नुसरत जहां के खिलाफ जिस फतवे पर बवाल मचा था, वो फतवा था ही नहीं
किसी मौलवी के कुछ कह देने से फतवा जारी नहीं हो जाता.

27 मई 2019. लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंची नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट की. लिखा, संसद में पहला दिन. जिसके बाद इन दोनों को जमकर ट्रोल किया जाने लगा. लोग मिमि और नुसरत की ड्रेस पर कमेंट करने लगे. कहने लगे कि ये घर या स्टूडियो नहीं है जहां आप इस तरह की ड्रेस पहन कर आ सकती हैं. हालांकि इन ट्रोल्स का मिमी और नुसरत पर कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने सोशल मीडिया पर शुभकामनाओं के लिए लोगों को शुक्रिया अदा किया.
And its us again1st day at Parliament @nusratchirps pic.twitter.com/ohBalZTJCV
— Mimssi (@mimichakraborty) May 27, 2019
लगभग एक महीने बाद यानी 25 जून को नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती दोबारा संसद पहुंचीं. शपथ ग्रहण करने. 19 जून को नुसरत जहां की शादी हुई थी. उन्होंने कोलकाता के बिजनेसमैन निखिल जैन से शादी की. मिमी भी शादी में शामिल होने गई थीं. इसलिए उन्हें शपथ लेने में देर हुई. नुसरत और मिमी दोनों ने बंगाली में शपथ ली. वंदे मातरम, जय हिंद और जय बांग्ला कहा. शपथ के बाद दोनों ने स्पीकर ओम बिड़ला के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया.
#WATCH: TMC's winning candidate from Basirhat (West Bengal), Nusrat Jahan takes oath as a member of Lok Sabha today. pic.twitter.com/zuM17qceOB
— ANI (@ANI) June 25, 2019
लेकिन एक बार फिर से दोनों ट्रोल्स के निशाने पर आ गईं. खासतौर पर नुसरत जहां. क्योंकि इस बार वे संसद में पारंपरिक ड्रेस में आई थीं. नई-नवेली दुल्हन नुसरत हाथों में मेंहदी और मांग में सिंदूर लगाकर आई थीं. चूंकि वो एक मुसलमान हैं और उन्होंने गैर मजहब के व्यक्ति से शादी की है. इसलिए मौलाना लोगों का माथा ठनक गया.
Towards a happily ever after with Nikhil Jain ❤️ pic.twitter.com/yqo8xHqohj
— Nusrat (@nusratchirps) June 19, 2019
एक मुस्लिम धर्मगुरु असद वसमी ने कहा, ''जांच के बाद पता चला कि नुसरत ने जैन धर्म के युवक से शादी की है. इस्लाम कहता है कि मुस्लिम की शादी मुस्लिम से होनी चाहिए. वह संसद में सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर आईं. इस बारे में बात करना बेफिजूल है. हम उनकी जिंदगी में दखल देना नहीं चाहते. मैंने उन्हें वही बताया जो शरीयत में लिखा है.''
Paying heed or reacting to comments made by hardliners of any religion only breeds hatred and violence, and history bears testimony to that.. #NJforInclusiveIndia #Youthquake #secularIndia pic.twitter.com/mHmINQiYzj
— Nusrat (@nusratchirps) June 29, 2019
इन सबका नुसरत ने अपने ही तरीके से जवाब दिया है. उन्होंने कहा,
'मैं पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं. जो जाति और धर्म के बंधनों से परे है. मैं अभी भी एक मुसलमान हूं. लेकिन मैं सभी धर्मों का बराबर सम्मान करती हूं. और ये किसी को कमेंट करने का अधिकार नहीं है कि मैं क्या पहनूं? आस्था, पहनावा से परे है. और सभी धर्मों के सिद्धांतों को मानने और विश्वास करने में अधिक है.'
असद वसमी के बयान के साथ ही खबर आई कि नुसरत जहां के खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया है. हालांकि दारुल उलुम देवबंद ने फतवा जारी होने की खबरों से इनकार किया है.
देवबंद के डेवलपमेंट और आर्गेनाईजेशन विभाग के असिस्टेंट इंचार्ज अशरफ उस्मानी हैं. उन्होंने हमारी सहयोगी वेबसाइट दी लल्लनटॉप से बात की. फतवे की खबरों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हर बयान को दारुल उलूम देवबंद से जोड़ना सही नहीं है. उन्होंने कहा,
'देवबंद ने नुसरत जहां के खिलाफ या उनके नाम से कोई भी फ़तवा जारी नहीं किया है. इस मामले में हमारे नाम से कुछ भी चल रहा है तो देवबंद उसका खंडन करता है. आजकल चलन है कि किसी भी दाढ़ी और टोपी वाले को पकड़कर उसको देवबंदी उलेमा करार दे दो. किसी की बात को देवबंद का फ़तवा कह देना सरासर गलत है.'
2 साल पहले दुर्गापूजा पर हुई थीं ट्रोल
लेकिन ये पहली बार नहीं हुआ है जब नुसरत को इन सब चीजों का सामना करना पड़ा हो. 2017 में दुर्गा पूजा पर एक गाना शेयर करने पर उन्हें ट्रोल किया गया था. लोगों ने उनके धर्म पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे.
जिसके बाद नुसरत ने सबको जवाब देते हुए एक पोस्ट किया,
"सबसे पहले हम इंसान हैं. जाति, धर्म ने हमें अलग किया, राजनीति ने हमें बांटा. अगर आपको लगता है कि मैं धार्मिक नहीं हूं... मेरा विश्वास है कि मैं पहले इंसान हूं. सबसे पहले इंसान बनिए. प्यार और सम्मान फैलाइए, न कि धर्म. सभी को महानवमी की शुभकामना".
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नुसरत का जो स्टैंड 2017 में था वही अब भी है. तब भी वो सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की बात कहती थीं और अब भी करती हैं. तब भी लोगों ने उन्हें ट्रोल किया और उल्टा-सीधा कहा. अब भी कह रहे हैं. इस बार जो नया हुआ है वो ये कि मौलानाओं ने मोर्चा खोल दिया है. वैसे ये पहली बार नहीं है जब किसी मौलवी ने किसी महिला के पहनावे पर टिप्पणी की हो.
नेल पॉलिश लगाने, सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करने को गैर-इस्लामिक बताया जाता है. महिलाओं के बाल कटवाने और आईब्रो बनवाने को भी हराम करार दे दिया जाता है. और एक मजेदार फतवा बीमा यानी इंश्योरेंस को लेकर जारी किया गया था. कहा गया कि बीमा कंपनी किसी की जान नहीं बचा सकती. इसलिए बीमा कराना नाजायज है. अब मौलाना साहब को कौन बताए कि बीमा जान बचाने के लिए नहीं बल्कि इसलिए कराया जाता है कि यदि हमें कुछ हो जाए तो परिवार को भटकना न पड़े. खैर, नुसरत को टार्गेट करने वाले मौलवियों से हम तो इतना ही कहेंगे कि थोड़ा अपडेट हो जाएं, समाज में आ रहे बदलावों के हिसाब से खुद को ढालने की कोशिश करें. 21वीं सदी में भी आप हजारों साल पहले की बात करें, ये अच्छा नहीं लगता.
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