महिला पॉर्न एक्टर ने बताया, शूटिंग के दौरान इस तरह औरतों के शरीर का शोषण होता है
दर्दनाक, नकली, और इतने अप्राकृतिक कि बच्चेदानी में चोट आ जाती है.
हम जब पॉर्न देखते हैं तो ये भूल जाते हैं कि वीडियो में दिखने वाले लोग दरअसल होते तो इंसान ही हैं. औरतों को तो ख़ासतौर पर केवल भोग की वस्तु की तरह ही पेश किया जाता है. सेक्स के लिए एक शरीर. जिसे जैसे चाहे मोड़ो-तोड़ो. पर जब कैमरा शूट करना बंद कर देता है, तब क्या होता है? क्या होता है उस शरीर का? जो चोटिल होता है. थका हुआ होता है.
क्या होता है? ये बताया 35 साल की एक पॉर्न स्टार ने. इनका नाम है मैडिसन मिसिना. पॉर्न इंडस्ट्री में काम करते हुए उन्हें 18 साल हो गए हैं. 2012 से लेकर अभी तक इन्होंने 200 से ऊपर फ़िल्में की हैं. पर इतने एक्सपीरियंस के बावजूद भी मैडिसन को लगता है कि कैमरे के सामने सेक्स बहुत बेकार होता है. दर्दनाक होता है. और नकली होता है.
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यही नहीं. जिस तरह की पोज़ीशन में फीमेल पॉर्न स्टार्स के साथ सेक्स किया जाता है, वो कुदरती तौर पर अन-नेचुरल होते हैं. उसकी वजह से उन्हें बहुत ज़्यादा दर्द होता है. साथ ही उनके गर्भाशय और अंडाशय पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ऐसा भी हुआ है कि अगर किसी पॉर्न स्टार को ओवरी में सिस्ट यानी गांठ है, तो फिल्मिंग के दौरान वो फूट जाती है.
इन सबसे बड़ी दिक्कत है कि फ़िल्म करते समय कट नहीं होता. लंबे-लंबे सीन लगातार शूट किए जाते हैं. औरतों की सहूलियत को देखते हुए तो कट एकदम नहीं किया जाता.
लंबे-लंबे सीन लगातार शूट किए जाते हैं. फ़ोटो कर्टसी: Pixabay
एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में वो कहती हैं:
“कट नहीं लगने की वजह से काफ़ी दिक्कत होती है. किसी को दर्द हो रहा हो तो भी फिल्मिंग नहीं रोकी जाती. हां, सिर्फ़ तब रोकी जाती है जब आदमी को प्रॉब्लम हो रही हो.”
पॉर्न का ये चेहरा हम सब से छुपा नहीं है. बस हम देखना नहीं चाहते. एक बार फिर वही कहेंगे. ये इसलिए क्योंकि पॉर्न में काम करने वाली औरतों को हम आम औरतें नहीं समझते. हमारे लिए वो एक सेक्स ऑब्जेक्ट होती हैं.
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