इंडिया की पहली महिला IAS की कहानी: नियुक्ति के लिए गईं तो कहा गया 'तुमसे न हो पाएगा'
मगर ऐनामल्होत्रा ने खुद को साबित किया.

हममें से अधिकतर लोग किरण बेदी को तो जानते हैं लकिन ऐना राजम मल्होत्रा का नाम शायद ही हमने सुना हो. ऐना राजम मल्होत्रा भारत की पहली महिला आईएएस ऑफिसर थीं. वो 1951 बैच की आईएएस ऑफिसर थीं. 17 सितंबर 2018 को उनका देहांत हो गया.
आईएएस ऑफिसर हमारे देश का सबसे सम्मानित पद है. अधिकतर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे कलेक्टर बनें. क्या आप जानते हो कि पहले हमारे देश में आईएएस ऑफिसर बनने के लिए आपको लंदन जाकर पेपर देना पड़ता था और पेपर में अंग्रेज़ी साहित्य और इतिहास का हिस्सा बहुत अधिक था. ऐसा इसलिए कि ताकि कोई भारतीय इस पद पर न पहुंचे. केवल अंग्रेज़ ही अधिकारी बनें और भारत पर उनका राज चलता रहे.
1864 में पहली बार कोई भारतीय नागरिक आईएएस ऑफिसर बना था. ये आईएएस ऑफिसर थे रवींद्रनाथ टैगोर के भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर. 1922 के बाद से भारत में भी इस परीक्षा को काराया जाने लगा. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आईएएस की परीक्षा भारत में होनी शुरू हुई. 1950 में यूपीएससी का गठन हुआ और जो पहली महिला आईएएस ऑफिसर बनीं वो ऐना राजम मल्होत्रा थीं.
ऐना राजम मल्होत्रा जब लिखित परीक्षा पास कर साक्षात्कार में पहुंचीं तो उन्हें विदेश सेवा या राष्ट्रीय सेवा के किसी पद को लेने के लिए कहा गया. ऐसा उन्हें साक्षात्कार कर रहे दल ने ही कहा क्योंकि ये सेवाएं महिलाओं के लिए उपयुक्त मानी जाती थीं. उनका साक्षात्कार कर रहे दल में 4 आईसीएस ऑफिसर्स और तत्कालीन यूपीएससी के चेयरमेन आर.एन. बैनर्जी शामिल थे. उनके अनुसार कोई महिला आईएएस ऑफिसर के पद को संभालने का माद्दा नहीं रखती थी.
ऐना ने इस बात को नहीं माना और आईएएस ऑफिसर बनना ही उचित समझा. उन्होंने अपने बात रखी और मद्रास कैडर चुना. ‘द हिन्दू’ के अनुसार उनके अपॉइन्मेंट लैटर में लिखा गया कि अगर वो शादी करती हैं तो उनका अपॉइन्मेंट रद्द कर दिया जाएगा. हालांकि इस नियम को बाद में बदल लिया गया.

ऐना की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुईं. जब वो नौकरी के लिए मद्रास पहुंचीं तब भी उन्हें आईएएस की जगह सेक्रेटेरिएट का पद लेने के लिए कहा गया. तब वहां के मुख्यमंत्री सी. राजगोपालाचारी थे. उन्हें लगा कि कोई महिला आईएएस अधिकारी का पद नहीं संभाल पाएगी. ऐना को यहां भी अपनी काबिलियत साबित करने के लिए लड़ना पड़ा. अंततः उन्हें होसर जिले का सबकलेक्टर नियुक्त किया गया. ये पद संभालने वाली वो पहली महिला बनीं.
ऐना के काम के लिए बाद में उन्हीं लोगों ने उन्हें सराहा जिन्हें लगता था कि वो कुछ नहीं कर पाएंगी. मद्रास के मुख्यमंत्री और यूपीएससी के चेयरमेन दोनों ही लोगों ने उनके काम की सराहना की. लोगों को उदाहरण दिया कि कैसे एक महिला अधिकारी ने अपने ज्ञान और मेहनत के बल पर इस पद को प्राप्त किया है. महिलाओं को उनसे सीख लेनी चाहिए. और महिलाओं को आईएएस परीक्षा देनी चाहिए. सरकारी नौकरियों के लिए आगे आना चाहिए.
ऐना राजम मल्होत्रा ने आर.एन. मल्होत्रा से शादी की. शादी के पहले वो ऐना राजम जॉर्ज हुआ करती थीं. ऐना की ही तरह आर.एन. मल्होत्रा भी आईएएस ऑफिसर थे. 1985 में वो आरबीआई के गवर्नर नियुक्त हुए. ऐना को भारत का पहला कम्प्यूटराइज़ड कंटेनर पोर्ट नवा शेवा बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई. उन्होंने इसे पूरा किया. साथ ही उन्होंने 6 मुख्यमंत्रियों, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर काम भी किया है.
उनके काम के लिए 1990 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से नवाज़ा. 17 सितंबर को 91 साल की उम्र में उनका देहवसान हो गया.
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