसी दिन सवार हो गया. लखनऊ से 23 साल की यह लड़की आज एक बाइक स्टंट पर्फ़ॉर्मर है. और एक अंतर्राष्ट्रीय स्टंट कॉम्पटिशन जीतने वाली इकलौती भारतीय.
अनम ने बहुत कम उम्र में बाइक चलाना सीखा और लाइसेन्स के लिए उन्हें 18 होने तक का इंतज़ार करना पड़ा. बीस साल की उम्र में उन्हें टीवीएस की तरफ़ से एक स्कूटी ज़ेस्ट पर खर्दूँग ला पास के ज़रिए लद्दाख़ जाने का मौक़ा मिला. वे पहली लड़की थीं जिसने इतनी ऊंचाई (18,000 फ़ीट) पर स्कूटी चलाई. उन्होंने 18 दिन में 2150 किलोमीटर कवर किए.
2016 में टीवीएस ने उन्हें अपना ब्राण्ड ऐम्बैसडर बना लिया. उसी साल उन्होंने अपनी कम्पनी ‘ड्रीम्स मोटरस्पोर्ट्स’ शुरू की. यह कम्पनी स्टंट शोज़ के लिए बाइकर्ज़ देती है और इसकी कई एकडेमीज़ भी हैं. बाइक स्टंट्स के अलावा अनम एडवेंचर स्पोर्ट्स की भी शौक़ीन हैं और पेशे से एक फ़ैशन डिज़ाइनर भी.
3. उर्वशी पटोले
दस साल से बाइकिंग करतीं उर्वशी एक फ़ीमेल बाइकर्ज़ कलेक्टिव ‘बाइकरनी’ की फ़ाउंडर हैं. पेशे से सोशल मीडिया एनलिस्ट उर्वशी के लिए बाइक चलाना सिर्फ़ एक शौक़ नहीं बल्कि अभिव्यक्ति का एक माध्यम है. बाइकिंग के ज़रिए वे महिलाओं को सशक्त होने में मदद करना चाहतीं हैं और उन्हें ट्रैवल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहतीं हैं. उनका कहना है, ’इस देश में फ़ीमेल बाइकर्ज़ को कोई प्लैट्फ़ॉर्म नहीं दिया जाता. उन्हें भी सारे बंधन तोड़कर ज़िंदगी जीने का हक़ है. इसलिए 2011 में मैंने 'बाइकरनी' शुरू की. हम शुरू में सिर्फ़ 14 थे मगर अब 700 हैं और 17 शहरों में फैल गए हैं.’
उर्वशी का दो बार ऐक्सिडेंट हो चुका है. 14 साल की उम्र में एक बार कलाई टूटी थी और 2012 में कूर्ग में बाइकिंग करते वक़्त सर फूट गया था. वह चार महीने बिस्तर में पड़ी रहीं और डाक्टरों ने बाइकिंग छोड़ देने की सलाह दी थी. यह हादसे भी उन्हें रोक न पाए और उन्होंने फिर से बाइकिंग शुरू की.
उर्वशी कहतीं हैं, ‘मैं अपनी बाइक पर बैठे पूरी दुनिया घूमना चाहती हूं. अभी बहुत सारे देश देखने हैं और बहुत सारी औरतों को प्रेरित करना है.’
4. शीरीन शेख़
मां बनने के बाद अपनी हॉबीज़ पर ध्यान देना आसान नहीं होता. ख़ासकर अगर आपकी हॉबी बाइकिंग हो. एक सिंगल मदर होने के बावजूद शीरीन ने दोनों जगह ख़ुद को साबित किया है. ‘मुझे बाइकिंग की लात 14 साल के उम्र में ही लग गई थी.’ वे कहतीं हैं. ‘मेरे मामा ने मुझे बाइक चलाना, जीप चलाना और एडवेंचर स्पोर्ट्स करना सिखाया. 18 होते ही पापा ने मुझे एक बाइक दिला दी और तबसे यही मेरा शौक़ है.’
शीरीन पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजिनीयर हैं और ‘प्रफ़ेशनल बाईकर’ कहलाना पसंद नहीं करतीं. बाइकिंग उनका प्रेम है और वह पैसों या फ़ेम के लिए यह नहीं करतीं. शीरीन को इस बात का बहुत फ़ख़्र है कि उनकी फ़िक्र करने के बावजूद उनकी फ़ैमिली ने हमेशा उनके शौक़ को सपोर्ट ही किया है.
2007 में शीरीन ऑल इंडिया बेस्ट कैडेट भी रह चुकी हैं और राइफ़ल शूटिंग में महाराष्ट्र को रेप्रेज़ेंट भी कर चुकीं हैं.
5. रोशनी शर्मा
रोशनी भारत की पहली महिला बाइकर हैं जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक बाइक पर गईं हैं. 16 साल की उम्र से इन्हें बाइकिंग से प्रेम है. इन्हें लगता है कि यह महज़ एक भ्रम है कि महिलाएं अकेले ट्रैवल नहीं कर सकतीं. उनका मानना है अगर एक लड़की में हिम्मत, कॉन्फ़िडेन्स और समझदारी हो तो वह जहां चाहे, जितना चाहे अकेले ट्रैवल कर सकती है.
इन औरतों के जज़्बे और जुनून से वाक़ई इन्स्पिरेशन मिलती है. इनकी हिम्मत और दिलेरी को सलाम!
ये स्टोरी ऑडनारी के लिए ईशा ने लिखी है.
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